Jammu News: प्रतिवर्ष बन रहे 1000 नए डाक्टर, अस्पतालों में टोटा; बढ़ी नौकरी छोड़ने वालों की संख्या
जम्मू कश्मीर में प्रत्येक वर्ष एक हजार से अधिक युवा डाक्टर बन रहे हैं। इसके बावजूद अस्पतालों में डाक्टरों की कमी है। वरिष्ठ डाक्टरों के कई पद लगातार खाली हैं। इसका सबसे बड़ा और प्रमुख कारण सरकारी नौकरी छोड़ने वाले डाक्टरों की दिनोंदिन बढ़ती संख्या है।

रोहित जंडियाल, जम्मू। जम्मू कश्मीर में प्रत्येक वर्ष एक हजार से अधिक युवा एमबीबीएस की पढ़ाई कर डाक्टर बन रहे हैं। इसके बावजूद अस्पतालों में डाक्टरों की उपलब्धता का संकट है। वरिष्ठ डाक्टरों के कई पद लगातार खाली हैं।
इसका सबसे बड़ा और प्रमुख कारण सरकारी नौकरी छोड़ने वाले डाक्टरों की दिनोंदिन बढ़ती संख्या है। सरकार नौकरी में चयन होने के बावजूद कई डाक्टर ज्वाइन ही नहीं करते। कई डाक्टर आठ से 10 वर्ष नौकरी करने के बाद त्यागपत्र दे देते हैं।
दो माह में नौ डाक्टरों ने दिया त्यागपत्र
दो माह में ही स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग में नौ डाक्टर त्यागपत्र दे चुके हैं। जबकि सौ से अधिक डाक्टरों के ज्वाइन नहीं करने के चलते इनका चयन रद हो गया है। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग के आंकड़ों के अनुसार गत जीएमसी जम्मू में प्लास्टर सर्जन डा. सुहेल जहूर ने पिछले वर्ष अपना इस्तीफा दिया है।
गत बुधवार को त्यागपत्र स्वीकार भी हो गया। वह करीब 10 वर्ष तक जीएमसी जम्मू में रहे। इससे पहले स्वास्थ्य विभाग से राजकीय मेडिकल कालेज कठुआ में डेपुटेशन पर भेजे डा. दीपक ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली।
चयन के बावजूद नहीं किया ज्वाइन
स्वास्थ्य विभाग में नियुक्त डा. राकेश सिंह को 16 फरवरी को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। वह गैरहाजिर रह रहे थे। 13 फरवरी को चार डाक्टरों के चयन को रद कर दिया। उन्होंने चयन के बावजूद ज्वाइन नहीं किया। श्रीनगर मेडिकल कालेज में एनेस्थीसिया विभाग में लेक्चरार डा. अबराक आसमां ने कुछ महीने पहले त्यागपत्र दे दिया था जिसे तीन फरवरी को स्वास्थ्य विभाग ने स्वीकार किया।
इन डाक्टरों ने दिया त्यागपत्र
स्वास्थ्य विभाग में बड़गाम जिला अस्पताल में नियुक्त डा. सैयद नाफिया बुखारी के त्यागपत्र को 24 फरवरी, प्राथमिक चिकित्सा केंद्र कीरू में नियुक्त डा. रिंकू ठाकुर के त्यागपत्र को 23 जनवरी, बटोत में नियुक्त डा. मुबशर मशकूर के त्यागपत्र को दो जनवरी को, डा. मोहम्मद अमन के त्यागपत्र को 27 दिसंबर को, जीएमसी श्रीनगर में नियुक्त डा. रोहे जान के त्यागपत्र को 23 दिसंबर को स्वीकार किया गया।
सरकारी की जगह निजी नौकरी को प्राथमिकता
ब्लाक पांपोर में नियुक्त डा. हजाज अहमद ने बीस जनवरी को स्वैच्छिक रूप से सेवानिवृत्ति ले ली। इसी तरह चयन के बावजूद 99 डाक्टरों को ज्वाइन न करने पर दिसंबर के तीसरे सप्ताह में नौकरी से बर्खास्त कर दिया। इनमें से अधिकांश डाक्टर ऐसे हैं जो कि सरकारी नौकरी के स्थान पर निजी अस्पतालों में नौकरी को प्राथमिकता दे रहे हैं या फिर उच्च शिक्षा हासिल कर रहे हैं।

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