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    उमर सरकार का एक वर्ष: 'पावर' की लड़ाई में गुम हो गई 12 गारंटियां; जानें क्या है राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया?

    By NAVEEN SHARMAEdited By: Rahul Sharma
    Updated: Wed, 15 Oct 2025 12:29 PM (IST)

    उमर अब्दुल्ला सरकार के एक वर्ष पूर्ण होने पर विपक्षी दलों ने सरकार पर अपनी 12 गारंटियों को पूरा न करने का आरोप लगाया है, उनका कहना है कि सरकार 'पावर' की लड़ाई में व्यस्त रही। सरकार ने इन आरोपों को खारिज करते हुए विकास कार्यों को बढ़ावा देने और रोजगार के अवसर प्रदान करने की बात कही है। 

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    जम्मू-कश्मीर के विभिन्न राजनीतिक दलों ने उमर सरकार के कार्यकाल पर मिश्रित प्रतिक्रिया दी है।

    नवीन नवाज, जागरण, श्रीनगर। केंद्र शासित प्रदेश के रूप में जम्मू-कश्मीर की पहली निर्वाचित सरकार को सत्ता संभाले गुरुवार को एक वर्ष पूरा हो जाएगा, लेकिन सत्ताधारी नेशनल कान्फ्रेंस अपने चुनावी घोषणापत्र की 12 गारंटियों में से एकआध को छोड़कर कोई भी पूरी करती नजर नहीं आई है।

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    एक लाख नौकरियां, निश्शुल्क 12 गैस सिलींडर, 200 यूनिट मुफ्त बिजली, सड़कों का मजबूत नेटवर्क जैसे वादे आज भी मुंह चिढ़ा रहे हैं। चुनावी वादों में आम लोगों के लिए रेवड़ियां बांटने के साथ 370 और 35ए जैसे कानून की वापसी, राज्य का दर्जा और जेलों में बंद कश्मीरी कैदियों की रिहाई का वादा भी था।

    मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला हों या उनके मंत्रिमंडल के सदस्य, पूछने पर यही कहते हैं कि उन्हें जनादेश एक वर्ष के लिए नहीं, पांच वर्ष के लिए मिला है, अभी चार वर्ष शेष हैं। कई बार वे राजभवन प्रशासन की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं कि सरकार के कामकाज के नियम स्पष्ट नहीं हैं, सरकार के पास 'पावर' (अधिकार और शक्तियां) ही नहीं है। जबकि उपराज्यपाल कई मौकों पर स्पष्ट कर चुके हैं कि नियम बिल्कुल स्पष्ट हैं।

    उनके पास केवल सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा है, बाकी सभी उमर सरकार के पास है। यानी 'पावर' की लड़ाई में उमर सरकार की जनता से की गई 12 गारंटियां एक साल में गुम हो गई हैं। बता दें कि मुख्यमंत्री के रूप में नेशनल कान्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने 16 अक्टूबर, 2024 को शपथ ली थी। उमर के साथ उनके मंत्रिमंडल ने भी शपथ ग्रहण की थी।

    कहां गया प्रस्ताव, किसी को नहीं पता

    कश्मीर मामलों के जानकार फैयाज अहमद वानी ने कहा कि पिछले साल नवंबर में हुए सत्र में उमर ने पांच अगस्त, 2019 से पहले की संवैधानिक स्थिति बहाल करने का अपना एक वादा पूरा करने के लिए प्रस्ताव लाया, लेकिन वह प्रस्ताव कहां गया, किसी को नहीं पता। नौकरी हो या 200 यूनिट मुफ्त बिजली, किसे मिली? क्या पीएसए समाप्त हो गया, उनके सामने एक विधायक पर पीएसए लगा। महिलाओं को श्रीनगर व जम्मू में ई-बस की मुफ्त सुविधा जरूर मिली है, लेकिन वादा तो हर प्रकार की सार्वजनिक सवारी का था।

    कम से कम अपने कार्याधिकार वाले वादे पूरा कर दें

    जम्मू-कश्मीर मामलों के जानकार जफर चौधरी ने कहा, उमर का एक वर्ष का कार्यकाल विफल ही साबित हुआ है। उन्होंने कोई वादा पूरा नहीं किया है। वह और उनके साथी बहाना बनाते हैं कि उनके पास पर्याप्त अधिकार नहीं है और सभी प्रमुख अधिकार राजभवन में हैं। यह एक तकनीकी बात है। लोगों ने जो जनादेश दिया है, उसका भी वह ध्यान नहीं रख रहे। कम से कम वह उन विषयों पर तो मजबूती के साथ कदम उठा सकते हैं, जो उनके कार्याधिकार क्षेत्र में हैं।

