Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जैश-ए-मोहम्मद का नया हथकंडा, महिला आतंकी विंग जमात उल मोमिनात का गठन, सादिया अजहर को मिला जिम्मा

    By NAVEEN SHARMAEdited By: Rahul Sharma
    Updated: Thu, 09 Oct 2025 06:47 PM (IST)

    जैश-ए-मोहम्मद नामक आतंकी संगठन महिला जिहादियों की फौज बनाने की साजिश रच रहा है, जिसका जिम्मा सादिया अजहर को सौंपा गया है। सादिया का काम महिलाओं को कट्टरपंथी बनाकर जिहादी गतिविधियों में शामिल करना है। खुफिया एजेंसियों ने इस साजिश के प्रति चेतावनी जारी की है, क्योंकि यह सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। 

    Hero Image

    पहले भी आतंकी संगठन महिलाओं का इस्तेमाल करते रहे हैं।

    नवीन नवाज, जागरण, श्रीनगर। जैश-ए-मोहम्मद ने अपनी आतंकी गतिविधियों को गति देने के लिए एक बार फिर महिला आतंकियों की भर्ती शुरू कर दी है। इस बार महिला आतंकियों के विंग का नाम जमात उल मोमिनात रखा गया है, जिसकी कमान जैश सरगना मसूद अजहर की छोटी बहन सादिया अजहर को सौंपी गई है। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जमात उल मोमिनात के गठन का उद्देश्य

    जमात उल मोमिनात के गठन का उद्देश्य महिलाओं को इस्लाम के नाम पर हिंसक हमलों के लिए तैयार करना है। इस विंग में भर्ती के लिए जैश कमांडरों की पत्नियों, बहनों-बेटियों के अलावा गरीब परिवारों की महिलाओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्हें इस्लाम के नाम पर इसमें शामिल होने की दावत दी जा रही है। 

    भर्ती प्रक्रिया 8 अक्टूबर से शुरू

    जमात उल मोमिनात के लिए भर्ती प्रक्रिया 8 अक्टूबर से शुरू हो चुकी है, जो बहावलपुर पाकिस्तान में स्थित जैश के एक प्रमुख केंद्र मर्कज-उस्मान-ओ-अली में हो रही है। जैश ने महिला आतंकियों की भर्ती के लिए बहावलपुर, मुल्तान, सियालाकोट, कराची, मुजफ्फराबाद, कोटली, हरिपुर मनशेरा में एक विशेष अभियान चलाया है। 

    कौन है सादिया अजहर

    सादिया अजहर का पति यूसुफ अजहर उर्फ उस्ताद जी गत 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर में भारत की जैश मुख्यालय पर की गई कार्रवाई में मारा गया था। सादिया अजहर अब जैश के महिला विंग की कमान संभाल रही है और महिलाओं को आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रेरित कर रही है। 

    कश्मीर मामलों के जानकारों की राय

    कश्मीर मामलों के जानकार रशीद राही ने कहा कि महिलाओं के हथियार उठाने या फिर आतंकी वारदातों में उनकी सक्रिय भागीदारी को लेकर जैश-ए-मोहम्मद में मतभेद रहे हैं। इसलिए जैश-ए-मोहम्मद ने महिला आतंकियों का अब तक ज्यादा इस्तेमाल नहीं किया है। 

    शाह ने कहा कि अगर जैश ने महिला आतंकियों की फौज तैयार करने का फैसला किया है, तो यह इस बात का संकेत है कि जैश का जो पहले नेटवर्क था, वह ऑपरेशन सिंदूर में तबाह हो गया है और यही कारण है कि वह अब महिलाओं के सहारे अपने खूनी कारोबार को आगे बढ़ाना चाहता है। 

    महिला आतंकियों की भूमिका

    महिला आतंकी न सिर्फ स्वयं मरने-मारने को तैयार होंगी, बल्कि दूसरों को भी इस्लाम के नाम पर हिंसक हमलों के लिए तैयार करेंगी। जमात उल मोमिनात एक शिक्षा केंद्र और महिला कल्याण केंद्र के रूप में काम करेगा, लेकिन असलियत में यह महिला जिहादियों की फौज तैयार करने का एक केंद्र होगा। 

    इससे पहले भी जैश-ए-मोहम्मद ने महिला आतंकियों का इस्तेमाल किया है, जिनमें से एक यास्मीना नामक युवती थी, जो 2006 में अवंतीपोर में एक आत्मघाती हमले में मारी गई थी। वह जैश के महिला विंग बन्नत ए आयशा की सदस्य थी, जिसकी गतिविधियां एक लंबे समय से बंद पड़ी हुई थीं। 

    अब देखना यह है कि जैश-ए-मोहम्मद की महिला आतंकियों की फौज जम्मू-कश्मीर में कितना प्रभाव डालती है और क्या वे अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल हो पाएंगी।