जम्मू-कश्मीर में बाढ़ का कहर जारी, किसानों की फसलें पूरी तरह से तबाह
जम्मू जिले में वर्षा और बाढ़ से किसानों को भारी नुकसान हुआ है जिसमें धान मक्की और दालें शामिल हैं। लगभग 25850 हेक्टेयर भूमि पर लगी फसलें प्रभावित हुई हैं और 19441 हेक्टेयर क्षेत्र में 33% से अधिक फसलें बर्बाद हो गई हैं। किसानों को मुआवजे का इंतजार है और कृषि विभाग नुकसान का आकलन कर रहा है।

जागरण संवाददाता, जम्मू। वर्षा और बाढ़ ने जिले के किसानों को काफी नुकसान पहुंचाया है। 25,850 हैक्टेयर भूमि में लगी धान, मक्की, बाजरा, दालें, सब्जियां और चारा सहित अन्य फसलों को नुकसान पहुंचा हैं। 19,441 हैक्टेयर क्षेत्र 33 प्रतिशत से ज्यादा फसलें बर्बाद हुई हैं। सबसे ज्यादा नुकसान धान और मक्की की फसल को हुआ है।
जिले में कुल 85,864 हैक्टेयर भूमि में खरीफ की फसलों में से सबसे ज्यादा 46,800 हैक्टेयर में धान की फसल लगी। इसमें से 11,500 हैक्टेयर में लगी फसल बाढ़ की चपेट में आई। खेत जलमग्न होने और नदी-नालों की गाद बिछने से फसल प्रभावित हुई है। बड़ेयाल, तोप बेल्ट समेत कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहां बड़े तौर पर फसलें गाद बिछने से बर्बाद हुई हैं। जम्मू के कंडी क्षेत्रों में मक्की मुख्य फसल है।
वर्षा और तेज हवा के चलते फसल को नुकसान पहुंचा है। बीरपुर, मंडल, पुरमंडल और डंसाल के साथ लगते क्षेत्रों में मक्की की फसल ढह गई। जिले में 18,740 हैक्टेयर में मक्की की फसल लगती है, जिसमें से तकरीबन एक तिहाई फसल को नुकसान पहुंचा है। 5,000 हैक्टेयर में लगी मक्की की फसल आंशिक या पूर्णतया ढह गई।
वहीं, दालों को भी अच्छा खासा नुकसान पहुंचा। एक हजार हैक्टेयर भूमि में दलहन और इतनी ही भूमि में लगा चारा अधिक पानी से बर्बाद हो गया। सुड़े चक के किसान राजेंद्र सिंह ने बताया कि वर्षा इतनी हो गई कि धान के खेतों में सिल्ट चढ़ गई है, जबकि निचले क्षेत्रों में धान की फसलों में इतनी पानी भर गया कि पौधा टूट गया अब सरकार को चाहिए कि किसानों को मुआवजा दे।
सौहांजना के किसान कुलभूषण खजूरिया ने कहा कि इस समय माल मवेशी पालने के लिए हरे चारे का संकट बन गया है। पानी और बाढ़ के कारण हरा चारा बर्बाद हो चुका है।
बाढ़ और वर्षा से किसानों की खेती प्रभावित हुई है। आरंभिक सर्वेक्षण किया गया है और विभिन्न क्षेत्रों में नुकसान हुआ है। टीमें फील्ड से आंकड़ा जुटा रही हैं। टीम किसानों के साथ पूरे तालमेल से काम कर रही हैं। किसानों विभाग की गाइडलाइन का पालन करें। कृषि अधिकारियों से संपर्क बनाए रखें। जम्मू जले में 25,850 हैक्टेयर में लगी फसलें प्रभावित हुई हैं।-अनिल गुप्ता, कृषि निदेशक जम्मू
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।