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    लश्कर से जुड़े दो शिक्षकों को बर्खास्त करने पर भड़के CM उमर अब्दुल्ला, बोले- LG का एक्शन ठीक नहीं; बचाव के लिए...

    Updated: Thu, 30 Oct 2025 08:15 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने आतंकियों के मददगार दो शिक्षकों को बर्खास्त करने पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि सज़ा से पहले कर्मचारियों को बचाव का मौका मिलना चाहिए, और नौकरी से निकालने का फैसला अदालत को करना चाहिए। 

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    लश्कर से जुड़े दो शिक्षकों को बर्खास्त करने पर भड़के CM उमर अब्दुल्ला। फाइल फोटो

    नवीन नवाज, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने आतंकियों के ओवरग्राउंड वर्कर के रूप में काम करने वाले दो सरकारी अध्यापकों की सेवाएं समाप्त करने पर एतराज जताते हुए कहा कि जिस भी सरकारी कर्मचारी को कोई सजा दी जाए, उससे पहले उसे अपना बचाव करने का पूरा मौका दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैंने हमेशा कहा है कि नौकरी से निकालने का फैसला अदालत को करना चाहिए। हर किसी को अपना बचाव करने का मौका मिलना चाहिए।

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    कई कर्मचारी जिन्हें नौकरी से निकाला गया, बाद में बरी होने के बाद अपनी पद पर वापस आ गए। जिससे पता चलता है कि ऐसे फैसले अक्सर गलत जजमेंट पर आधारित होते हैं। इसलिए दोषियों को सज़ा देने के लिए अदालती प्रक्रिया का इस्तेमाल करना बेहतर होगा। शक के आधार पर की गई कार्रवाई सभी को नुकसान पहुंचाती है।

    मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त करने का फैसला शक के आधार पर नहीं होना चाहिए अदालत में दोषी करार दिए जाने के बाद ही होना चाहिए। नौकरी से निकालने का निर्णय अदालत को करना चाहिए, प्रत्येक सरकारी कर्मचारी को कोई भी सज़ा देने वाली कार्रवाई करने से पहले संबधित कर्मचारी को अपना बचाव करने का पूरा मौका मिलना चाहिए।

    आज जिन दो सरकारी कर्मियों की सेवाएं समाप्त की गई हैं, दोनों ही शिक्षक हैं और उनमें एक रियासी में माहोर का रहने वाला गुलाम हुसैन और दूसरा जिला राजौरी का माजिद इकबाल डार है। दोनों शिक्षा विभाग में अपनी सेवाएं प्रदान करने की आड़ में राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में लगे हुए थे।

    यह दोनों सीमा पार बैठे आतंकी हैंडलरों के साथ लगातार संपर्क में रहते हुए सिर्फ रियासी और राजौरी में ही नहीं प्रदेश के अन्य भागों में भी आतंकी नेटवर्क की मदद कर रहे थे। इन दोनों के खिलाफ विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों द्वारा की गई जांच में जुटाए गए साक्ष्यों और इनके खिलाफ विभिन्न थानों में दर्ज मामलों का संज्ञान लेते हुए ही यह कार्रवाई की गई है। मौजूदा परिस्थितियों मं यह दोनों जेल में बंद हैं।

    यहां यह बताना असंगत नहीं होगा कि अगस्त 2020 में केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रदेश के उपराज्यपाल के पद पर आसीन होने के बाद उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आतंकवाद और अलगाववाद के प्रति शून्य सहिष्णुता व उनके पारिस्थितक तंत्र के समूल नाश का एक अभियान चला रखा है।

    इसी अभियान के तहत सरकारी तंत्र में बैठे आतंकियों व अलगाववादियों के मददगारों को चिह्नित करते हुए उनकी सेवाएं बर्खास्त की जा रही हैं और उनके खिलाफ संबंधित कानून के तहत भी कार्रवाई को सुनिश्चित किया जा रहा है।