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    J&K News: तीन साल की लंबी लड़ाई के बाद बिलकिस मीर को मिली जीत, हाईकोर्ट ने रद की FIR; जानें पूरा मामला

    श्रीनगर की बिलकीस मीर को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया है। अदालत ने अधिकारियों की आलोचना करते हुए कहा कि प्रतिभाशाली लोगों को परेशान किया जा रहा है। बिलकीस मीर ने कहा कि उन्हें न्याय मिला है और इससे उनका मनोबल बढ़ा है। उन्होंने वाटर स्पोर्ट्स में देश का प्रतिनिधित्व किया है।

    By naveen sharma Edited By: Sushil Kumar Updated: Sat, 26 Jul 2025 11:35 PM (IST)
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    बिलकीस मीर के खिलाफ एफआईआर रद। फोटो जागरण

    राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। तीन वर्ष से अदालत में अपने खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा दर्ज एफआईआर को रद्द कराने के लिए लगातार लड़ रही बिलकीस मीर अंतत: जीत गई है।

    2024 पेरिस ओलंपिक में कयाकिंग और कैनोइंग के लिए भारत की एकमात्र महिला जज बिलकिस मीर के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद करने का निर्देश देते हुए जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने अधिकारियों की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि "ऐसा लगता है कि सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोग ऐसे प्रतिभाशाली लोगों को परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

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    अदालत ने कहा कि जब मीर ने दुनिया भर में देश का नाम रोशन किया है, तब उनके द्वारा "तकनीकी योग्यता हासिल न करने को आपराधिक ठहराने" का एसीबी का रवैया "हमारे खेल नायकों के साथ हमारे व्यवहार के तरीके को दर्शाता है" और यह मामला "निहित स्वार्थों द्वारा याचिकाकर्ता के खिलाफ शुरू की गई एक भेद-भावपूर्ण कार्रवाई" के अलावा कुछ नहीं लगता।

    दैनिक जागरण के साथ फोन पर बातचीत में बिलकीस मीर ने कहा कि आप अंदाजा नहीं लगा सकते कि मेरी उस समय क्या स्थिति थी जब मुझे मीडिया से पता चला कि एसीबी ने मेरे खिलाफ मामला दर्ज किया है।

    मेरी आंखों के आगे अंधेरा छा गया, मझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करुप् मैने कोई गलत काम नहीं किया था। एसीबी ने मेरे खिलाफ भ्रष्टाचार का अारोपलगाते हुए अपनी एफआईआर में कहा था कि मैने अपने प्रोबशन के दौरान शारीरिक शिक्षा में स्नातक की पढ़ाई पूरी नहीं की की।

    इसके अलावा एसीबी ने 2023 में मीर के खिलाफ जम्मू-कश्मीर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसमें उन पर सरकारी काम के लिए कानूनी पारिश्रमिक से परे रिश्वत लेने और एक आपराधिक साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया गया था।

    बिलकीस मीर ने कहा कि मैने जब यहां वाटर स्पोर्टस को अपनाया, उस समय यहां आतंकी हिंसा अपने चरम पर थी7 मैने उस समय अपने देश के लिए खेला, अन्रू लड़के लड़कियों को भी प्रेरित किया। मैं किसी से नहीं डरी,लेकिन एसीबी की एफआइआर और आरोपों से मुझे बहुत झटका लगा। मैने इसके खिलाफ अदालत में ड़ने का फैसला किया।

    हंगरी में 2009 के कैनोइंग और कयाकिंग विश्व कप में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली बिलकीस मीर एशियाई खेलों (चीन) में जज के रूप में नियुक्त होने वाली पहली भारतीय महिला थीं और उन्होंने लंदन ओलंपिक 2012 में कयाकिंग और कैनोइंग में महिला टीम की राष्ट्रीय कोच के रूप में कार्य किया।

