Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    नरसंहार नहीं, 4056 अज्ञात कब्रें में पाकिस्तानी और स्थानीय आतंकवादी थे दफन; सर्वे ने खोला पोल तो मचा हड़कंप

    Updated: Sun, 07 Sep 2025 08:13 PM (IST)

    कश्मीर में हुए एक अध्ययन के अनुसार उत्तरी कश्मीर में 4056 अज्ञात कब्रों में से 90% से अधिक विदेशी और स्थानीय आतंकवादियों की हैं। सेव यूथ सेव फ्यूचर फाउंडेशन के अध्ययन में बारामुला कुपवाड़ा और बांडीपोरा के 373 कब्रिस्तानों का निरीक्षण किया गया। अध्ययन में पाया गया कि अधिकांश कब्रें विदेशी आतंकवादियों की हैं।

    Hero Image
    4056 अज्ञात कब्रों में से 90 प्रतिशत विदेशी और स्थानीय आतंकवादियों की। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, जम्मू। कश्मीर में हुए एक अध्ययन में यह पाया गया है कि उत्तरी कश्मीर में जांची गई 4056 अज्ञात कब्रों में से 90 प्रतिशत से अधिक विदेशी और स्थानीय आतंकवादियों की हैं। अक्सर कुछ संगठन इन कब्रों को राज्य प्रायोजित अत्याचारों के सबूत के रूप में पेश करते थे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कश्मीर घाटी में अज्ञात और अज्ञात कब्रों का एक आलोचनात्मक अध्ययन शीर्षक वाली यह रिपोर्ट कश्मीर स्थित गैर सरकारी संगठन सेव यूथ सेव फ्यूचर फाउंडेशन द्वारा किए गए अध्ययन पर आधारित है।

    वजाहत फारूक भट, जाहिद सुल्तान, इरशाद अहमद भट, अनिका नज़ीर, मुद्दसिर अहमद डार और शब्बीर अहमद के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने उत्तरी कश्मीर के सीमावर्ती जिलों बारामुला, कुपवाड़ा और बांडीपोरा और मध्य कश्मीर के गांदरबल में 373 कब्रिस्तानों का भौतिक निरीक्षण और दस्तावेजीकरण किया।

    अध्ययन करने वाले वजाहत फारूक भट ने कहा लोगों द्वारा वित्त पोषित संगठन ने 2018 में इस परियोजना की शुरुआत की और 2024 में जमीनी कार्य पूरा किया। उसके बाद हम विभिन्न सरकारी कार्यालयों को प्रस्तुत करने के लिए रिपोर्ट तैयार कर रहे थे। यह रिपोर्ट कश्मीर घाटी में दहशत फैलाने के लिए सीमा पार से गढ़े जा रहे किसी भी कथानक का खंडन करने के लिए एक ठोस सबूत साबित हो सकती है ।

    जीपीएस टैगिंग, फोटोग्राफिक दस्तावेज़ीकरण, मौखिक साक्ष्य और आधिकारिक अभिलेखों के विश्लेषण करते हुए अध्ययन किया गया। इसका उद्देश्य असत्यापित विवरणों पर निर्भर रहने के बजाय साक्ष्य प्रदान करना था।

    शोधकर्ताओं के अनुसार शोध दल ने कुल 4056 कब्रों का दस्तावेजीकरण किया और आंकड़े एक ऐसी वास्तविकता को उजागर करते हैं जो निहित स्वार्थ वाले समूहों द्वारा किए गए पिछले दावों से काफी अलग है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2,493 कब्रें, लगभग 61.5 प्रतिशत विदेशी आतंकवादियों की थीं जो आतंकवाद विरोधी अभियानों में मारे गए थे।

    इसमें कहा गया है कि इन व्यक्तियों के पास अक्सर अपने नेटवर्क को छिपाने और पाकिस्तान की संभावित अस्वीकृति को बनाए रखने के लिए पहचान का अभाव होता था।

    लगभग 1208 कब्रें लगभग 29.8 प्रतिशत कश्मीर के स्थानीय आतंकवादियों की थीं जो सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ों में मारे गए थे। इनमें से कई कब्रों की पहचान सामुदायिक साक्ष्यों और पारिवारिक स्वीकारोक्ति के माध्यम से की गई थी।

    शोधकर्ताओं को केवल नौ पुष्ट नागरिक कब्रें मिलीं जो कुल का मात्र 0.2 प्रतिशत है। यह निष्कर्ष नागरिक सामूहिक कब्रों के दावों का सीधा खंडन करता है।

    अध्ययन में 1947 के कश्मीर युद्ध के दौरान मारे गए आदिवासी आक्रमणकारियों की 70 कब्रों की भी पहचान की गई। भट ने मानवीय चिंताओं को दूर करने के लिए आधुनिक डीएनए परीक्षण का उपयोग करके 276 वास्तविक रूप से अचिह्नित कब्रों की व्यापक फोरेंसिक जांच की आवश्यकता पर बल दिया।

    शोध में विभिन्न हितधारकों के साथ साक्षात्कार किए गए। इनमें स्थानीय मौलवी और औकाफ मस्जिद समितियों के सदस्य, दशकों के अनुभव वाले कब्र खोदने वाले, स्थानीय आतंकवादियों और लापता लोगों के परिवार, स्थानीय दफन प्रथाओं की जानकारी रखने वाले लंबे समय से रह रहे निवासी और आत्मसमर्पण कर चुके या रिहा हो चुके पूर्व आतंकवादी शामिल हैं।

    यह रिपोर्ट उन समूहों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के उन दावों को खारिज करती है जिन्होंने इन कब्रिस्तानों को राज्य प्रायोजित अत्याचारों के सबूत के रूप में चित्रित किया है।वजाहत फ़ारूक़ भट ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से नीतिगत निर्णय लेने से पहले ऐसे दावों के व्यवस्थित सत्यापन की मांग करने का आह्वान किया।