सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी के बाद हरकत में आई जम्मू-कश्मीर सरकार, आवारा कुत्तों पर काबू पाने के दिए सख्त कदम
सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी के बाद जम्मू-कश्मीर सरकार आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए सक्रिय हो गई है। सरकार ने कुत्तों की बढ़ती आबादी को नियंत्रित करने के लिए सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। सभी विभागों को मिलकर काम करने और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है।

पूरी प्रक्रिया की निगरानी जिला प्रशासन और नगर निकायों द्वारा की जाएगी।
राज्य ब्यूरो, जम्मू। कुत्तों के काटने के मामलों में खतरनाक वृद्धि और सुप्रीम कोर्ट की कड़ी चेतावनी के बाद जम्मू-कश्मीर में आवारा कुत्ताें के आतंक से लोगाें को सुरक्षित बनाने के लिए अभियान शुरू किया गया है।
यह अभियान स्कूलों, अस्पतालों और अन्य सार्वजनिक संस्थानों को सुरक्षित करने के लिए शुरू किया है।इसके लिए सरकार ने समितियां गठित कर उन्हें उच्च जोखिम वाले और अत्यधिक भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों की पहचान करने के निर्देश दिए हैं। केंद्र शासित प्रदेश स्तर की समिति और जिला स्तर पर समितियां की गई हैं गठित।
सरकार ने केद्र शासित प्रदेश स्तर की कमेटी कृषि उत्पादन विभाग के प्रशासनिक सचिव की अध्यक्षता में गठित की है।आवास एवं शहरी विकास विभाग के प्रशासनिक सचिव इसके मेंबर सेक्रेटरी होंगे। इसके अतिरिक्त उच्च शिक्षा विभाग, लोक निर्माण विभाग, गृह विभाग, युवा सेवा एवं खेल विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग, परिवहन विभाग, कानून विभाग के प्रशासनिक सचिव, जम्मू और कश्मीर के मंडलायुक्त, जम्मू और श्रीनगर नगर निगम आयुक्त, इंस्पेक्टर जनरल आफ पुलिस, परिवहन आयुक्त, जम्मू और श्रीनगर जिलों के उपायुक्त, शहरी निकाय विभागों के निदेशक इसके सदस्य होंगे।
भीड़भाड़ वाले इलाकों में कुत्तों के खतरे को कम करने की तैयारी
इस समिति को उच्च जोखिम वाले और अत्यधिक भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों की पहचान करने का काम सौंपा गया है जहां तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है। इनमें स्कूल, कालेज, अस्पताल और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर, खेल मैदान, बस अड्डे, रेलवे स्टेशन और बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों और मरीजों द्वारा अक्सर उपयोग किए जाने वाले अन्य संस्थान शामिल हैं।
निवारक उपायों के तहत संस्थानों के प्रमुखों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने परिसरों की सुरक्षा के लिए चारदीवारी का निर्माण करें, ताला लगाने योग्य द्वार लगाएं और परिसरों के अंदर आवारा कुत्तों के प्रवेश और निवास को रोकने के लिए अन्य प्रशासनिक कदम उठाएं। इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी जिला प्रशासन और नगर निकायों द्वारा की जाएगी।
स्कूल, अस्पताल और सार्वजनिक स्थलों को सुरक्षित बनाया जा रहा
इस बीच नगर निगम अधिकारियों को स्कूलों, अस्पतालों और अन्य अधिसूचित संस्थानों के परिसरों में पाए जाने वाले आवारा कुत्तों को तुरंत पकड़कर निर्दिष्ट आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करने के लिए कहा गया है। वहां पशु जन्म नियंत्रण नियमों के अनुसार, कुत्तों को सुरक्षित क्षेत्रों में स्थानांतरित करने से पहले उनकी नसबंदी और टीकाकरण किया जाएगा।
इस योजना से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पकड़ने से लेकर आश्रय देने तक सभी प्रक्रियाएं मानवीय होंगी। हम इससे समझौता नहीं कर सकते। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन किया जाएगा।
गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने नसबंदी किए गए कुत्तों को उसी संस्थान परिसर में वापस छोड़ने पर रोक लगा दी है जहां से उन्हें पकड़ा गया है खासकर जहां बच्चे और अन्य कमजोर समूह मौजूद हों। केंद्र शासित प्रदेश स्तर की समिति नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के लिए तिमाही समीक्षा करेगी।
अधिकारियों ने कहा कि विभागों और एजेंसियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित भूमिकाएं, ज़िम्मेदारियां और समयसीमाएं सौंपी जाएंगी और चेतावनी दी कि अनुपालन में विफल रहने वाले अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही सहित कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।
जिला स्तरीय समितियां गठित
जम्मू और श्रीनगर जिलों के लिए गठित समितियों में जिला उपायुक्त चेयरमैन होंगे जबकि जम्मू और श्रीनगर नगर निगमों के आयुक्त इसके मेंबर सेक्रेटरी होंगे।एसएसपी, लोक निर्माण विभाग के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर, जिला पंचायत अधिकारी, मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी, मुख्य पशुपालन अधिकारी, मुख्य शिक्षा अधिकारी, जिला युवा सेवा एवं खेल अधिकारी, एक्जीक्यूटिव अधिकारी इसके सदस्य होंगे। अन्य जिलों में जिला उपायुक्त् चेयरमैन होंगे जबकि एग्जीक्यूटिव अधिकारी म्यूनिसिपल कमेटी मेंटर सेक्रेटरी होंगे। अन्य सदस्य जम्मू और श्रीनगर जिलों की तर्ज पर ही होंगे।

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