    मीर को बुडापेस्ट के सेमेल्विस यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ कोचिंग एंड स्पोर्ट से अंतर्राष्ट्रीय कोचिंग डिप्लोमा प्राप्त करने वाली पहली भारतीय महिला होने का गौरव भी प्राप्त है।

    उनकी कोचिंग भूमिकाओं में अंडर-23 कैनो स्लैलम विश्व चैम्पियनशिप (इटली 2018) में महिला राष्ट्रीय टीम की मुख्य कोच और 9वीं एशियाई कैनो स्लैलम चैम्पियनशिप (टोयामा, जापान 2016) के लिए राष्ट्रीय कोच शामिल हैं। बिलकीस मीर ने कहा कि अदालत मेें मुझे न्याय मिला।

    अपने 20-पृष्ठ के आदेश में, न्यायमूर्ति संजय धर ने भारतीय ओलंपिक संघ के उपाध्यक्ष द्वारा मुख्य सचिव को 16 फ़रवरी, 2024 को लिखे गए एक पत्र का हवाला दिया, जिसमें याचिकाकर्ता की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया था और कहा गया था कि ओलंपिक में अंपायरिंग के लिए मीर का चयन न केवल पूरे देश के लिए, बल्कि विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर के लिए गर्व की बात है।

    अदालत ने इस पत्र का भी उल्लेख किया कि यह भारत की सभी महिलाओं के लिए एक उत्सव और विजय का विषय है कि उन्होंने वह हासिल किया है जो ओलंपिक के सौ से अधिक वर्षों में किसी और ने हासिल नहीं किया।

    अधिकारियों पर कड़ी फटकार लगाते हुए, अदालत ने कहा कि इस देश ने मीर के स्तर की बहुत कम खेल हस्तियां और कोच पैदा किए हैं और ऐसा लगता है कि उन्हें सम्मानित करने और उनकी उपलब्धियों का जश्न मनाने के बजाय, सत्ता में बैठे लोग ऐसे प्रतिभाशाली लोगों को परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं"।

    अदालत ने कहा, "इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि आज़ादी के 75 साल से भी ज़्यादा समय बाद भी, यह देश खेल संस्कृति विकसित करने में विफल रहा है, जिसके परिणामस्वरूप, हम अपनी आबादी के अनुपात में अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी तैयार करने में विफल रहे हैं।

    अदालत ने कहा कि मीर द्वारा तकनीकी योग्यता हासिल न करने को अपराध बताने में एसीबी का रवैया "हमारे खेल नायकों के साथ हमारे व्यवहार के तरीके को दर्शाता है।

    अदालत ने कहा कि वह यह देखकर "चिंतित" है कि एसीबी ने यह जांच भी की कि क्या मीर की स्नातक परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं का परीक्षकों द्वारा उचित मूल्यांकन किया गया है।एसीबी का यह रवैया याचिकाकर्ता (मीर) पर बदले की भावना से स्पष्ट रूप से प्रहार करता है। वर्तमान मामला याचिकाकर्ता के विरुद्ध निहित स्वार्थों द्वारा शुरू किया गया एक षड्यंत्र प्रतीत होता है।

    भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 528 का हवाला देते हुए, जो कानूनी प्रक्रिया के दुरुपयोग को रोकने और न्याय के उद्देश्यों को सुरक्षित करने के लिए उच्च न्यायालय की अंतर्निहित शक्तियों से संबंधित है, अदालत ने कहा कि इन परिस्थितियों में मीर के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही जारी रखनाकानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है और एफआईआर रद्द कर दी।

    बिलकीस मीर ने कहा कि अदालत के फैसले ने मेरा मनोबल बढ़ाया है। एकसमय था जब मैं इस खेल से खुद को पूरी तरह अलग करने पर सोच रही थी। लेकिन मैने ऐसा नहीं किया,क्योंकि मुझे लगा कि इससे हमारी आगे आने वाली बच्चियां खेलों में भाग लेने से बचेंगी, वह खेलों ें अपना कैरियर तलाश नही करेंगे।