9 या 10... कब है करवाचौथ? आ गई असली डेट, जिनकी शादी हो चुकी है तय वो जरूर करें ये काम
करवाचौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। 10 अक्टूबर को करवाचौथ है और महिलाएं चंद्रमा के उदय का समय जानने के लिए उत्सुक हैं। पंडितों के अनुसार जम्मू में चंद्रोदय रात 8 बजकर 12 मिनट पर होगा। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। यह व्रत सौभाग्य संतान प्राप्ति और पति के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए किया जाता है।

संवाद सहयोगी, बिश्नाह। करवाचौथ व्रत की तारीख पास आते ही सुहागिन महिलाओं में खासा उत्साह है। खरीदारी के लिए बाजार महिलाओं से भरे हैं।
10 अक्टूबर को करवाचौथ व्रत खोलने के लिए चांद कब दिखेगा इसके लिए महिलाएं पहले से ही पंडितों से जानकारी ले रही हैं। प्राचीन शिव मंदिर बिश्नाह के महामंडलेश्वर अनूप गिरि महाराज के अुनसार जम्मू में चंद्रोदय रात्रि 8:12 बजे होगा।
करवाचौथ के दिन सुहागिनें पति की दीर्घायु और मंगल कामना के लिए यह व्रत रखेंगी। वहीं, जिन युवतियों का विवाह तय हो चुका है वह भी व्रत रख सकती हैं।
यह व्रत बहुत कठिन होता है, जिसमें जल भी ग्रहण नहीं करते हैं। रात में चंद्रोदय होने पर चंद्रमा को अर्घ्य देकर विधिवत पूजा कर पति के हाथों जल ग्रहण करके ही यह व्रत संपूर्ण होता है। उसके बाद ही भोजन करना चाहिए।
करवाचौथ का व्रत सौभाग्य, संतान प्राप्ति, पति के स्वास्थ्य की रक्षा व दीर्घायु की कामना से किया जाता है। व्रत के करने से गृहस्थ जीवन की विघ्न-बाधाएं और समस्याएं भी समाप्त होती हैं। दंपती के बीच प्रेम बढ़ता है। एक-दूसरे के प्रति सम्मान की भावना जागृत होती है।
द्रौपदी ने भी रखा था करवाचौथ का व्रत
द्रौपदी ने भगवान कृष्ण के कहने पर यह व्रत रखा था। पांडवों के वनवास के दौरान अर्जुन तपस्या करने नीलगिरी पर्वत चले गए थे। जब कई दिन बीत जाने पर भी वह नहीं लौटे तो द्रौपदी को चिंता होने लगी। द्रौपदी की यह दशा देखकर भगवान कृष्ण ने उन्हें यह व्रत रखने की सलाह दी और इस व्रत के महत्व को समझाया। पौराणिक कथाओं के अनुसार द्रौपदी को उनके इस व्रत का फल भी मिला और अर्जुन तपस्या करके सकुशल लौट आए।
'सभी का सहयोग जरूरी'
यह एक कठिन व्रत है, जिसमें परिवार के सभी सदस्यों को इसमें सहयोग करना चाहिए। घर में लड़ाई-झगड़े, कलह आदि नहीं करना चाहिए।
घर में किसी धार्मिक प्रसंग का आयोजन करना चाहिए। उपवास रखने वाली स्त्रियों के पास बैठकर भोजन आदि नहीं करना चाहिए, उनसे ज्यादा काम नहीं कराना चाहिए। पतिदेव को शाम को चंद्रोदय से पहले घर आ जाना चाहिए।
चंद्रमा का महत्व
चंद्रमा को देवता माना गया है। चंद्रमा का सृष्टि को चलाने में बहुत योगदान है। शास्त्रों में चंद्रमा को औषधियों और मन का अधिपति देवता माना गया है। उनकी किरणें वनस्पतियों और मानव मन पर प्रभाव डालती हैं। उपवास के बाद चंद्रमा को छलनी से जब स्त्रियां देखती हैं तो उनके मन में पति के प्रति अनन्य अनुराग का भाव उत्पन्न होता है।
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