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    जम्मू-कश्मीर के कट्टर अलगाववादी नेता अब्दुल गनी बट का निधन, कभी अपने ही खेमे की सियासत में लाए थे भूचाल

    Updated: Wed, 17 Sep 2025 08:48 PM (IST)

    कश्मीर की अलगाववादी राजनीति में भूचाल लाने वाले ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के पूर्व चेयरमैन प्रो. अब्दुल गनी बट का निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार थे और 90 वर्ष के थे। उन्होंने उत्तरी कश्मीर के सोपोर स्थित अपने पैतृक निवास में अंतिम सांस ली। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से शिक्षित बट कट्टर अलगाववादी नेता थे और कश्मीर को लेकर भारत की आलोचना करते थे।

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    ऑल पार्टी हुर्रियत कान्फ्रेंस के पूर्व चेयरमैन प्रो. अब्दुल गनी बट का निधन

    राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। विभिन्न अलगाववादी नेताओं की हत्या के लिए अलगाववादी खेमे को ही जिम्मेदार ठहरा कश्मीर की अलगाववादी सियासत में भूचाल पैदा करने वाले ऑल पार्टी हुर्रियत कान्फ्रेंस के पूर्व चेयरमैन प्रो. अब्दुल गनी बट का बुधावर को निधन हो गया। वह एक लंबे अर्से से बीमार थे। वह 90 वर्ष के थे और उन्होंने अपनी अंतिम सांस उत्तरी कश्मीर के बटेंगू सोपोर स्थित अपने पैतृक निवास में ही ली।

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    अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से फारसी और लॉ की डिग्री प्राप्त करने वाले प्रो. अब्दुल गनी बट कश्मीर के पुराने और कट्टर अलगाववादी नेताओं में एक थे। उन्होंने कुछ समय तक सोपोर में वकालत भी की और वर्ष 1963 में वह जम्मू-कश्मीर शिक्षा विभाग के अंतर्गत फारसी के प्रोफेसर नियुक्त हुए थे।

    कश्मीर को लेकर की थी भारत पक्ष की अलोचना

    वह कॉलेज में भी छात्रों व अन्य लोगों के साथ कश्मीर को लेकर भारत के पक्ष की आलोचना करते थे। वह अक्सर अलगाववादी गतिविधियों में भाग लेते थे और इसी कारण उन्हें 1986 में सेवामुक्त किया गया था।

    वह अक्सर पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के जनमत संग्रह के वादे का जिक्र करते हुए कहते थे। भारत ने बंदूकों की गर्जना और लोकतंत्र के शोर के बीच कश्मीर में प्रवेश किया और फिर कब्जा कर बैठ गया।

    जनवरी 2011 को उन्होंने श्रीनगर में एक सेमीनार को संबोधित करते हुए कहा था कि हमारे अपने ही कुछ लोगों को,हमारे अपनों ने ही कत्ल किया और कत्ल कराया है। उनके इस बयान के बाद पूरे कश्मीर में खलबली मचल गई थी।

    अलगाववादी खेमे के नेताओं पर उठाए थे सवाल

    हालांकि, उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया था,लेकिन उन्होंने यह बात मीरवाइज फारूक अहमद और अब्दुल गनी लोन की हत्या के संदर्भ में कही थी। खुद उनके भाई की हत्या भी आतंकियों ने की थी। उन्होंने कहा था कि मझे पता है कि सच कड़वा है और इसे कहने का खतरा है, लेकिन मुझे कोई चुप नहीं करा सकता।

    उनहोंने कभी सार्वजनिक तौर पर कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी का नाम लेकर उन्हें इन हत्याओं के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया,लेकिन वह दबे मुंह कहते थे गिलानी जैसे नेताओं ने कश्मीर को नुक्सान पहुंचाया है। कश्मीर मुद्दे पर नई दिल्ली से बातचीत को लेकर उन्होंने सीधे सैयद अली शाह गिलानी पर निशाना साधते हुए कहा था कि हम लोग जब बातचीत की वकालत करें तो काफिर हो जाते हैं,लेकिन खुद संसदीय प्रतिनिधिमंडलों से मिलने में काेई हिचक नहीं है,यह कैसा दोगलापन है।