'उनको अपने फैसले पर पछताना पड़ेगा...', फारूक अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार को क्यों दी चेतावनी?
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा न देने पर केंद्र सरकार को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि राज्य का दर्जा जल्द नहीं लौटाया गया तो केंद्र को पछताना पड़ेगा। अब्दुल्ला ने कहा कि 2019 में किए गए वादे विफल रहे हैं और लोगों में नाराजगी बढ़ रही है।

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा न दिए जाने पर केंद्र को एक बार फिर सख्त चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि अगर राज्य का दर्जा जल्द ही नहीं लौटाया गया तो केंद्र सरकार को अपने फैसले पर पछताना पड़ेगा।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2019 में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में पुनगर्ठित किया है जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा भी समाप्त किया गया है। जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा लौटाए जाने की सभी स्थानीय राजनीतिक दल मांग कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री ने भी इसका कई बार यकीन दिलाया है।
स्थानीय राजनीतिक दलों के लिए यह एक बड़ा मुद्दा है। नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस सरीखे राजनीतिक दल आए दिन जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा जल्द न लौटाए जाने पर चेतावनी देते हुए कहते हैं कि और ज्यादा देरी करने से हालात बिगड़ जाएंगे। कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर में इसी मुद्दे पर मेरी रियासत मेरा हक अभियान भी चला रखा है।
सत्ताधारी नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने एक बार फिर जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा लौटाए जाने की अपनी मांग को दोहराया है। अनंतनाग से आए नेशनल कॉन्फ्रेंस के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वक्त आ गया है कि केंद्र सरकार अपना वादा पूरा करते हुए जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा लौटाए।
अन्यथा ,केंद्र को पछताना पड़ेगा क्योंकि वर्ष 2019 में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने पर जो भी वादे किए गए थे, वह सभी विफल रहे हैं। लोगों में नाराजगी बढ़ती जा रही है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के पास जम्मू-कश्मीर विशेषकर कश्मीर घाटी में लोगों का दिल जीतने के लिए एक नहीं कई अवसर आए, लेकिन उसने उन्हें व्यर्थ गंवाया है। केंद्र सरकार कश्मीर को सुरक्षा के चश्मे से देखती है, उसे यहां लोगों का दिल और समर्थन प्राप्त करते हुए दिल्ली और दिल से कश्मीर की दूरी को दूर करना चाहिए, लेकिन वह इस दूरी को बढ़ा रही है।
डॉ. अब्दुल्ला ने कहा कि वर्ष 2024 में पहले लोकसभा और उसके बाद विधानसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर की जनता की रिकार्ड भागीदारी ने साबित किया है कि जम्मू-कश्मीर के लोग भारतीय संविधान और लोकतंत्र में आस्था रखते हैं। लेकिन केंद्र सरकार का रवैया उनके इस विश्वास को नुकसान पहुंचाता नजर आ रहा है।
जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने का वादा आज तक पूरा नहीं किया गया है। वर्ष 2019 में जब जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा हटाया गया तो कहा गया कि जम्मू-कश्मीर को देश्श के अन्य राज्यों के बराबर अधिकार मिलेंगे, लेकिन सच्चाई इसके विपरीत है। जम्मू-कश्मीर को राज्य से केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया।
जम्मू-कश्मीर को विकास के लिए राज्य का दर्जा बहाल करने का जो वादा केंद्र सरकार ने किया था वो लोकतंत्र में जनता के भरोसे के लिए जरूरी है, लेकिन इसमें हो रही लगातार देरी से लोगों का विश्वास कमजोर पड़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य का दर्जा कोई खैरात नहीं है, यह हमारा हक है। यह कोई राजनीतिक मामला नहीं है, यह न्याय, समानता और लोकतांत्रिक अधिकारों की बात है।
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