जम्मू और कश्मीर में लगेंगे चार नए डाप्लर वेदर रडार, मौसम पूर्वानुमान-डेटा कलेक्शन में होगा और बेहतर सुधार
जम्मू और कश्मीर में चार नए डाप्लर वेदर रडार स्थापित किए जाएंगे। इससे मौसम के पूर्वानुमान और डेटा कलेक्शन में सुधार होगा। यह पहल मौसम की निगरानी प्रणाल ...और पढ़ें

मौसम विभाग की जम्मू और कश्मीर में मौसम पूर्वानुमान को और अधिक सटीक बनाने की योजना है।
जागरण संवाददाता, श्रीनगर। मौसम विभाग के निदेशक डाक्टर मुख्तार अहमद के अनुसार श्रीनगर, जम्मू और बनिहाल में पहले से लगे तीन डाप्लर वेदर रडार के अलावा, जम्मू और कश्मीर को दक्षिणी व उत्तरी कश्मीर, चिनाब वैली और पीर पंजाल रेंज के लिए चार नए डाप्लर वेदर रडार मिलने वाले हैं ताकि बेहतर कवरेज और ज़्यादा सटीक शॉर्ट-रेंज अलर्ट मिल सकें।
मुख्तार ने बताया कि, आने वाले सालों में विभाग ने जम्मू व कश्मीर में आटोमैटिक बारिश और बर्फ गेज के साथ लगभग 80 आटोमैटिक वेदर स्टेशन लगाकर अपने आब्जर्वेशनल नेटवर्क को बढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि ये एक्स्ट्रा रडार हमें बेहतर कवरेज और ज़्यादा सटीक शार्ट-रेंज अलर्ट देंगे। इससे हमारा डेटा कलेक्शन और मज़बूत होगा।
उन्होंने कहा कि विभाग अपने आब्ज़र्वेशनल नेटवर्क को भी बढ़ा रहा है और बताया कि आने वाले सालों में, जम्मू कश्मीर में ऑटोमैटिक बारिश और बर्फ़ गेज के साथ लगभग 80 आटोमैटिक वेदर स्टेशन लगाए जाएंगे।
डाप्लर वेदर रडार से मौसम पूर्वानुमान में सुधार
फोरकास्टिंग प्रोसेस के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि यह कई स्तर पर काम करता है, नाउकास्टिंग से शुरू होकर जो अगले तीन घंटों को कवर करता है शार्ट-रेंज, मीडियम-रेंज और सीज़नल फोरकास्ट तक। उन्होंने कहा कि ये सिस्टम सैटेलाइट इमेजरी, रडार डेटा, ग्राउंड आब्ज़र्वेशन और हाई-कैपेसिटी कंप्यूटर से प्रोसेस किए गए वेदर माडल पर निर्भर करते हैं।
उन्होंने कहा, हर दिन, हम एटमास्फियर के वर्टिकल प्रोफ़ाइल की स्टडी करने के लिए श्रीनगर और जम्मू से गुब्बारे लान्च करते हैं। यह सारा डेटा उन माडल में फीड होता है जो अलग-अलग टाइम रेंज के लिए फोरकास्ट बनाते हैं। उन्होंने कहा कि बेहतर फोरकास्टिंग जानकारी के बेहतर डिसएग्रीमेंट से भी जुड़ी है।
आटोमैटिक बारिश और बर्फ गेज के साथ लगेंगे वेदर स्टेशन
डा. अहमद ने कहा हम अपडेट शेयर करने के लिए कई प्लेटफार्म का इस्तेमाल करते हैं एडमिनिस्ट्रेशन और मीडिया को ईमेल और सोशल मीडिया पर रेगुलर पोस्ट। किसी भी बर्फ़ या बाढ़ जैसी स्थिति में, समय पर एडवाइज़री जारी की जाती है। मौसम के पैटर्न के बारे में उन्होंने ने कहा कि पिछली सर्दी फरवरी के आखिर तक ज़्यादातर सूखी रही फिर मार्च के आखिर तक कई बार बर्फ़बारी हुई। जून में ज़्यादा गर्मी को छोड़कर प्री-मानसून एक्टिविटी सामान्य रही।
उन्होंने कहा, मानसून के जाने के बाद, मौसम फिर से सूखा हो गया जिससे बारिश न होने पर भी प्रदूषण का स्तर बढ़ गया।उनके मुताबिक, सर्दियों के स्थिर हालात धूल और पाल्यूटेंट्स को सतह के पास रखते हैं जिससे स्मॉग जैसी स्थिति बनती है जब तक कि अच्छी-खासी बारिश से हवा की क्वालिटी में सुधार नहीं होता।
मौसम की मौजूदा एक्टिविटी के बारे में, उन्होंने कहा कि 19 दिसंबर तक मौसम में कोई विशेष परिवर्तन नहीं दिख रही है।उन्होंने कहा, 13-14 दिसंबर को एक कमज़ोर पश्चमी विक्षोभ और 20-21 दिसंबर को एक और विक्षोभ ऊंचाई वाले इलाकों में हल्की बर्फ़बारी ला सकता है, जबकि मैदानी इलाकों के सूखे रहने की उम्मीद है।

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