    सिर्फ राजभवन की आलोचना करते हैं उमर

    कश्मीर मामलों के जानकार प्रो. हरि ओम ने कहा कि उमर सरकार प्रशासनिक जवाबदेही, रोजगार और जन कल्याण से संबंधित मामलों पर सिर्फ राजभवन की आलोचना करती है। इससे लोगों का उससे मोहभंग हो रहा है। उनके बयानों का अगर आकलन किया जाए तो उन्होंने एक ऐसी छवि बनाई है, जिसे जनता के कल्याण के बजाय, सिर्फ एक वर्ग विशेष की भावनाओं को खुश करने में ज्यादा रुचि है। वह क्षेत्रवाद की राजनीति करते हुए नजर आने लगे हैं, जिसे अब कश्मीरी मुस्लिम भी पसंद नहीं करते। उनके पास बीते एक वर्ष के दौरान अपनी उपलब्धियों के नाम पर गिनाने के लिए कुछ नहीं है।

    केवल अधिकारों का रौना रोते हैं उमर : लोन

    पीपुल्स कान्फ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन ने कहा कि उमर अपने अधिकारों का रौना रोकर खुद को पीड़ित और असहाय बताकर जनता की सहानुभूति लेना चाहते हैं, लेकिन लोगों से किए वादों को पूरा नहीं करना चाहते। उन्होंने अभी तक एक भी वादा पूरा नहीं किया है और अगले चार वर्ष में भी कुछ नहीं करेंगे।

    12 माह, 12 गारंटियों की नाकामी : पीडीपी

    पीपुल्स डेमोक्रेटिक पाटी के वरिष्ठ नेता वहीद उर रहमान परा ने कहा कि उमर के 12 माह, उनकी 12 गारंटियों की नाकामी की कहानी हैं। यहां निर्वाचित सरकार कहीं नजर नहीं आती है। मुख्मयंत्री हो या उपमुख्यमंत्री, सब कहते हैं कि ....राजभवन-राजभवन।

    केवल बहानों की सरकार

    एडवोकेट अजात जम्वाल ने कहा कि उमर के पास अगर दिखाने के लिए कुछ है तो पहलगाम हमला, आपरेशन सिंदूर, जुलाई से सितंबर तक चला बारिश व बाढ़ से तबाही का दौर, हाईवे पर ट्रकों का लंबा जाम, आरक्षण के मुद्दे पर विवाद और नेकां के भीतर अंतर्कलह। महंगाई, बरोजगारी और अपनी क्षमता साबित करने के बजाय खुद को निसहाय बताने के बहाने करते हैं।

    सत्ताधारी नेकां ने किया दावा

    सत्ताधारी नेकां के प्रवक्ता इमरान नबी डार ने कहा कि जो हम पर वादाखिलाफी का आरोप लगा रहे हैं, उन्हें जमीनी हकीकत का पता नहीं है। हम यहां एक हायब्रिड शासन व्यवस्था में काम कर रहे हैं। इसके बावजूद हमने विधानसभा में संवैधानिक गारंटी की बहाली के लिए एक प्रस्ताव और राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए कैबिनेट द्वारा अनुमोदित एक प्रस्ताव पारित किया है।

    गरीब परिवारों की दुल्हनों और अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) राशन कार्ड धारकों के लिए विवाह सहायता निधि को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दिया है, सभी जिलों में महिलाओं के लिए मुफ्त बस सेवा का विस्तार किया है। विंटर जोन में अक्टूबर-नवंबर का शिक्षा सत्र बहाल किया है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को मुफ्त राशन और मुफ्त बिजली यूनिट की पेशकश की है।

    ये थे वादे :

    1. प्रत्येक घर को 200 यूनिट मुफ्त बिजली
    2. आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को प्रति वर्ष 12 मुफ्त गैस सिलेंडर
    3. परिवार के प्रत्येक सदस्य को 10 किलोग्राम मुफ्त राशन
    4. महिलाओं के लिए मुफ्त बस, स्नातक तक सबको मुफ्त शिक्षा
    5. आर्थिक तौर से कमजोर परिवारों की प्रमुख महिला को पांच हजार रुपये प्रति माह
    6. वृद्ध और विधवा को तीन हजार रुपये की मासिक पेंशन
    7. एक लाख युवाओं को रोजगार
    8. कश्मीरी हिंदुओं की घर वापसी
    9. जन सुरक्षा कानून खत्म होगा। जेलों में बंद कैदियों की रिहाई।
    10. 370 और 35ए की वापसी। 2019 से पहले की स्थिति बहाल करवाएंगे।
    11. पर्यटन को उद्योग का दर्जा और नए पर्यटन स्थलों का विकास
    12 स्वास्थ्य ट्रस्ट बनेगा और कैंसर, ह्दय रोग और अन्य गंभीर रोगों के इलाज के लिए पांच लाख तक की सहायता