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    लद्दाख में तनाव कम करने की कोशिश, कांग्रेस काउंसलर त्सेपाग समेत 7 लोग रिहा, अब तक 50 को मिली जमानत

    By Digital Desk Edited By: Rahul Sharma
    Updated: Wed, 15 Oct 2025 04:32 PM (IST)

    लद्दाख में तनाव घटाने के लिए कांग्रेस काउंसलर त्सेपाग ग्याल्सन समेत सात और लोगों को रिहा किया गया है। अब तक कुल 50 लोगों को जमानत मिल चुकी है। यह कदम क्षेत्र में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए उठाया गया है। सरकार और स्थानीय नेता लगातार बातचीत कर रहे हैं ताकि सभी मतभेदों को दूर किया जा सके। 

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    प्रशासन स्थिति को सामान्य करने के लिए प्रतिबद्ध है।

    डिजिटल डेस्क, जागरण, जम्मू। लद्दाख प्रशासन ने कांग्रेस कांउसलर स्टैनजिन त्सेपाग समेत सात लोगों को रिहा कर दिया है। इन सभी को 24 सितंबर को लेह में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद हिरासत में लिया गया था।

    इसी के साथ लद्दाख पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए 70 से ज्यादा लोगों में से अब तक लगभग 50 लोगों को जमानत मिल चुकी है, जिसमें 1999 के कारगिल युद्ध में लड़ने वाले आर्मी के जवान त्सावांग थारचिन समेत चार लोग मारे गए थे।

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    लेह बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट मोहम्मद शफी लस्सू ने इस बात की पुष्टि करते हुए जानकारी दी कि झड़पों के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए सभी सात लोगों को कल जमानत मिल गई। रिहा किए गए लोगों में कांग्रेस काउंसलर त्सेपाग, लेह एपेक्स बॉडी (LAB)की महिला प्रेसिडेंट, अंजुमन-ए-मोइन-उल-इस्लाम के यूथ प्रेसिडेंट और लद्दाख बुद्धिस्ट एसोसिएशन (LBA)के कई सदस्य शामिल थे।

    इंटरनेट मीडिया पर फोटो हुई वायरल

    त्सेपाग की हिरासत से तब विवाद खड़ा हो गया था जब हिंसा के बाद इंटरनेट मीडिया पर एक नकाबपोश आदमी की लाठी लिए हुए एक फोटो वायरल हुई थी। भाजपा ने आरोप लगाया था कि फोटो में दिख रहा व्यक्ति त्सेपाग है, इस दावे को कांग्रेस नेता ने पूरी तरह से नकार दिया था।

    कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के लीडर सज्जाद कारगिली ने कहा कि लद्दाख ऑटोनॉमस हिल डेवलपमेंट काउंसिल, लेह के काउंसलर फुंटसोग स्टैनज़िन त्सेपाग, जिन्हें हाल ही में हुई लेह हिंसा में "गलत तरीके से फंसाया गया" था, उन्हें जमानत मिल गई है।

    आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश

    कारगिली ने कहा कि इस रिहाई से कुछ मीडिया आउटलेट्स और पॉलिटिकल लीडर्स द्वारा फैलाए जा रहे बेबुनियाद प्रोपेगैंडा और झूठी बातों का पर्दाफाश होता है। अब यह साफ है कि ये गिरफ्तारियां लद्दाख के शांतिपूर्ण डेमोक्रेटिक आंदोलन को बदनाम करने की एक बड़ी कोशिश का हिस्सा थीं।

    शांतिपूर्ण साइलेंट मार्च, ब्लैकआउट करने की योजना

    हम राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची के सुरक्षा उपायों के लिए लड़ रहे सोनम वांगचुक समेत सभी हिरासत में लिए गए नेताओं की तुरंत रिहाई की अपनी मांग दोहराते हैं। इस बीच, एलएबी और केडीए, जो लद्दाख को राज्य का दर्जा दिलाने और छठी अनुसूची में शामिल करने के लिए आंदोलन को लीड कर रहे दो मुख्य ग्रुप हैं, ने दो घंटे के शांतिपूर्ण साइलेंट मार्च और उसके बाद पूरे केंद्र शासित प्रदेश में शाम को ब्लैकआउट करने की योजना की घोषणा की है। हालांकि, विरोध की तारीख तय नहीं हुई है।

    केंद्र और लद्दाख के नेताओं के बीच उनकी लंबे समय से लंबित मांगों को लेकर बातचीत में रुकावट के बीच यह नया विरोध आह्वान आया है। दोनों संगठनों ने 24 सितंबर की घटना की न्यायिक जांच की भी मांग की है, जिसके दौरान आंदोलन की एक प्रमुख आवाज पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक को कड़े नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA)के तहत हिरासत में लिया गया था।