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    कारगिल सिर्फ इतिहास में एक जगह नहीं, भारत के धैर्य-अटूट भावना का जीवंत प्रतीक है, कारिगल दिवस पर बोले खेल मंत्री डॉ मंडाविया

    Updated: Sat, 26 Jul 2025 05:25 PM (IST)

    कारगिल विजय दिवस की 26वीं वर्षगांठ पर युवा मामले एवं खेल मंत्रालय ने द्रास कारगिल में कारगिल विजय दिवस पदयात्रा का आयोजन किया। केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया और संजय सेठ ने 3000 से अधिक युवा स्वयंसेवकों के साथ पदयात्रा का नेतृत्व किया। यह यात्रा हिमाबास पब्लिक हाई स्कूल से गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल भीमबेट तक चली। मंडाविया ने युवाओं से राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पित रहने का आह्वान किया।

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    रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ ने कारगिल के नायकों से प्रेरणा लेने को कहा।

    राज्य ब्यूरो,जागरण, श्रीनगर। वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध में भारत की ऐतिहासिक विजय के 26 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में युवा मामले एवं खेल मंत्रालय (एमवाईएएस) के तत्वावधान में माई भारत (मेरा युवा भारत) ने आज द्रास, कारगिल में 'कारगिल विजय दिवस पदयात्रा' का आयोजन किया।

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    पदयात्रा का नेतृत्व केंद्रीय युवा मामले एवं खेल तथा श्रम और रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया और केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने किया। इस श्रद्धांजलि मार्च में 3,000 से अधिक युवा स्वयंसेवकों ने दिग्गजों, सेवारत सशस्त्र बल कर्मियों, शहीदों के परिवारों और नागरिक समाज के सदस्यों के साथ भाग लिया।

    एकता की इस भावना को आगे बढ़ाते हुए, पदयात्रा ने हिमाबास पब्लिक हाई स्कूल के मैदान से गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल, भीमबेट तक 1.5 किलोमीटर के प्रतीकात्मक मार्ग पर चलकर अपनी यात्रा पूरी की।

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    पदयात्रा के दौरान, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की जीवंत परंपराओं को दर्शाने वाले सांस्कृतिक प्रदर्शनों ने इस अवसर को रंगीन और सार्थक बनाया, जो क्षेत्र की एकता और सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शा रहे थे।

    सभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री डा मनसुख मंडाविया ने कहा कि कारगिल सिर्फ इतिहास में एक जगह नहीं है, यह भारत के धैर्य और अटूट भावना का एक जीवंत प्रतीक है। यह एक शक्तिशाली स्मारक के रूप में खड़ा है कि जब हमारे राष्ट्र की संप्रभुता की रक्षा की बात आती है, तो भारत एकजुट, दृढ़ और अडिग रहता है।

    उन्होंने युवाओं से 'राष्ट्र प्रथम' की भावना से प्रेरित होकर एक मजबूत, आत्मनिर्भर और विकसित भारत के निर्माण के मिशन के लिए खुद को समर्पित करने का आह्वान किया। सांडो टाप की अपनी हालिया यात्रा पर विचार करते हुए डा मंडाविया ने कहा कि भारत ने कभी किसी पर आक्रमणनहीं किया, लेकिन उकसाए जाने पर हम साहस, गरिमा और दृढ़ संकल्प के साथ जवाब देते हैं।"

    केंद्रीय मंत्री ने भारत की बढ़ती रणनीतिक क्षमताओं पर भी प्रकाश डालते हुए आपरेशन विजय और ऑपरेशन सिंदूर को राष्ट्र के सैन्य इतिहास में मील के पत्थर के रूप में उद्धृत किया। उन्होंने फिर दोहराया कि भारत के सशस्त्र बल राष्ट्रीय गौरव और संप्रभुता के अटल संरक्षक बने हुए हैं।

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    अमृत पीढ़ी की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए डा मंडाविया ने उनसे राष्ट्रनिर्माण में जन भागीदारी का बीड़ा उठाने और 2047 तक विकसित भारत के दृष्टिकोण में सक्रिय रूप से योगदान करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि मारे बहादुर सैनिकों के सपनों को आगे बढ़ाना और एक मजबूत, आत्मनिर्भर भारत को आकार देने में मदद करना अब हमारी युवा शक्ति पर निर्भर है।"

    रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ ने इस अवसर पर अपने संबोधन में युवाओं के उत्साह की प्रशंसा की, साथ ही छात्रों को कारगिल के नायकों से प्रेरणा लेकर अनुशासन और राष्ट्रीय गौरव को आत्मसात करने के लिए प्रोत्साहित करते हुए सशस्त्र बलों के बलिदान पर प्रकाश डाला ।

    पदयात्रा के बाद, दोनों मंत्री, 100 माई भारत युवा स्वयंसेवकों के साथ, कारगिल युद्ध स्मारक पहुंचे जहां उन्होंने 1999 के युद्ध में अपने प्राणों की आहुति देने वाले सैनिकों को पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर डा मंडाविया ने शक्ति उद्घोष फाउंडेशन की 26 महिला बाइकर्स को भी सम्मानित किया, जिन्होंने शहीदों के सम्मान में एक लंबी दूरी की मोटरसाइकिल रैली पूरी की थी।

    इस कार्यक्रम में "एक पेड़ माँ के नाम" अभियान के तहत एक प्रतीकात्मक वृक्षारोपण भी शामिल था, जिसने देशभक्ति प्रतिबद्धता को पर्यावरणीय संरक्षण के साथ जोड़ा। पदयात्रा से पहले, माई भारत ने निबंध लेखन, चित्रकला, भाषण प्रतियोगिताएं, और युवा संवाद जैसी विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से क्षेत्र के आसपास के गांवों में युवाओं और समुदायों को संगठित किया था।

    इन आयोजनों का उद्देश्य नागरिक चेतना को बढ़ावा देना, राष्ट्रीय सेवा का सम्मान करना और सशस्त्र बलों के साथ भावनात्मक संबंध स्थापित करना था। 

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