Updated: Wed, 10 Sep 2025 10:36 PM (IST)
जम्मू में बारिश और बाढ़ ने सब्जी उत्पादन पर बुरा असर डाला है। नई फसल की बुवाई में लगभग 20 दिनों की देरी हो चुकी है जिससे ताजी सब्जियों के लिए इंतजार बढ़ गया है। किसानों को खेत तैयार करने में कठिनाई हो रही है खासकर नदी किनारे के किसानों को भारी नुकसान हुआ है क्योंकि उनके खेतों में गाद भर गई है।
जागरण संवाददाता, जम्मू। इस बार जम्मू की ताजा सब्जियों के लिए लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ेगा। क्योंकि, वर्षा और बाढ़ के चलते नई सब्जियां लगाने का काम में 20 दिन की देरी हो चुकी है। यहां तक कि अबकी अगेती सब्जियां भी नहीं लग पाई हैं, जोकि मध्य अगस्त से लगना शुरू होती हैं।
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इसमें गांठ गोभी, पालक, मूली, शलजम, धनिया, मटर आदि सितंबर माह में लग चुके होते हैं या किसान लगा रहे होते हैं। मगर, इस बार परिस्थितियां कुछ अलग हैं। गत दिनों हुई वर्षा और बाढ़ के कारण खेत गीले हो चुके हैं। नमी कम होने के लिए अभी दस दिन का समय और लगेगा, जिसके बाद ही नई सब्जियां लग पाएंगी।
सीमांत क्षेत्रों के निचले इलाकों में अभी भी पानी भरा हुआ है। ऐसे में लोगों को जम्मू क्षेत्र की ताजा सब्जियों के लिए डेढ़ माह और इंतजार करना होगा। अक्टूबर माह के अंत तक ही स्थानीय सब्जियां बाजार में दिखने लगेंगी। मढ़ के किसान शक्ति कुमार के अनुसार अभी सब्जी नहीं लग पाएगी, क्योंकि बरसात जारी है।
अगर वर्षा हो गई तो नमी फिर बढ़ जाएगी। पनीरी तैयार करने में दिक्कत होगी। हालांकि, कुछ किसानों ने पालीहाउस में पनीरी तो तैयार कर नी है, लेकिन अब लगाने के लिए सही वातावरण ही नहीं बन पा रहा है। सब्जियां लगाने का समय गुजरता जा रहा है। गजनसू, बड़ियाल और मंडाल में होती है खेती जम्मू में मढ़ की गजनसू, आरएसपुरा की बड़ियाल और मंडाल बेल्ट में बड़े पैमाने पर सब्जियों की खेती होती है।
मढ़ तो सब्जियों की बेल्ट के तौर पर जाना जाता है। थलोड़ी गांव के किसान ओम प्रकाश का कहना है कि जम्मू के लोगों को स्थानीय सब्जियों का बेसब्री से इंतजार रहता है। इसका खास कारण यह है कि यहां के किसान खेतों में अत्यधिक रसायन खाद डालने के आदि का इस्तेमाल नहीं होता हैं।
इसलिए, यहां की सब्जियां बेहतर होती हैं। रिवर बेड के किसान नहीं लगा पाएंगे अबकी बार सब्जियां नदी-नालों के किनारे सब्जियां लगाने वाले अधिकांश किसान अबकी बार सब्जियां नहीं लगा पाएंगे, क्योंकि उनके खेतों में गाद भरी हुई है। वर्षा और बाढ़ ने खेतों को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया है।
रिवर बेड की खेती नदी-नालों के करीब होती है, यहीं कारण है कि बाढ़ का इस खेती पर सीधे असर पड़ा। तोप गांव के किसान राजेंद्र सिंह ने बताया कि रिवर बेड की खेती कुछ वर्षों से लगातार बढ़ती जा रही थी। मगर इस वर्षा ने इस खेती की कमर तोड़ कर रख दी है। अब सब ठीक होने में समय तो लेगा।
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