जम्मू कश्मीर आयुष विभाग को निदेशक का इंतजार, दो वरिष्ठ डाक्टरों की दावेदारी पर विभाग ने साधी चुप्पी
जम्मू-कश्मीर में स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग में समय पर पदों को भरने की परंपरा नहीं है। आयुष निदेशक डा. नुजहत बशीर के सेवानिवृत्त होने के बाद भी किसी की नियुक्ति नहीं हुई है। डा. सुरेश शर्मा और डा. वंदना डोगरा इस पद के प्रमुख दावेदार हैं लेकिन स्वास्थ्य सचिव डा. सैयद आबिद शाह के पास अतिरिक्त प्रभार होने से नियुक्ति अटकी है।

राज्य ब्यूरो, जागरण, जम्मू। स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग में समय पर पदों को न भरने की परंपरा जारी है। जम्मू कश्मीर आयुष के निदेशक के पद पर भी किसी की नियुक्ति नहीं हुई है। हालांकि दो वरिष्ठ डाक्टर इस पद पर नियुक्त होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं और दोनो की ही सेवानिवृत्ति भी अगले वर्ष के आरंभ में ही होने जा रही है।
आयुष निदेशक डा. नुजहत बशीर अगस्त महीने में सेवानिवृत्त हो गई थी। पहले विभाग में निदेशक के सेवानिवृत्त होने पर उसकी जगह वरिष्ठ डाक्टर को निदेशक का कार्यभार सौंप दिया जाता था लेकिन अब स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग में नियुक्तियां सही समय पर न करने की परंपरा सी हो गई है। अगस्त महीने के अंत में सेवानिवृत्त होने के बाद आयुष निदेशक का किसी को भी प्रभार नहीं सौंपा गया।
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सुरेश शर्मा को माना जा रहा प्रमुख दावेदार
वर्तमान में आयुष जम्मू के उपनिदेशक डा. सुरेश कुमार शर्मा को निदेशक का सबसे बड़ा दावेदार बताया जा रहा है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि सुरेश शर्मा सबसे वरिष्ठ भी है। लेकिन आयुर्वेद अस्पताल जम्मू की चिकित्सा अधीक्षक डा. वंदना डोगरा भी वरिष्ठ डाक्टरों में से एक है और उनके नाम की भी चर्चा है। दोनो में से किसी एक को ही निदेशक का कार्यभार मिलने की उम्मीद है।
शाह संभाले हैं निदेशक का अतिरिक्त प्रभार
वर्तमान में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रशासनिक सचिव डा. सैयद आबिद शाह के पास ही आयुष निदेशक का अतिरिक्त प्रभार है। ऐसे में अगर छह महीने तक यह कार्यभार उनके पास ही रहता है तो डा. सुरेश और डा. वंदना दोनो का निदेशक बनने का सपना टूट जाएगा। दोनों ही वर्ष 2026 के जनवरी और फरवरी महीने में सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं।
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स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग में इससे पहले भी कई बार समय पर आदेश जारी न होने के कारण कई अधिकारियों की पदोन्नति नहीं हो पाई है। कुछ वर्ष पहले डा. रविंद्र खजूरिया को मात्र एक महीने के लिए ही उपनिदेशक योजना बनाया गया था जबकि पद कई महीनों से रिक्त पड़ा था।
स्वास्थ्य विभाग में भी यही स्थिति
स्वास्थ्य विभाग में भी कमोवश ऐसी ही स्थिति बनी हुई है। स्वास्थ्य निदेशक जम्मू के पास ही उपनिदेशक मुख्यालय का अतिरिक्त प्रभार है। परिवार कल्याण विभाग के निदेशक के पास उपनिदेशक योजना का पद भी है। अन्य कई ऐसे अधिकारी हैं जिनके पास दो या इससे अधिक पद हैं।
लेकिन विभागीय अधिकारी समय पर नियुक्तियां न करके कई अन्य का हक छीन रहे हैं।एक वरिष्ठ डाक्टर का कहना है कि समय पर नियुक्तियां न करके डाक्टरों का मनोबल कम होता है। सरकार को समय पर फैसला करना चाहिए।
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