Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आंखों में अंधेरा, लेकिन हौसलों में रोशनी, 8 वर्षीय नन्ही मेहर ने दिखाया हौसलों का आसमान, जानें कैसे बनी प्रदेश-देश के लिए प्रेरणा

    सुंदरबनी की आठ वर्षीय मेहर वैद्य जो जन्म से नेत्रहीन हैं ने अपनी प्रतिभा और हौसले से सबको प्रेरित किया है। 15 अगस्त को राजौरी में जिला प्रशासन ने मेहर को सम्मानित किया। मेहर देहरादून के ब्लाइंड स्कूल में पढ़ती है और कंप्यूटर में माहिर है। मेहर का कहना है कि हौसले से हर सपना पूरा किया जा सकता है।

    By ankush sharma Edited By: Rahul Sharma Updated: Sat, 16 Aug 2025 05:57 PM (IST)
    Hero Image
    सुंदरबनी की मेहर हौसलों से रोशन की जिंदगी

    संवाद सहयोगी, जागरण, सुंदरबनी। कहते हैं कि जिंदगी में सबसे बड़ा उजाला आंखों से नहीं हौसलों से पैदा होता है। इस सच को साबित किया है उस नन्ही परी मेहर ने जिसकी आंखों में जन्म से ही रोशनी नहीं है, लेकिन सपनों और जज्बे की चमक इतनी तेज है कि पूरा देश ओर प्रदेश उसके साहस को सलाम कर रहा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सुंदरबनी की आठ वर्षीय मेहरा वैद्य पुत्री धीरज को जब 15 अगस्त पर जिला राजौरी में मुख्य अतिथि डीडीसी अध्यक्ष नसीम लियाकत और डीसी राजौरी अभिषेक शर्मा ने इस असाधारण प्रतिभा को सम्मानित किया। मंच पर जब मेहर पहुंची तो तालियों की गूंज से पूरा सभागार गूंज उठा। हर कोई भावुक था, हर किसी की आंखों में गर्व था।

    यह भी पढ़ें- कश्मीर घाटी में सड़े गले मांस के खिलाफ अभियान जारी, सब्जियों के आसमान छूते दामों से जनता परेशान

    मेहर की आंखों में बचपन से ही रोशनी नहीं

    मेहर के पिता धीरज वैद्य ने बताया कि मेहर की आंखों में बचपन से ही रोशनी नहीं है, इसलिए हमने उसे बेहतर भविष्य के लिए ब्लाइंड स्कूल देहरादून में पढ़ाई के लिए छोड़ा है। जहां उसने पढ़ाई के साथ-साथ कंप्यूटर में अपनी अलग पहचान बनाई है। आज उसकी मेहनत और लगन ने हमारी दुनिया रोशन कर दी।

    तकनीक को ताकत बना चुकी है मेहर

    मेहर कंप्यूटर में माहिर है और तकनीक को अपनी सबसे बड़ी ताकत बना चुकी है। वह बताती है कि अगर हौसला हो तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता। मेहर अब सिर्फ अपने माता-पिता की उम्मीद नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश ओर देश की प्रेरणा बन चुकी है। उसकी कहानी बताती है कि असली उड़ान पंखों से नहीं, हौसलों से होती है।

    यह भी पढ़ें- जम्मू-कश्मीर में 91 सरकारी वेबसाइटें आधिकारिक तौर पर बंद, JaKeGA ने बताया इस वजह से पोर्टल चालू नहीं

    स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर जिला प्रशासन ने मेहर के जज्बे को सलाम करते हुए उसे सम्मानित किया। कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट से मेहर का हौसला बढ़ाया और कहा कि वह आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा है।

    कार्यक्रम में मौजूद हर शख्स मेहर के साहस और प्रतिभा से भावुक हो उठा। तालियों की गड़गड़ाहट ने यह संदेश दिया कि सीमाएं इंसान के जज्बे को नहीं रोक सकतीं।