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    CM Omar ने बिजली के निजिकरण की अटकलों को किया खारिज, बाेले- बिलिंग, राजस्व वसूली बढ़ाएं तो इसकी आवश्यकता नहीं होगी

    Updated: Tue, 16 Sep 2025 04:33 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सावलकोट बिजली परियोजना को शुरू करने के लिए हर संभव प्रयास करने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दिलाने के लिए राजनीतिक और कानूनी प्रयास जारी रहेंगे। उमर अब्दुल्ला ने बिजली के निजीकरण की अटकलों को खारिज किया और कहा कि उनका लक्ष्य जम्मू-कश्मीर में बिजली क्षेत्र को मजबूत और बेहतर बनाना है।

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    उमर ने राज्य के दर्जे की बहाली के लिए कानूनी विशेषज्ञों से सलाह लेने की बात भी कही।

    राज्य ब्यूरो, जागरण, श्रीनगर। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को सावलाकोट बिजली परियोजना को शुरु करने के लिए हर संभव प्रयास करने का यकीन दिलाने के साथ ही कहा कि जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा दिलाने के लिए राजनीतिक व कानूनी दोनों तरह के प्रयास जारी रहेंगे।

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    शेरे कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर एसकेआइसीसी में 58वें इंजीनियर्स दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में भाग लेने के बाद पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि चिनाब नदी पर प्रस्तावित सावलाकोट परियोजना राजनीतिक कारणों के कारण अधर में लटकी पड़ी है।

    उन्होंने कहा कि बिजली उत्पादन और कुशल वितरण जम्मू-कश्मीर में आर्थिक समृद्धि की कुंजी है। हमें जम्मू-कश्मीर में बिजली की हानि कम करने , जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने के लिए अपनी विशाल जलविद्युत क्षमता का दोहन करने पर ध्यान केंद्रित करने की जरुरत है और हम इसी दिशा में हर संभव प्रयास कर रहे हैं।

    उन्होंने बिजली के निजीकरण की अटकलों को खारिज करते हुए स्पष्ट रूप से कहा कि हम निजीकरण की बात नहीं कर रहे हैं। अगर हम अपने घाटे को कम कर लें, बिलिंग दक्षता में सुधार करें और राजस्व सृजन बढ़ाएं, तो इसकी कोई आवश्यकता नहीं होगी। मेरा लक्ष्य जम्मू-कश्मीर में बिजली क्षेत्र को मजबूत और बेहतर बनाना है।"

    सावलाकोट परियोजना को पुनर्जीवित करने की कोशिश

    सावलाकोट परियोजना से जुड़े सवाल पर उन्होने उन्होंने कहाकि 1100 मेगावाट से भी ज्यादा क्षमता वाली सावलाकोट परियोजना राजनीतिक कारणों पटरी से उतर गई थी।"इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि सावलकोट बिजली परियोजना राजनीति की भेंट चढ़कर बरबाद हुई है।

    अब हमारे लिए इसे पुनर्जीवित करना बहुत मुश्किल हो गया है क्योंकि कीमतें बहुत बढ़ गई हैं। इसके बावजूदहम किसी तरह इस परियोजना को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि इससे जम्मू-कश्मीर में 1100 मेगावाट से ज़्यादा बिजली पैदा होगी।

    राज्य का दर्जा दिलाने के लिए प्रयास जारी

    राज्य के दर्जे के मुद्दे पर पर पूछे गए सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उनकी पार्टी ने यह मांग उठाना बंद नहीं किया है और राष्ट्रीय नेताओं से समर्थन मांग रही है।हमने राज्य के दर्जे पर बात करना बंद नहीं किया है।

    मैं, खासकर शरद पवार साहब का, आभारी हूं, जिन्होंने हाल ही में प्रधानमंत्री को जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य बनाने के वादे के बारे में एक बहुत ही अच्छा पत्र भेजा है। मैंने हाल ही में संपन्न संसद सत्र के दौरान सभी नेताओं से इस मामले में हमारी मदद करने का अनुरोध भी किया था।

    मुझे लगा प्रधानमंत्री 15 अगस्त को घोषणा करेंगे

    मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री 15 अगस्त को राज्य का दर्जा बहाल करने की घोषणा करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा, "फिर भी, हम अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। हम कानूनी विशेषज्ञों से सलाह ले रहे हैं क्योंकि इस मामले की सुनवाई अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट में होनी है।

    फिलहाल, इस मामले में पैनल में शामिल निजी पक्ष अपनी दलीलें रख रहे हैं। हम अब वकीलों से बात कर रहे हैं कि इसमें कोई और रणनीति बनाई जाए या नहीं। हमारी पार्टी जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए अपने राजनीतिक और कानूनी प्रयास जारी रखेगी।

    बिजली क्षेत्र में सुधार के लिए प्रयास

    इससे पूर्वएसकेआईसीसी में 58वें इंजीनियर्स दिवस पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि बिजली उत्पादन और कुशल वितरण जम्मू-कश्मीर में आर्थिक समृद्धि की कुंजी है।

    उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर की वित्तीय स्थिति को बदलने का यही एकमात्र तरीका है। हमें बिजली पैदा करनी चाहिए और उसे दूसरे क्षेत्रों को बेचना चाहिए, खासकर जब उनका उत्पादन कम हो। लेकिन इसके लिए हमें सबसे पहले बिजली क्षेत्र में घाटे को कम करना होगा।"

    जलविद्युत परियोजना की स्थापत लागत अधिक

    नवीकरणीय ऊर्जा की तुलना में जलविद्युत की चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने कहा कि जलविद्युत परियोजना की स्थापित लागत बहुत अधिक है, लेकिनसमय के साथ प्रति यूनिट लागत कम होती जाती है।

    सौर ऊर्जा अब दो रुपये से अढ़ाई रुपये प्रति यूनिट पर उपलब्ध होने के कारण, प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो जाता है। लेकिन जलविद्युत हमारा एकमात्र व्यवहार्य संसाधन बना हुआ है, और हमें दक्षता में सुधार के साथ-साथ परियोजनाओं का विकास जारी रखना चाहिए।"

    बिजली दरें लोगों की क्षमता अनुसार होना चाहिए

    मुख्यमंत्री ने दोहराया कि टैरिफ युक्तिकरण लोगों की भुगतान क्षमता के अनुसार होना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि अमीर अधिक योगदान दें जबकि गरीब कम भुगतान करें।

    ऊर्जा विभाग को व्यक्तिगत रूप से अपने पास रखने के अपने निर्णय के बारे में बताते हुए, उमर अब्दुल्ला ने कहा अगर हम वास्तव में जम्मू-कश्मीर को समृद्ध बनाना चाहते हैं, तो सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र विद्युत विकास विभाग है और इसलिए मैने यह विभाग अपने पास रखा है।

    उन्होंने समारोह में माैजूद इंजीनियरों से कहा कि मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि घाटे को कम करने और दक्षता में सुधार लाने की गति बनाए रखें।" मुख्यमंत्री ने बगलिहार परियोजना जैसी ऐतिहासिक जलविद्युत पहलों की सराहना की, जिसने प्रति-गारंटियों की कमी जैसी चुनौतियों के बावजूद जम्मू-कश्मीर के बिजली परिदृश्य को बदल दिया।