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    कौन थे DR. Vece Paes, जिन्होंने 1972 म्‍यूनिख ओलंपिक्‍स में किया कमाल; भारतीय खेल में इसलिए रहे बड़ा नाम

    टेनिस स्‍टार लिएंडर पेस के पिता डॉ वेस पेस का गुरुवार को निधन हो गया। वेस पेस की उम्र 80 साल थी। वो पार्किंसन बीमारी की एडवांस स्‍टेज का उपचार करा रहे थे। कोलकाता के अस्‍पताल में उनका ईलाज चल रहा था। वेस 1972 म्‍यूनिख ओलंपिक में ब्रॉन्‍ज मेडल जीतने वाली हॉकी टीम के सदस्‍य थे। इसके अलावा उन्‍होंने भारतीय खेल में बड़ा योगदान दिया। जानें उनके बारे में डिटेल्‍स।

    By Abhishek Nigam Edited By: Abhishek Nigam Updated: Thu, 14 Aug 2025 11:55 AM (IST)
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    डॉ वेस पेस ने कोलकाता के अस्‍पताल में अंतिम सांस ली (Pic Credit- Leander Paes X)

    स्‍पोर्ट्स डेस्‍क, नई दिल्‍ली। भारतीय खेल जगत गुरुवार को शोक में डूब गया जब खबर आई कि टेनिस स्‍टार लिएंडर पेस के पिता डॉ वेस पेस का निधन हो गया। वो 80 साल के थे और कोलकाता के अस्‍पताल में पार्किंसन बीमारी के एडवांस स्‍टेज का उपचार कर रहे थे।

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    डॉ वेस पेस 1972 म्‍यूनिख ओलंपिक्‍स में ब्रॉन्‍ज मेडल जीतने वाली हॉकी टीम के सदस्‍य थे। वेस पेस ने हॉकी के अलावा कई खेलों में विकास किया और फिर मशहूर डॉक्‍टर बने।

    ओलंपिक इतिहास में दर्ज हुआ नाम

    बता दें कि डॉ वेस पेस का जन्‍म गोवा में 30 अप्रैल 1945 को हुआ। वेस पेस ने हॉकी के अलावा भारत में कई खेलों के विकास में योगदान दिया और फिर मशहूर डॉक्‍टर बने। वह उस भारतीय हॉकी टीम के सदस्‍य थे, जिसने 1972 म्‍यूनिख ओलंपिक्‍स में ब्रॉन्‍ज मेडल जीता था।

    वेस पेस ने उस टीम में आक्रामक मिडफील्‍डर की भूमिका निभाई और अपनी उपस्थिति व बेहतरीन रणनीति के कारण खूब वाहवाही बटोरी। वो ऐसे खिलाड़ी थे, जो आक्रमण के साथ-साथ डिफेंस भी बखूबी जानते थे।

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    रग्‍बी के लिए रहे जुनूनी

    हॉकी ने वेस पेस को दुनियाभर में पहचान दिलाई, लेकिन इसके अलावा उन्‍होंने कई खेलों में अपनी महारत साबित की। वेस पेस ने फुटबॉल, क्रिकेट और रग्‍बी में प्रतिस्‍पर्धी स्‍तर पर देश का प्रतिनिधित्‍व किया। वो रग्‍बी को लेकर बेहद जुनूनी थे और इसका परिणाम यह रहा कि 1996 से 2002 तक वो भारतीय रग्‍बी फुटबॉल यूनियन के अध्‍यक्ष रहे।

    खेल प्रशासन में जिंदगी

    भारतीय खेल जगत में पेस का योगदान कोर्ट और क्लिनिक से बाहर तक फैला हुआ है। उन्‍होंने प्रतिष्ठित कलकत्‍ता क्रिकेट और फुटबॉल क्‍लब में लीडरशिप पद पर काम किया, जहां उन्‍होंने समकालीन खेल की आवश्यकताओं को समायोजित करते हुए परंपराओं के संरक्षण के लिए संघर्ष किया। खेल प्रशासन में उनकी भूमिका में वही सिद्धांत समाहित थे, जो वे एक खिलाड़ी के रूप में लेकर आए थे - निष्पक्षता, ईमानदारी और उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता।

    एथलीट से चोट ठीक करने वाले थे वेस

    खेल से संन्‍यास के बाद वेस पेस ने अपने अनुशासन और खेल विशेषज्ञता को चिकित्सा में लागू किया। उन्होंने खेल चिकित्सा विशेषज्ञ (स्‍पोर्ट्स मेडिसिन एक्‍सपर्ट) के रूप में योग्यता प्राप्त की, तथा खिलाड़ियों की आवश्यकताओं के बारे में अंदरूनी जानकारी के साथ चिकित्सा विज्ञान से जुड़े। इसके अलावा प्रतिष्ठित सलाहकार के रूप में उन्‍होंने एशियाई क्रिकेट परिषद, बीसीसीआई और भारतीय डेविस कप टेनिस टीम के लिए सालों काम किया।

    वेस पेस की विशेषज्ञता सिर्फ चोट ठीक करना नहीं थी। वो अपनी पूर्ण प्रणाली दृष्टिकोण के लिए प्रसिद्ध थे, जिसमें रोकथाम, पुनर्वास और मानसिक तत्परता पर ध्यान दिया जाता था। सभी खेल के एथलीट्स उनकी सलाह पर निर्भर थे। ऐसा सिर्फ उनकी पढ़ाई के कारण नहीं बल्कि वो उनके नक्‍शेकदम पर चल चुके थे।

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    चैंपियंस का परिवार

    वेस पेस की पत्‍नी जेनिफर पेस भारतीय बास्‍केटबॉल टीम की कप्‍तान थी। उनके बेटे ने ओलंपिक ब्रॉन्‍ज मेडल जीता। इसके अलावा भी लिएंडर ने कई ग्रैंड स्‍लैम खिताब भी जीते। लिएंडर ने बताया कि पिता की सख्‍ती और प्रोत्‍साहन के कारण वो इस करियर में सफल हो सके।

    पार्किंसन से जूझे वेस पेस

    हाल ही में वेस पेस ने पार्किंसन बीमारी से लड़ने का साहस दिखाया। इस सप्‍ताह उनकी तबीयत बहुत खराब हुई और मंगलवार को उन्‍हें कोलकाता के एक अस्‍पताल में भर्ती कराया गया। गुरुवार को वेस पेस ने आखिरी सांस ली।

    भले ही वेस पेस का नाम रोजाना सुर्खियों में न रहे, लेकिन भारतीय खेलों में उनके योगदान को कोई भुला नहीं सकता। वो एक ओलंपियन, मशहूर डॉक्‍टर और शानदार प्रशासक रहे। डॉ वेस पेस की मृत्‍यु ने खालीपन बना दिया, लेकिन उनका प्रभाव और विरासत अमर रहेगी।

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