जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, केंद्र को दिया चार हफ्ते का समय
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग पर केंद्र सरकार को चार हफ्ते का समय दिया है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि 2019 में राज्य का दर्जा छीनना असंवैधानिक था। अदालत ने केंद्र से पूछा है कि वह कब तक राज्य का दर्जा बहाल करेगी।

यह फैसला जम्मू-कश्मीर के भविष्य के लिए अहम है।
डिजिटल डेस्क, जागरण, जम्मू। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग पर केंद्र से जवाब मांगा है। भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र को इस मामले में जवाब देने के लिए चार हफ्ते का समय दिया है।
क्या है पूरा मामला?
जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने दलील दी कि राज्य का दर्जा 2019 में छीन लिया गया था और अब 2025 में हैं। उन्होंने कहा कि काफी समय बीत चुका है और चुनाव भी हो चुके हैं, इसलिए राज्य का दर्जा बहाल करने का समय आ गया है।
केंद्र की दलील
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में न केवल पानी बल्कि बहुत खून भी बहा है। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से हुए थे और राज्य का दर्जा देने से पहले पहलगाम घटना जैसे कारकों पर भी विचार किया जाना चाहिए। केंद्र तथा प्रदेश सरकार इस पर परामर्श कर रहे हैं।
मुख्य न्यायाधीश की टिप्पणी
दो पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश ने पहलगाम आतंकी हमले का हवाला देते हुए कहा कि राज्य का दर्जा बहाल करने का फैसला सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि निर्णय लेना संसद और कार्यपालिका का काम है। उन्होंने केंद्र को जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने की मांग पर जवाब देने के लिए चार हफ़्ते का समय दिया। उन्होंने कहा कि अब इस मामले की सुनवाई चार हफ्ते बाद होगी जब केंद्र अपना जवाब दाखिल करेगी। इसके बाद ही सुप्रीम कोर्ट इस मामले में आगे की कार्रवाई करेगी।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।