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    जम्मू का 65 वर्ष पुराना गांधीनगर अस्पताल नहीं रहा सुरक्षित, तेज भूकंप का एक झटका नहीं सह सकती इमारत

    Updated: Thu, 28 Aug 2025 06:59 PM (IST)

    जम्मू के गांधीनगर अस्पताल को सुरक्षा ऑडिट में असुरक्षित घोषित किया गया है। 65 वर्ष पुरानी इस इमारत में दीवारों और छत में दरारें हैं जिससे रिसाव होता है। हाल ही में हुई बारिश से अस्पताल की स्थिति और खराब हो गई जिससे आईसीयू वार्डों को खाली करना पड़ा। मरीजों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया गया है।

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    अस्पताल प्रशासन मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा रहा है।

    रोहित जंडियाल, जागरण, जम्मू। स्वास्थ्य विभाग जम्मू का सबसे बड़ा गांधीनगर अस्पताल सेफ्टी आडिट में फेल हो गया है।

    डिजाइन और क्वालिटी कंट्रोल विभाग ने अपनी रिपोर्ट में इस अस्पताल की इमारत को असुरक्षित घोषित कर दिया है। बावजूद इसके अभी भी यहां पर मरीजों का इलाज चल रहा है। वहीं हाल ही में हुई बारिश ने भी इस अस्पताल को बड़ा नुकसान पहुंचाया है।

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    इस अस्पताल के निर्माण की सही तिथि के बारे में किसी को स्पष्ट जानकारी नहीं है लेकिन अस्पताल को करीब 65 वर्ष पुराना बताया गया है। स्वास्थ्य विभाग ने इस अस्पताल को प्रोविशयल अस्पताल का दर्जा दिया था।

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    सेफ्टी आडिट में विशेषज्ञों ने इमारत की मजबूती की जांच की

    डेढ़ सौ बिस्तरों की क्षमता वाला यह अस्पताल स्वास्थ्य निदेशालय जम्मू के अधीन काम करने वाला सबसे बड़ा अस्पताल है। इस अस्पताल का कुछ सप्ताह पहले डिजाइन और क्वालिटी कंट्रोल विभाग ने सेफ्टी आडिट किया।

    इस टीम में रिसर्च आफिसर डा. अमित शर्मा, असिस्टेंट एग्जीक्यूटिव इंजीनियर गुरजीत सिंह, असिस्टेंट एग्जीक्यूटिव इंजीनियर सीमा मन्हास, इंजीनियर सैयद रजा अली, साइंटिफिक असिस्टेंट विजय कुमार और सुनील धर शामिल थे।

    इस टीम ने 15 जुलाई को अस्पताल का दौरा किया और उन्होंने इमारत का निरीक्षण करने के साथ-साथ इसकी मजबूती की जांच करने के लिए टेस्ट भी किए।

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    अपनी उम्र पूरी कर चुकी है अस्पताल की यह ईमारत

    टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अस्पताल की यह इमारत 65 वर्ष से अधिक पुरानी है और अपनी उम्र पूरी कर चुकी है। इसकी मजूबती भी बहुत कम रह गई है। इसकी दीवारों, छत में पानी का रिसाव होने से यह और कमजोर होती जा रही है।

    यह भी देखा गया है कि इस इमारत में कई जगहों पर दरारें भी आ चुकी हैं। इसके टेस्ट करने पर भी यह सामने आया है कि मजबूती तय मानकों से कम है।

    टीम ने प्रशासनिक और इमरजेंसी ब्लाक और वाडों का सुरक्षा आडिट किया है। इस आडिट की रिपोर्ट आने के बाद अस्पताल में काम कर रहे डाक्टर व अन्य स्वास्थ्य कर्मी भी चिंतित है।

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    बारिश से बदहाल हुआ अस्पताल

    सेफ्टी आडिट की रिपोर्ट आने के साथ ही तीन दिन पहले हुई बारिश ने अस्पताल की स्थिति को बदहाल कर दिया। अस्पताल के कई वाडों में पानी भर गया और कई जगहों से छतों व से पानी टपकने लगा।

    आलम यह हो गया कि इस अस्पताल में आपरेशन थियेटर के साथ लगते वाडों को खाली करवा दिया गया और मरीजों को अन्य जगहों पर शिफ्ट कर दिया गया। आपरेशन थियेटर के बाहर वाली जगह पर भी छत से पानी टपक रहा था।

    आइसीयू में बाल-बाल बचे मरीज

    गांधीनगर अस्पताल के आइसीयू में भर्ती मरीज भी बाल-बाल बचे। छत से लगातार पानी टपकने के कारण छत में फाल सीलिंग नीचे गिर गई। हालांकि इससे किसी भी मरीज को कोई चोट नहीं पहुंची और इसमें भर्ती मरीजों को मैट्रनिटी अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया।

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    लेकिन अस्पताल में काम कर रहे कई डाक्टरों व नर्सिंग स्टाफ ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बारिश में उन्होंने बहुत ही डर के साथ दिन बिताए हैं।

    उनका कहना है कि इसकी जानकारी सभी को है। उनका कहना है कि इमारत के नीचे काम करना जिंदगी के साथ समझौता करना है। यहां से मरीजों को शिफ्ट कर किसी सुरक्षित इमारत में भेजा जाना चाहिए।

    मैटरनिटी अस्पताल को लेकर चल रही बातचीत

    गांंधीनगर अस्पताल की इमारत असुरक्षित घोषित होने की जानकारी स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री सकीना इट्टू, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा सचिव डा. सैयद आबिद रशीद व अन्य अधिकारियों को भी है।

    कुछ दिन पहले स्वास्थ्य मंत्री ने गांधीनगर अस्पताल का दौरा कर इस पर चर्चा भी की थी। जब स्थानीय विधायक विक्रम रंधावा ने यह कहा था कि इस अस्पताल को मैटरनिटी अस्पताल में शिफ्ट कर दिया जाए। 200 बिस्तरों की क्षमता वाले इस अस्पताल की इमारत का पूरी तरह से उपयोग नहीं हो रहा है।

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    इस पर स्वास्थ्य मंत्री ने स्वास्थ्य निदेशक को एक प्रस्ताव बनाकर भेजने को कहा था। अभी इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। लेकिन मैटरनिटी अस्पताल के कुछ हिस्से को गांधीनगर अस्पताल को दिया गया है।

    बारिश के कारण अस्पताल में कुछ जगहों पर पानी आया है। हमने एहतियात के तौर पर कुछ वाडों को खाली करवाया है। मरीजों को किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं आने दी गई है। - डा. नरेंद्र भूटियाल, चिकित्सा अधीक्षक, गांधीनगर अस्पताल