द्रास में चोटी प्वाइंट 5140 को अब गन हिल कहिए, भारतीय गनर्स के सर्वोच्च बलिदान की है साक्षी
कारगिल युद्ध में आपरेशन विजय के दौरान इस चोटी को जीतने के लिए भारतीय सेना के गनर्स के सर्वाेच्च बलिदान को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए सेना ने शनिवा ...और पढ़ें

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : लद्दाख को द्रास सेक्टर में गुलाम जम्मू कश्मीर से अलग करने वाली नियंत्रण रेखा पर स्थित चोटी प्वाइंट 5140 को अब गन हिल के नाम से ही पुकारा जाएगा। कारगिल युद्ध में आपरेशन विजय के दौरान इस चोटी को जीतने के लिए भारतीय सेना के गनर्स के सर्वाेच्च बलिदान को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए सेना ने शनिवार को इसका नामकरण ‘गन हिल’ किया है।
सैन्य अधिकारियों ने बताया कि इसमें कोई छिपी हुई बात नहीं है कि 1999 में हुए कारगिल युद्ध में भारतीय तोपखाने ने निर्णायक भूमिका निभाई है। पाकिस्तानी सैनिक ऊंची चोटियों पर बेहतर स्थिति में बैठे हुए थे। भारतीय सेना की तोपों ने जब आग उगलना शुरू किया तो पाकिस्तानी सेना के हौसले पस्त हो गए। द्रास सेक्टर में प्वाइंट 5140 पर कब्जा कर बैठे पाकिस्तानी सैनिकों की कमर टूट गई और भारतीय सेना ने उन्हें वहां से खदेड़ते हुए कारगिल युद्ध में अपनी जीत सुनिश्चित की। तोलोलिंग के पास स्थित प्वाइंट 5140 ही सबसे ऊंची चोटी है। तोपखाने की मदद से कैप्टन विक्रम बत्रा के नेतृत्व में 13 जैक राइफल्स की एक कंपनी ने अंतिम धावा बोला था। कैप्टन बत्रा ने इस चोटी पर आमने-सामने की लड़ाई में चार पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया था। इसके लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। इस चोटी पर 20 जून, 1999 को तड़के साढ़े तीन बजे भारतीय जवानों ने तिरंगा लहराया था।
आपरेशन विजय के बलिदानियों को श्रद्धासुमन अर्पित किए
भारतीय तोपखाना रेजिमेंट आर्टिलरी की तरफ से लेफ्टिनेंट जनरल टीके चावला ने कारगिल युद्ध स्मारक द्रास में आपरेशन विजय में भाग ले चुके वेटरन गनर्स की मौजूदगी में पुष्पचक्र भेंट कर आपरेशन विजय के बलिदानियों को श्रद्धासुमन अर्पित किए। सेना की फायर एंड फ्यूरी कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल ए सेनगुप्ता ने भी इस अवसर युद्ध स्मारक पर पुष्प चक्र भेंट किए। इसके साथ ही प्वाइंट 5140 का नाम भी विधिवत ‘गन हिल’ रखा गया। इस दौरान आर्टिलरी रेजिमेंट जिसे कारगिल सम्मान प्रदान किया गया है, के वेटरन गनर और मौजूदा गनर्स भी शामिल हुए।

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