उमर अबदुल्ला के कामकाज को लेकर NC के भीतर से उठ रहे सवाल, बेरोजगारी पर घेरने के बाद कांग्रेस के साथ बचेगा गठबंधन?
जम्मू-कश्मीर में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद मियां अल्ताफ अहमद और कांग्रेस नेताओं ने सरकार के कामकाज पर असंतोष जताया है। बेरोजगारी और राजनीतिक मुद्दों पर सरकार की आलोचना की गई है। कांग्रेस ने गठबंधन पर पुनर्विचार की चेतावनी दी है। बागी सांसद आगा सैयद रुहुल्ला ने भी उमर अब्दुल्ला पर निशाना साधा है।

उमर की कार्यकुशलता पर उठने लगे सवाल, कांग्रेस ने भी दिखाए दांत (फाइल फोटो)
नवीन नवाज, श्रीनगर। सत्ताधारी नेशनल कान्फ्रेंस नेकां में जहां मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की नीतियों को लेकर असंतोष लगातार बढ़ता जा रहाहै,। बागी सांसद आगा सैयद रुहुल्ला के बाद सांसद मियां अल्ताफ अहमद लारवी ने भी मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व और कार्यप्रदर्शन पर असंतोष जताते हुए उन्हें सोच समझकर बोलना चाहिए।
जैसे यही काफी नहीं था,कांग्रेस के वरिष्ठ नेताों ने भी प्रदेश सरकार के कामकाज पर चिंता जताते हुए कहा कि नेकां का अगर मौजूदा रवैया जारी रहा तो उसे गठबंधन को जारी रखने पर पुनर्विचार करना पड़ेगा।
आज यहां एक कार्यक्रम में अनंतनाग-राजौरी संसदीय क्षेत्र के सांसद मियां अल्ताफ अहमद ने सीधे मुख्यमंत्री की कार्यकुशलता पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर मैं कहूं कि उमर साहब सही रास्ते पर हैं तो यह गलत होगा - यह उन्हें धोखा देना होगा।
उन्हें देखना चाहिए कि उनके पास क्या अधिकार और सीमाएं हैं और वह उन लोगों की बेहतर सेवा कैसे कर सकते हैं जिन्होंने उन्हें चुना है। एक निर्वाचित सरकार को सत्ता मे आए एक वर्ष बीत रहा है, लेकिन जम्मू कश्मीर से संबधित महत्वपूर्ण राजनीतिक मुद्दों पर प्रदेश सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
यहां बेरोजगारी लगातार बढ रही है, पढ़े लिखे नौजवान हाथों में डिग्रियां लेकर घूम रहे हैं और रोजगार के नाम पर कुछ नजर नहीं आता। प्रदेश सरकार आज तक यहां कोई प्रभावी रोजगार अभियान चलाने मे,सरकारी नौकरियों का भर्ती अभियान चलाने मं असमर्थ रही है।
उन्होंने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को आत्मनिरीक्षण करने और बयानबाजी के बजाय शासन पर ध्यान देने की सलाह देते हुए कहा कि आज यहां सरकार और कश्मीर की लीडरशिप सिर्फ एक ही बहस में उलझी नजर आती है कि कौन भाजपा के साथ और कौन भाजपाके खिलाफ।
इस बहस का क्या मतलब, लोगों के मसलों पर ध्यान देने की जरुरत है,लेकिन उन्हें नजर अंदाज किया जा रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री के बिजली स्मार्ट मीटर के संदर्भ में दिए गए बयान का भी उल्लेख किया और कहा कि उमर साहब को सोच समझकर बोलना चाहिए।
इसी दौरान बागी सांसद आगा सैयद रुहुल्ला मेहदी ने एक बार फिर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर निशाना साधते हुए कहा कि आखिर उमर अब्दुल्ला चाहते क्या हैं? उन्होंने हाल ही में टिप्पणी की है कि मुझे लोगों से डर नहीं लगता।
उनका यह बयान चौंकाने वाला और लोकतांत्रिक भावना के खिलाफ है। उन्हें याद रखना चाहिए कि उन्हें लोगों ने ने चुना है और अगर वह लोगों की भलाई के बजाय उनके खिलाफ काम करेंगे तो लोग बख्शेंगे नही।
चुनाव से पहले नेकां ने लोगों से जो छीना गया था उसे वापस दिलाने का वादा किया था, लेकिन अब, सत्ता में आने के बाद, हम समझौता कर रहे हैं और अपनी लड़ाई को केवल राज्य का दर्जा दिलाने तक ही सीमित कर रहे हैं।
रूहल्ला ने कहा कि पार्टी ने 2024 के चुनावों से पहले दूसरों पर भाजपा का साथ देने का आरोप लगाया था, लेकिन अब नेकां उसी रास्तो पर जाती नजर आती है। उन्होंने आरक्षण और स्मार्ट मीटर के मुद्दों पर सरकार के रवैये की आलोचना करते हुए कहा कि पार्टी राजनीतिक और रोज़मर्रा के शासन के वादों को पूरा करने में विफल रही है।
दूसरी तरफ कांग्रेस ने भी अब नेकां को दांत दिखाना शुरु कर दिया है। आखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव शाहनवाज चौधरी ने कहा कि नेकां यह मत सोचे कि वह हमें अपना पिछलग्गू बनाकर चलाती रहेगी।
उसे अपना रवैया बदलना होगा। अगर हालात ऐसे ही रहे तो हम नेकां के साथ गठबंधन पर पुनर्विचार को मजबूर हो जाएंगे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधायक इरफान हाफिज लोन ने कहा कि हम यहां सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ, जनता की भलाई के लिए नेकां का साथ दे रहे हैं, लेकिन वह इसे हमारी कमजोरी और मजबूरी मान रही है। यह सही नहीं है। अगर उसने अपना रवैया नहीं बदला तो हम अलग रास्ते पर चलने को मजबूर हो जाएंगे। सरकार को जनहित के मुद्दों की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।
कश्मीर मामलों के जानकार मोहम्मद सलीम पंडित ने कहा कि आगा सैयद रुहुल्ला और मियां अल्ताफ अहमद ने जो कहा है, उसे आप नजर अंदाज नहीं कर सकते, क्योंकि दोनों ही जमीन से जुढ़े नेता हैं और उन्हें पता है कि लोग क्या चाहते हैं।
उन्होंने उमर अब्दुल्ला की कार्यकुशलता और नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए उन्हें संभलने को कहा है। इसके साथ ही आप यह भी मान लें कि नेशनल कान्फ्रेंस में अब अंतर्कलह पार्टी कार्यालय से बाहर आने लगी है।
देखना यह है कि डॉ फारूक अब्दुल्ला इसे कैसे शांत करते हैं और उमर अब्दुल्ला अपने में क्या बदलाव लाते हैं। अगर उन्होंने अपना रवैया नहीं बदला तो पार्टी में उनकी पकड़ और कमजोर हो जाएगी।

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