कांग्रेस ने कहा- 'उनके पास दोनों सीटों पर उपचुनाव लड़ने के विकल्प खुले, बस पार्टी हाईकमान के फैसले का इंतजार'
जम्मू कश्मीर कांग्रेस ने कहा कि वह विधानसभा की दो सीटों पर उपचुनाव लड़ सकती है। पार्टी हाईकमान को इस बारे में सूचित कर दिया गया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा ने कहा कि पार्टी ने सभी विकल्प खुले रखे हैं। उन्होंने 'हमारी रियासत हमारा हक' कार्यक्रम फिर से शुरू करने की भी घोषणा की, जिसका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस दिलाना है।

कर्रा ने कहा हमें पार्टी हाईकमान के फैसले का इंतजार है।
राज्य ब्यूरो, जागरण, जम्मू। प्रदेश कांग्रेस में अभी भी राज्यसभा चुनाव के लिए नेशनल कान्फ्रेंस द्वारा एक सुरक्षित सीट न देने का गुस्सा साफ दिख रहा है।
शनिवार को प्रदेश कांग्रेस ने यह स्पष्ट किया कि वे विधानसभा की दो सीटों के हो रहे उपचुनावों में अपने उम्मीदवार उतार सकती है। उन्होंने पार्टी हाइकमान को इस बारे में लिखा है। पार्टी हाईकमान को यह फैसला करना है कि कितनी सीटों पर चुनाव लड़ना है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष तारिक हमीद करा ने शनिवार को श्रीनगर में कहा कि बडगाम और नगरोटा सीटों के लिए हो रहे उपचुनावों के लिए पार्टी ने सभी विकल्प खुले रखे हैं। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ल्ला ने एक दिन पहले कहा था कि नेशनल कान्फ्रेंस बडगाम सीट से चुनाव लड़ रही है।
नगरोटा में वे कांग्रेस को समर्थन देंगे, अगर वे अपना उम्मीदवार खड़ा करते हैं। मगर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि इस बारे में पार्टी हाइकमान को ही फैसला लेना है। नेशनल कान्फ्रेंस ने हमें समर्थन की बात कही है। हमने इस बारे में पार्टी हाईकमान को अवगत करवा दिया है। अभी उनके फैसले की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
कर्रा ने यह भी कहा कि पार्टी ने जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए दबाव बनाने के लिए अपना हमारी रियासत हमारा हक कार्यक्रम फिर से शुरू कर दिया है।
उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले और फिर युद्ध जैसी स्थिति के कारण इसे पहले स्थगित कर दिया गया था। कर्रा ने कहा कि बादल फटने और उसके परिणामस्वरूप बाढ़ जैसी स्थिति के कारण इसमें और देरी हुई।
उन्होंने कहा कि अब यह जम्मू-कश्मीर के सभी जिलों में आयोजित किया जाएगा। यह पूछे जाने पर कि क्या गठबंधन सहयोगियों नेशनल कान्फ्रेंस और कांग्रेस के बीच सब कुछ ठीक है, किसने कहा कि यह ठीक नहीं है?
उन्होंने कहा कि नेशनल कान्फ्रेंस द्वारा अस्वीकार किए जाने के बाद की टिप्पणियां स्वाभाविक थीं क्योंकि उच्चतम स्तर पर कांग्रेस नेतृत्व को उम्मीद नहीं थी कि नेशनल कान्फ्रेंस उनके अनुरोध पर यू-टर्न लेगी या पीछे हट जाएगी।
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