Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बसंतर नदी की बाढ़ ने जिला सांबा के सीमांत किसानों को दिए कभी न भरने वाले जख्म, 400 एकड़ कृषि भूमि पर बिछी गाद

    Updated: Tue, 02 Sep 2025 02:27 PM (IST)

    जम्मू के रामगढ़ में बसंतर नदी में आई बाढ़ से सीमांत किसानों को भारी नुकसान हुआ है। नदी के किनारे स्थित सैकड़ों एकड़ कृषि भूमि रेत और कचरे से भर गई है जिससे किसानों की फसलें बर्बाद हो गई हैं। प्रभावित किसानों को उचित मुआवजे का इंतजार है लेकिन नुकसान का आकलन करने में देरी हो रही है। किसानों ने सरकार से नदी को बाढ़ मुक्त करने की मांग की।

    Hero Image
    किसानों ने चेतावनी दी कि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो वे पंचायत चुनावों का बहिष्कार कर सकते हैं।

    संवाद सहयोगी, जागरण, रामगढ़। जम्मू संभाग के जिला सांबा के सब सेक्टर रामगढ़ के अग्रिम बरोटा, कमोर क्षेत्र में बहने वाली बसंतर नदी ने सीमांत किसानों को कभी न भरने वाले जख्म दिए हैं। नदी के साथ लगते सैकड़ों एकड़ कृषि रकवे पर लगी फसलों की जगह व रेत-बजरी, कंकर व कूड़ा-कर्कट का साम्राज्य नजर आ रहा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सीमांत किसान जिन खेतों में धान की फसलों की हरियाली देख खुश होते थे, आज वही किसान अपनी जमीनों को बंजर हुआ देख दुखी हो रहे हैं। बीते दिनों हुई मूसलाधार बारिशों से बसंतर नदी पूरे उफान पर रही।

    इसका बुरा असर अग्रिम सीमांत क्षेत्र नर्सरी में देखने को मिला, जहां से नदी के उफान ने विकराल रूप लेकर सैकड़ाें फीट सुरक्षा बांध को बहाकर अपना बहाव बरोटा, बरोटा कैंप, कमोर, कमोर-कैंप, नंगा आदि के कृषि रकवे की तरफ मोड़ लिया।

    यह भी पढ़ें- आसमान में बादल छाते ही सहम जाते हैं कंपनी बाग के लोग, बोले-अब तो बारिश के नाम से ही लगने लगा है डर

    400 एकड़ कृषि रकवा बाढ़ की चपेट में आया

    नदी के तेज बहाव के साथ उसमें बहता आया कचरा, रेत, मिट्टी व अन्य किसानों के उपजाऊ खेतों में बिस्तर की तरह बिछ गया। नदी की बाढ़ का सबसे अधिक प्रभाव बरोटा, बरोटा कैंप, कमोर, कमोर कैंप के किसानों की मेहनत पर पड़ा।

    करीब 400 एकड़ कृषि रकवा बाढ़ की चपेट में आया और खेतों में लगी धान सहित अन्य किस्म की खरीफ फसलें जलमग्न होकर रह गईं। जिन कृषि खेतों की बसंतर नदी ने तबाही की है, उनमें अधिकांश किसानों के खेत बसंतर नदी के साथ लगते थे।

    उचित मुआवजा ही सुधार सकता है किसानों की दशा

    ऐसे किसानों को नदी की बाढ़ से हुए नुकसान का उचित मुआवजा मिलने से ही उनकी आर्थिक स्थिति सुधर सकती है। हालांकि बाढ़ प्रभावित किसानों को हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए सरकारी, राजनितिज्ञ व प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंच कर संवेदना जता रहे हैं। लेकिन इन संवेदनाओं से किसानों के परिवार पर मंडराने वाला आर्थिक तंगी का संकट का निदान नहीं होगा।

    यह भी पढ़ें- जम्मू संभाग के जिला सांबा में गाड़ी का हॉर्न बजाने पर विवाद, चली गोलिया, घर में बंद होकर बचाई जान

