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    जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय का महत्वपूर्ण फैसला: Distance Education से प्राप्त इंजीनियरिंग डिग्री का महत्व नहीं

    Updated: Tue, 16 Sep 2025 06:51 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने कहा है कि दूरस्थ शिक्षा से प्राप्त इंजीनियरिंग डिग्री सरकारी नौकरी के लिए मान्य नहीं है। यह फैसला मोटर वाहन निरीक्षक भर्ती मामले में आया जहां एक उम्मीदवार की डिग्री अमान्य कर दी गई। उच्च न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय के 2018 के फैसले का हवाला दिया।

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    एआईसीटीई द्वारा निर्धारित परीक्षा उत्तीर्ण करने की अनिवार्यता बताई गई थी। इससे मेरिट सूची में बदलाव हुआ

    जागरण संवाददाता, जम्मू। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से प्राप्त इंजीनियरिंग डिग्री को सरकारी भर्ती प्रक्रियाओं में महत्व नहीं दिया जा सकता है।

    यह निर्णय मोटर वाहन निरीक्षक (एमवीआई) चयन मामले में एक उम्मीदवार द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज करते हुए दिया गया था।

    मामले के अनुसार जम्मू-कश्मीर सेवा चयन बोर्ड (जेकेएसएसबी) ने 2008 में एमवीआई (तकनीकी) के चार पदों के लिए विज्ञापन दिया था, लेकिन भर्ती प्रक्रिया कई वर्षों तक विवादों और योग्यता मानदंडों में संशोधन के कारण लंबित रही।

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    इस भर्ती प्रक्रिया में उम्मीदवार चग्गर सिंह बिल्लोरिया को दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से विनायका मिशन यूनिवर्सिटी से एमटेक डिग्री के लिए अतिरिक्त अंक दिए गए थे, लेकिन अदालत ने इस डिग्री को अमान्य माना।

    उच्च न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय के 2018 के निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से प्रदान की गई इंजीनियरिंग डिग्री तब तक मान्य नहीं हो सकती जब तक कि उम्मीदवार एआईसीटीई द्वारा निर्धारित विशेष परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर लेते।

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    बिल्लोरिया की एमटेक डिग्री को अमान्य मानते हुए अदालत ने उनके अतिरिक्त अंक छीन लिए, जिससे मेरिट सूची में उम्मीदवार रमनदीप सिंह उनसे ऊपर आ गए।

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    जस्टिस विनोद चटर्जी कौल और जस्टिस संजय धर की अध्यक्षता में गठित खंडपीठ ने रमनदीप की योग्यता पर संदेह उठाते तथ्यों के भी खारिज किया और उनके चौधरी मोटर्स के अनुभव प्रमाणपत्र को भी सही पाया।

    इससे पूर्व बिलोरिया ने कैट भी इस संदर्भ में याचिका दायर की थी जिसमें कैट ने बिलोरिया के खिलाफ फैसला सुनाया था।