पहलगाम हमले के आतंकियों की मदद करने वाले आरोपियों का हो नार्को टेस्ट, NIA की याचिका पर अदालत ने क्या कहा?
पहलगाम आतंकी हमले के मामले में गिरफ्तार दो आतंकी मददगारों के पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट कराने की एनआईए की याचिका अदालत ने खारिज कर दी है। अदालत ने कहा कि यह वैज्ञानिक तकनीकें आत्म-दोषसिद्धि के अधिकार का उल्लंघन करेंगी। दोनों आरोपित 19 सितंबर तक न्यायिक रिमांड पर जेल में बंद हैं। 22 अप्रैल को पहलगाम के बैसरन में आतंकियों ने 26 लोगों की हत्या कर दी थी।

राज्य ब्यूरो, जम्मू। पहलगाम आतंकी हमले के मामले में गिरफ्तार दो आतंकी मददगारों के पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट कराने की एनआईए की याचिका अदालत ने खारिज कर दी है। अदालत ने कहा कि यह वैज्ञानिक तकनीकें आत्म-दोषसिद्धि के अधिकार का उल्लंघन करेंगी।
दोनों आरोपित 19 सितंबर तक न्यायिक रिमांड पर जेल में बंद हैं। बता दें कि 22 अप्रैल को पहलगाम के बैसरन में आतंकियों ने 26 लोगों की हत्या कर दी थी। 22 जून को नरसंहार में संलिप्त आतंकियों के दो स्थानीय मददगारों बशीर और परवेज अहमद को एनआईए ने गिरफ्तार किया था।
आतंकियों को उपलब्ध करवाया था राशन
दोनों ने आतंकियों को सुरक्षित ठिकाना उपलब्ध कराने के अलावा राशन व अन्य साजो सामान भी उपलब्ध कराया था।
जम्मू स्थित विशेष अदालत में एनआईए ने अदालत को सूचित किया था कि पहलगाम हमले में शामिल आतंकियों के दोनों मददगारों ने अपने पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट के लिए सहमति दे दी है। बशीर और परवेज ने एनआईए के दावे को नकार दिया।
उन्होंने सहमति प्रदान करने से इन्कार किया। अदालत ने उनके पॉलीग्राफ व नार्को टेस्ट की अनुमति खारिज करते हुए अपने छह पृष्ठ के आदेश में कहा कि दोनों आरोपितों को पेश किया। दोनों ने अदालत में कहा है कि वह पॉलीग्राफ या नार्को जांच के इच्छुक नहीं हैं।
29 अगस्त को सुनाया फैसला
अदालत ने आतंकियों के दोनों मददगारों से पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट की अनुमति पर 29 अगस्त को फैसला सुनाया है। बशीर और परवेज को कानूनी सहायता प्रदान कर रहे वकील ने अदालत में एनआईए के दावे का खंडन करते हुए बताया कि उन दोनों ने इसकी अनुमति नहीं दी है।
उन्होंने एनआईए की याचिका को खारिज करने की मांग करते हुए कहा कि हिरासत में आरोपितों का कोई स्वैच्छिक सहमति बयान एजेंसी द्वारा नहीं लिया है।
अदालत ने बशीर और परवेज से इस बारे में पूछा। उन्होंने ऐसी कोई अनुमति नहीं दी है और न वह इसके इच्छुक हैं।
दोनों ने कथित तौर पर खुद का बेगुनाह भी बताया। एनआईए की याचिका खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि नार्को-विश्लेषण, पॉलीग्राफ परीक्षण जैसी वैज्ञानिक तकनीकों का अनैच्छिक प्रयोग संविधान में वर्णित ‘आत्म-दोष के विरुद्ध अधिकार’ का उल्लंघन होगा।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।