शिक्षक की खाल में भेड़िया था माजिद इकबाल डार, पुलवामा हमले को दोहराने का रची थी साजिश; LG ने लिया बड़ा एक्शन
राजौरी के माजिद इकबाल डार, जो पेशे से शिक्षक था, लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम कर रहा था। वह युवाओं को आतंकी संगठनों में भर्ती करता था और नार्को टेरर के जरिए फंडिंग करता था। जनवरी 2023 में आईईडी लगाने की साजिश में गिरफ्तार होने के बाद उसका पर्दाफाश हुआ।
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एलजी सिन्हा ने माजिद इकबाल डार के खिलाफ लिया बड़ा एक्शन। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। नियंत्रण रेखा के साथ सटे खियोड़ा, राजौरी के रहने वाला माजिद इकबाल डार ने जनवरी 2023 में राजौरी में पुलवामा कांड को दोहराने का षडयंत्र रचा और उसके साथ ही शिक्षक के मुखौटे के पीछे छिपा उसका उसका असली चेहरा सभी के सामने आ गया।
वर्ष 2009 में अपने पिता की मृत्यु के बाद अनुकंपा के आधार पर स्कूल शिक्षा विभाग में लैब असिस्टेंट के रूप में नियुक्त होने के बाद 2019 में पदोन्नति के आधार पर वह शिक्षक बन गया।
सभी को लगता था कि वह एक अध्यापक है, लेकिन वह अध्यापक सिर्फ दिखावे के लिए था,असलियत में वह लश्कर-ए-तैयबा का ओवर ग्राउंड वर्कर के रूप में राजौरी और आसपास के क्षेत्र में युवाओं को आतंकी संगठनों में भर्ती करने वाले एक मॉडयूल को चलाता था। वह लश्कर ए तैयबा के कमांडर मोहम्मद जुबैर के विश्वस्तों में एक है और नार्को टेरर के जरिए अवैध नशीले पदार्थां की कमाई आतंकियों तक पहुंचा रहा था।
वह शायद न पकड़ा जाता, अगर राजौरी में जम्मू-कश्मीर बैंक के पास जनवरी 2023 में उसे आईईडी न लगाई होती। उसने लश्कर कमांडर के मंसूबे के मुताबिक बैंक के बाहर एक बड़ा धमाका कर कई लोगों की जान लेने का षडयंत्र रचा था।
पुलिस ने समय रहते आईईडी को बरामद कर लिया और उसके बाद माजिद डार समेत तीन लोगों को पकड़ा।जांच में पता चला कि वह सीमा पार बैठे लश्कर कमांडर मोहम्मद जुबैर के अलावा जोहेब शहजाद के साथ भी संपर्क में था।
उसने उनके कहने पर ही राजौरी को आईईडी से दहलाने का षडयंत्र रचा था और इसके लिए उसे आतंकी संगठन ने एक मोटी रकम दी थी। वह जेल में रहते हुए भी अपनी आतंकी व जिहादी मानसिकता का प्रदर्शन करता है।

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