Siachen Avalanche: सियाचिन ग्लेशियर में हिमस्खलन, दो अग्निवीर समेत तीन जवान बलिदान; बर्फ में दबे कैप्टन को बचाया
लद्दाख के सियाचिन ग्लेशियर में हिमस्खलन से दो अग्निवीरों समेत तीन सैनिक शहीद हो गए। शहीद सैनिकों में अग्निवीर डी राकेश अग्निवीर नीरज कुमार चौधरी और सिपाही एम कुमार शामिल हैं। सेना की बचाव टीमें घटनास्थल पर पहुंचकर शवों को निकालने और इलाके को सुरक्षित करने की कोशिश कर रही हैं।

राज्य ब्यूरो, जम्मू। केंद्र शासित प्रदेश में लद्दाख के विश्व के सबसे उंचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर में हुए हिमस्खलन में देशसेवा कर रहे भारतीय सेना के जवान बलिदान हो गए हैं। वहीं हिमस्खलन के दौरान बर्फ में दबे सेना के एक कैप्टन को बचा लिया गया है। सियाचिन के आधार शिविर के पास बारह हजार फुट की उंचाई पर हुए हिमस्खन में बलिदान होने वाले सेना के जवानों की पहचान सैनिक मोहित कुमार, अग्निवीर डाभी राकेश देवाभाई व अग्निवीर नीरज कुमार चौधरी के रूप में की गई है।
मंगलवार सुबह हिमस्खलन के बाद सेना ने क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अभियान छेड़ दिया। मंगलवार सुबह हिमस्खलन की चपेट में आए जवानों के पार्थिव शरीर बचाव अभियान चला रहे सैनिकों ने बर्फ खोद कर बरामद कर लिए हैं। सैन्य सूत्रों के अनुसार सेना के तीनों जवान महार रेजीमेंट के हैं। वे हिमस्खलन की चपेट में आने के बाद करीब पांच घंटे तक बर्फ के नीचे दबे रहे। इस दौरान उन्हें तलाशने के लिए बड़े पैमान पर प्रयास किए गए। वहीं सेना के जवानों ने बर्फ में दबे सेना को एक कैप्टन को बचा लिया।
सूत्रों के अनुसार हिमस्खलन के दौरान बर्फ में दबे रहने के बाद बच गए कैप्टन की पहचान अविरल शर्मा के रूप में हुई है। बर्फ में दबे रहने के कारण फ्रासबाईट होने के बाद उन्हें हेलीकाप्टर से सैन्य अस्पताल में पहुंचाया गया है। सेना की फायर एंड फ्यूरी कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला ने सियाचिन में देशसेवा करते हुए प्राणों की आहुति देने वाले जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की है। जीओसी ने सेना ने इन वीरों के सर्वोच्च बलिदान को सलाम करते हुए शोकसंतप्त परिवारों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट की है।
उन्होंने कहा है कि जवानों का यह बलिदान देश की सेवा व संप्रभुता की रक्षा के लिए उनकी अटूट निष्ठा और साहस को दर्शाता है। भारतीय सेना इस दुख की घड़ी में शहीदों के परिजनों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। सियाचिन में बलिदान देने वाले सैनिक मोहित कुमार उत्तर प्रदेश के निवासी हैं। वहीं बलिदानी अग्निवीर डाभी राकेश देवाभाई गुजरात व अग्निवीर नीरज कुमार चौधरी झारखंड के रहने वाले हैं।
बलिदानियों के पार्थिव शरीर जल्द घेर भेजने की व्यवस्था की जा रही है। भारतीय सेना के जवान सियाचिन ग्लेशियर में 20,000 फीट की ऊंचाई पर दुश्मन के साथ मौसम की चुनौतियों का भी सामना कर रहे हैं। सर्दियों के महीनों में सियाचिन ग्लेशियर का तापमान माइनस 60 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। ग्लेशियर में हिमस्खलनों के दौरान कई सैनिकों ने बलिदान दिया है।
2021 में सब-सेक्टर हनीफ में हिमस्खलन से दो सैनिक बलिदान हुए थे। वहीं 2019 में 18,000 फीट की ऊंचाई पर पेट्रोलिंग के दौरान चार सैनिक व दो पोर्टर हिमस्खलन में बलिदान हुए थे। फरवरी 2016 में 19,600 फीट की ऊंचाई पर एक बड़ा हिमस्खलन हुआ था, इसमें 10 सैनिक दब गए थे। उनमें से लांस नायक हनमंथप्पाको जिंदा निकाला गया था। लेकिन बाद में उनका बलिदान हो गया था। सियाचिन में तैनात सैनिकों को खून जमाने वाली ठंड के साथ आक्सीजन की कमी, हाइपाक्सिया, फ्रासबाइट व हृदय संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।