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    पहलगाम अटैक के बाद कश्मीर के लोगों पर छाया संकट, 1500 लोग भुखमरी के कगार पर; घोड़ेवाले ने LG से लगाई गुहार

    Updated: Sat, 23 Aug 2025 10:03 AM (IST)

    बैसरन में आतंकी हमले के बाद कई पर्यटन स्थलों को बंद रखने से युसमर्ग के निवासियों की आजीविका संकट में है। जावेद अहमद खारी नामक एक स्थानीय निवासी अपने बीमार घोड़े के साथ राजभवन पहुंचा ताकि उपराज्यपाल को अपनी परेशानी बता सके लेकिन उनसे मुलाकात नहीं हो पाई। युसमर्ग के लगभग 1500 घोड़े वाले भुखमरी के कगार पर हैं और सरकार से पर्यटन स्थल खोलने की गुहार लगा रहे हैं।

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    भूख से बेहाल घोड़ेवाला उपराज्यपाल से मिलने पहुंचा राजभवन

    राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। बैसरन में आतंकी हमले के बाद बेशक स्थिति सामान्य हो चली है, लेकिन कई पर्यटन स्थलों को पर्यटकों के लिए बंद रखे जाने से स्थानीय लोगों के सामने आजीविका का संकट पैदा हो गया है। उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि वह कहां जाएं।

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    युसमर्ग निवासी जावेद अहमद खारी शुक्रवार शाम को अपने बीमार घोड़े को लेकर राजभवन तक पहुंच गया। वह राजभवन में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मिल उन्हें अपनी व्यथा सुनाना चाहता था, लेकिन उपराज्यपाल उस समय वहां नहीं थे और उसे राजभवन के दरवाजे से मायूस होकर लौटना पड़ा।

    जावेद अहमद खारी जिला बडगाम के पर्यटन स्थल युसमर्ग में पर्यटकों को अपने घोड़े पर सैर करा कर अपने परिवार का गुजारा करता है। युसमर्ग में लगभग 1500 घोड़े वाले हैं और सभी इन दिनों भुखमरी के कगार पर हैं। जावेद अहमद ने कहा कि तीन माह से हम बेकार हैं।

    हमारे लिए अपनी रोटी तो दूर अपने घोड़ों के लिए चारा जुटाना भी मुश्किल हो गया है। इसलिए मैंने आज राजभवन में घोड़े संग पहुंचने का फैसला किया था। मैं चाहता था कि उपराज्यपाल साहब से मिलकर उन्हें अपनी और अपने घोड़े की हालत दिखाऊं। जब कश्मीर में हालात ठीक हो गए हैं तो फिर उन्हें युसमर्ग में पर्यटकों पर लगी पाबंदी को हटा लेना चाहिए।

    जावेद ने कहा कि वह सुबह करीब 11 बजे अपने घर से निकला था। घोड़ा लेकर आया हूं और शाम करीब साढ़े चार बजे गुपकार मार्ग पर स्थित राजभवन के पास पहुंचा। मैं उन्हें (अपने घोड़े की दुर्दशा दिखाना चाहता था। सरकार लोगों की दुर्दशा नहीं समझ सकती, लेकिन शायद वे हमारे जानवरों की भाषा समझ सकें।

    कश्मीर पर्यटन विभाग में पंजीकृत पर्यटक गाइड जावेद खारी ने कहा कि पर्यटन स्थल बंद होने के बाद से मैं घर पर बेकार बैठा हूं। मैं अपनी पत्नी से 400 रुपये लेकर श्रीनगर पहुंचा, क्योंकि मैं और बर्दाश्त नहीं कर सकता था और अपने साथियों को बेरोज़गारी से जूझते नहीं देख सकता था।

    हमारे पास कोई वैकल्पिक आय या कृषि भूमि नहीं है। मैं अपने पिता की दवा का खर्च उठाने या पारिवारिक ज़िम्मेदारियां उठाने के लिए संघर्ष कर रहा हूं। उसने कहा कि अगर यसमर्ग को पर्यटकों के लिए नहीं खोला गया तो आने वाले दिनों में डेढ़ हजार घोड़े वाले अपने बच्चों के साथ राजभवन पहुंचेंगे। उनके साथ बड़गाम के दूधपथरी से ताल्लुक रखने वाले इंजीनियर नज़ीर अहमद यत्तु भी थे। यत्तु ने एक पोस्टर उठा रखा था कि जिस पर उपराज्यपाल से बंद पड़े सभी पर्यटन स्थलों को फिर से खोलने की अपील थी।