देश में निर्मित पांच नकली दवाओं समेत 211 के सैंपल फेल, CDSCO जांच में बड़ा खुलासा
देश में दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं। सीडीएससीओ ने 211 दवाओं और पांच नकली दवाओं की बिक्री पर रोक लगाई है। इन दवाओं में हिमाचल, उत्तराखंड, गुजरात समेत कई राज्यों में बनी दवाएं शामिल हैं। ये दवाएं हृदय रोग, कैंसर, मधुमेह जैसी बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होती हैं। जांच में तेजी लाई जा रही है और संबंधित उद्योगों को नोटिस जारी किए जा रहे हैं।

देश में निर्मित पांच नकली दवाओं समेत 211 के सैंपल फेल (फाइल फोटो)
जागरण संवाददाता, सोलन। देशभर में दवाओं की गुणवत्ता पर लगातार प्रश्न उठ रहे हैं। मध्य प्रदेश में सिरप से बच्चों की मौत के बाद भी देश में दवाओं की गुणवत्ता में सुधार नहीं हो रहा है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने अक्टूबर का ड्रग अलर्ट जारी करते हुए देश में निर्मित 211 दवाओं व पांच नकली दवाओं की बिक्री पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं।
इसके साथ ही दवाओं के बैच को संबंधित उद्योगों को वापस भेजने के लिए कहा है। इनमें कोल्डरफ सिरप, दिल, कैंसर, यौन रोग सहित कैंसर, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, अस्थमा, संक्रमण, दर्द, सूजन, पेट के कीड़े मारने, अनीमिया की बीमारियों में इस्तेमाल होने वाली दवाएं शामिल हैं।
दवाओं की बिक्री पर रोक लगाने के साथ बैच को संबंधित उद्योगों को वापस भेजने के निर्देश दिए गए हैं। हिमाचल में बनी 66, उत्तराखंड की 39, गुजरात की 26, पंजाब व मध्य प्रदेश की 12-12, हरियाणा की 10, सिक्किम की छह, महाराष्ट्र की पांच, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना व राजस्थान की चार-चार, बिहार व आंध्रप्रदेश की दो-दो, पुडुचेरी की तीन, दिल्ली व हरियाणा, असम व बंगाल की एक-एक दवा का सैंपल फेल हुआ है।
गंभीर बीमारियों की 11 दवाएं भी गुणवत्ता में खरी नहीं उतरी
दिल की बीमारी व सीने के दर्द में इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली मेटोरेल-एएम50 दवा (बैच नंबर 77 बीजी 08) को सर्व फार्मास्यूटिकल दवा उद्योग हरिद्वार ने बनाया है।
कोलेस्ट्राल कम करने, दिल की नलियों में ब्लाकेज की रोकथाम और दिल के दौरे का जोखिम घटाने वाली रोजूवासटाटिन 10एमजी एस्प्रिन 150 एमजी व क्लोपिडोग्रल 75 एमसी कैप्सूल (बैच नंबर एसआइबीपी 24283) को सिक्किम के बियोल्टस फार्मास्यूटिकल ने बनाया है। कोलेस्ट्रोल व ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने वाली अर्टोवासटाटिन 10 एमजी दवा (बैच नंबर सीटी 240238 ए) सिरमौर के कैंडोर फार्मास्यूटिकल्स में बनी है।
कैंसर व सांस की बीमारियों के इलाज में उपयोग होने वाली डेक्सामीथासवन दवा 0.5 (बैच नंबर टीए 24665) को उत्तराखंड के सेंट लाइफ फार्मास्यूटिकल्स ने बनाया है। सर्दी, बुखार व साइनस में प्रयोग होने वाला कोल्डरिफ सिरप (बैच नंबर एसआर-13) तमिलनाडु के सरेसन फार्मास्यूटिकल में बना है। गर्भपात, प्रसव के बाद रक्तस्राव व गैस्ट्रिक अल्सर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली मिसोप्रोस्टोल टेबलेट 100 एमसीजी (बैच नंबर टीएम-1480005) गुजरात के सेंटयूरियन रेमीडीज ने बनाई है।
टाइप-2 मधुमेह की गलीमीलाइव-एम 2 दवा (बैच नंबर जी 522501 बी) पुडुचेरी के लाइफ केयर फार्मूलेशन में बनी है। यौन समस्या दूर करने वाला कामराज कैप्सूल (बैच नंबर बीएसी 0005) पंजाब के ब्रह्मानंद आयुर्वेद उद्योग में बना है।
चिट्टा व अन्य नशीली दवाओं से बचाव के लिए उपयोग होने वाली बुपेरा एन लाइट दवा (बैच नंबर एसएलटीई 25016) को स्विफ्ट लाइफ साइंस उद्योग प्राइवेट लिमिटेड देहरादून उत्तराखंड ने बनाया है। आपरेशन से पहले एक-दो घंटे शरीर सुन्न करने वाला एनेस्थिसिया बुपीवाकेन इंजेक्शन (बैच नंबर एल 2022410 बी) सिरमौर के प्रोटैक टेलिलिंक्स में बना है।
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने जारी किया अक्टूबर का ड्रग अलर्ट
राज्य में दवाओं की जांच का क्रम बढ़ाया गया है। मध्य प्रदेश में हादसे के बाद सभी प्राधिकरण सतर्क होकर काम कर रहे हैं। यही कारण है कि अधिक सैंपल फेल हो रहे हैं। पिछले महीनों की तुलना में अब बाजार से अधिक सैंपल लिए जा रहे हैं। हिमाचल में निर्मित दवाओं के सैंपल अधिक फेल हो रहे हैं। जो उद्योग ड्रग अलर्ट में शामिल हैं, उन्हें नोटिस जारी किए जा रहे हैं। -मनीष कपूर, राज्य दवा नियंत्रक।

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