    सरकार ने अनदेखी के कारण किसानों को हुआ इतना नुकसान

    बाढ़ प्रभावित किसानों ने जिनमें समाजसेवी एवं हिंदु शिवसेना के प्रदेश उपप्रधान नवीन चौधरी, किसान परवीन कुमार, कुलदीप राज, तरसेम लाल, अभिषेक चौधरी, रिंकु कुमार, विजय कुमार अन्य ने कहा कि डेढ़ दशक से सीमांत किसान बसंतर नदी के उफान से अपनी फसलों को बर्बाद होता देखते आ रहे हैं। आज तक केंद्र, राज्य सरकार ने नदी को बाढ़ मुक्त बनाने पर कोई गौर नहीं किया।

    अगर समय पर सरकार, प्रशासन व संबंधित अधिकारियों ने किसानों की समस्या पर ध्यान दिया होता, तो आज हालात फिर से ऐसे नहीं बनते। लिहाजा बसंतर नदी को स्थायी तौर पर बाढ़मुक्त बनाने के लिए कारगार परियोजना शुरू करवाई जाए, ताकि बरसात में आने वाली इस तबाही से किसानों के खेत व फसलें सुरक्षित रहें।

    नुकसान का आकलन करने में हो रही देरी

    बसंतर नदी की बाढ़ से जो अग्रिम नर्सरी, बरोटा सहित अन्य क्षेत्रों में तबाही मची है, उसका राजस्व स्तर पर सही आकलन करने की परिक्रिया अभी तक ठंडे बस्ते में है। नदी की बाढ़ से सुरक्षा बांध सहित अन्य हुए नुकसान का आकलन करने राजनेता, प्रशासनिक व विभागीय अधिकारी तत्काल पहुंचे थे।

    यह भी पढ़ें- संपत्ति विवाद में बहू ने ससुर व देवरों पर करवाया झूठा मामला दर्ज, न्यायालय ने लगाई कड़ी फटकार, किया मामला रद

    अभी तक बाढ़ से हुए जमीनी स्तर के नुकसान का विस्तृत ब्यौरा हासिल करने के लिए राजस्व विभाग आगे नहीं आया है। इसका प्रभावित किसानों को मलाल है और उनका कहना है कि अगर समय पर नुकसान का आकलन नहीं होगा, तो राहत व मुआवजे की जल्द उम्मीद कैसे लगाई जा सकती है। किसानों ने तुरंत जिला प्रशासन को हरकत में आने और आकलन टीमों को प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचने के आदेश जारी करने की अपील की है।

    किसान कर सकते हैं पंचायत चुनावों का बहिष्कार

    बसंतर नदी की बाढ़ को आज तक स्थायी सुरक्षा कवच न दिए जाने से हर तरफ सरकार, प्रशासन आलोचनाओं के घेरे में आ रहा है। इन आलोचनाओं का आगामी पंचायती चुनावों पर भी खासा असर पड़ सकता है। जहां तक कि किसान नेताओं ने नदी को बाढ़मुक्त न बनाए जाने पर इन चुनावों का बहिष्कार करने की चेतावनी जारी कर दी है।

    बार्डर किसान यूनियन रामगढ़ के प्रधान स. मोहन सिंह भट्टी ने कहा कि केंद्र व प्रदेश सरकार आगामी अक्टूबर-नवंबर में निकाय व पंचायती चुनावों को करवाने की अधिसूचनाएं जारी हो रही हैं। लेकिन अगर किसान व आम लोग ही सरकार की अनदेखी का शिकार होती रहीं, तो इसे लोकतंत्र बहाली कैसे माना जाए।

    यह भी पढ़ें- जम्मू-कश्मीर में बढ़ने लगी डेंगू के मरीजों की संख्या, एक सप्ताह में आए 66 नए मामले, जानें कौन सा जिला कितना प्रभावित

    भट्टी ने कहा कि सीमांत किसान यही चाहते हैं कि उनकी हर समस्या का स्थायी समाधान हो। ऐसे में बसंतर नदी की बाढ़ एक चुनावी मुद्दा बन सकती है, जिसका बहिष्कार भी हो सकता है। इसलिए चुनावी घोषणा से पूर्व बसंतर नदी को बाढ़मुक्त बनाने पर गौर होना चहिए। 

    comedy show banner