लाल किला ब्लास्ट के बाद सतर्क हुई सुरक्षा एजेंसियां, खंगाल रही 24 मौलवियों की कुंडली; युवाओं को बना रहे जिहादी
दिल्ली के लाल किले के पास हुए धमाके के बाद सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। कश्मीर में मस्जिदों के मौलवियों और उलेमाओं की पृष्ठभूमि की जांच शुरू हो गई है। मौलवी इरफान पर युवाओं को कट्टरपंथी बनाने का आरोप है, जिसके बाद लगभग दो दर्जन मौलवी जांच के दायरे में हैं। खुफिया एजेंसियां मस्जिदों और मदरसों का ब्योरा जुटा रही हैं, और मस्जिद कमेटियां भी सतर्क हो गई हैं।

दिल्ली बलास्ट के बाद कश्मीर में मौलवियों और उलेमाओं की पृष्ठभूमि की जांच शुरू (फाइल फोटो)
नवीन नवाज, श्रीनगर। दिल्ली के लाल किला के पास हुए आत्मघाती हमले में शामिल मुख्य षड्यंत्रकारियों में से एक मौलवी इरफान अहमद वागे की गिरफ्तारी के बाद पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां अधिक सतर्क हो गई हैं।
जैश और अंसार गजवतुल जिहाद के सफेदपोश आतंकियों के माड्यूल को ध्वस्त करने के प्रयास में लगी एजेंसियों ने कश्मीर में विभिन्न मस्जिदों के मौलवियों और उलेमाओं की पृष्ठभूमि की जांच शुरू कर दी है।
जांच के दायरे में इंटरनेट पर एक्टिव मौलवी
इंटरनेट मीडिया पर सक्रिय मौलवियों की तकरीर भी जांच के दायरे में हैं। जानकारी के अनुसार, दक्षिण कश्मीर के शोपियां के निवासी मौलवी इरफान ने दिल्ली धमाके में शामिल आतंकियों को कट्टरवाद का पाठ पढ़ाकर उन्हें आतंकी बनने के लिए तैयार किया था।
कश्मीर में लगभग दो दर्जन मौलवी और उलेमा इस समय जांच के दायरे में हैं, जिनके प्रभाव में आकर कई पढ़े-लिखे युवा जिहादी मानसिकता का शिकार होकर आतंकवाद और अलगाववाद के रास्ते पर निकल पड़े हैं।
विभिन्न खुफिया एजेंसियों ने कश्मीर में सभी मस्जिदों और मदरसों का ब्योरा एकत्र करना शुरू कर दिया है। मजहबी तालीम देने वाले मौलवियों से लेकर मस्जिदों में नमाज पढ़ाने वाले आलिम की पृष्ठभूमि की जांच की जा रही है।
मोहल्ला मस्जिद कमेटियां भी सतर्क
उनकी विचारधारा, इस्लाम की पढ़ाई का स्त्रोत और संबंधित मस्जिद या इस्लामिक संस्थान से जुड़ने की अवधि की जानकारी भी एकत्र की जा रही है। इसके अलावा, ऐसे मौलवियों को भी चिह्नित किया जा रहा है, जो पहले किसी आतंकी या अलगाववादी संगठन का हिस्सा रहे हैं और बाद में मुख्यधारा में शामिल होकर सामान्य जीवन जीने लगे या किसी इस्लामिक संगठन का हिस्सा बनकर इस्लाम का प्रचार करने लगे।
मोहल्ला मस्जिद कमेटियां भी सतर्क विभिन्न मोहल्ला मस्जिद कमेटियों ने भी अपने स्तर पर मस्जिदों के मौलवियों और दर्सगाहों में पढ़ाने वाले मौलवियों व उलेमाओं की पृष्ठभूमि की जांच शुरू कर दी है।

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