जम्मू-कश्मीर: भूमि विवाद में पिता-पुत्र की हत्या मामले में दो दोषी करार, अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई
जम्मू-कश्मीर की एक अदालत ने भूमि विवाद में पिता-पुत्र की हत्या के मामले में दो लोगों को दोषी ठहराते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने दोषियों पर जुर्माना भी लगाया है और पीड़ित परिवार को मुआवजा देने का आदेश दिया है।

पीड़ित परिवार ने इस फैसले को न्याय की जीत बताया है।
जागरण संवाददाता, ऊधमपुर। प्रधान सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह भाऊ की अदालत ने दस वर्ष पहले भूमि विवाद से जुड़े दोहरे हत्याकांड के मामले में दो आरोपितों को दोषी करार दे दिया है। अदालत ने दोनों को सश्रम आजीवन कारावास और जुर्र्न जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना अदा न करने पर आरोपितों को अतिरिक्त सजा काटनी होगी।
अदालत द्वारा वर्ष 2015 के सिराज दीन व उसके बेटे बिनिया के दोहरे हत्याकांड मामले में दोषी करार दिए गए दोनों लोगों में काका राम पुत्र नेक राम निवासी सदोता पंचैरी व खेम राज पुत्र ईशर दास निवासी बसनोत शामिल है।
क्या है मामला?
अभियोजन पक्ष के मुताबिक मामला 23 जून 2015 का है। जब शिकायतकर्ता अब्दुल करीम पुत्र जमाल दीन गुज्जर निवासी खेरी तहसील बिश्नाह जम्मू ने पुलिस थाने में एक लिखित शिकायत दर्ज कराई थी। जिसमें उसने बताया कि उसके सगे भाई सिराज दीन ने लगभग 30 वर्ष पूर्व सदोता मोहरा मर्री, पंचैरी में काका राम से एक जमीन का टुकड़ा खरीदा था। जिस पर उसने मकान बनवाया और तब से वहीं रह रहा था।
22 जून 2015 को सिराज दीन अपने एक रिश्तेदार के निधन के सिलसिले में गहलोत गया हुआ था। अगले दिन 23 जून 2015 की सुबह अब्दुल रशीद पुत्र बीरबाज गुज्जर निवासी मधोता ने फोन कर सूचना दी कि सिराज दीन की किसी व्यक्ति ने हत्या कर दी है। अब्दुल करीम तुरंत मौके पर पहुंचा तो देखा कि सिराज दीन और उसके बेटे बेनिया दोनों की निर्ममता से हत्या कर दी गई थी।
दोनों आरोपितों के खिलाफ अदालत में चालान पेश
इस पर पंचैरी पुलिस थाने में एफआईआर संख्या 34/2015 दर्ज की गई, जिसमें धारा 302, 449, 34 आरपीसी के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई। जांच के उपरांत पुलिस ने दोनों आरोपितों के खिलाफ अदालत में चालान पेश किया। अदालत में जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की ओर से सरकारी अभियोजक हिमांशु प्रकाश और विनय शर्मा ने अभियोजन पक्ष का प्रतिनिधित्व किया। जबकि आरोपियों की ओर से उनके वकील ने बचाव पक्ष रखा।
दोनों आरोपितों ने हत्या की साजिश रच की हत्या
दोनों पक्षों को सुनने के बाद प्रधान सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह भाऊ ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष ने ठोस सबूतों और गवाहों के आधार पर यह साबित कर दिया कि दोनों आरोपितों ने हत्या की साजिश रचकर सिराज दीन और उसके पुत्र बेनिया की हत्या की थी। अदालत ने कहा कि इस मामले में अभियोजन पक्ष ने आरोपों को धारा 302 आरपीसी के तहत सफलतापूर्वक सिद्ध किया है।
अदालत ने आरपीसी की धारा 302 के तहत दोनों आरोपितों को दोषी करारा देते हुए सश्रम आजीवन कारावास के साथ 10,000 रुपये जुर्माना अदा की सजा सुनाई है। जुर्माना न भरने की स्थिति में छह महीने का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगा।
दोनों को 10 साल कारावास, 5000 रुपये का जुर्माना
वहीं धारा 449 आरपीसी के तहत अपराध साबित होने पर अदालत ने दोनों को 10 साल के कठोर कारावास और 5000 रुपये का जुर्माना भरने की सजा भी सुनाई है। सभी सजाएं एक साथ चलेंगी और दोषियों की पहले से बिताई गई हिरासत अवधि को धारा 397-ए सीआरपीसी के तहत कारावास की मूल सजा में समायोजित किया जाएगा।
अदालत ने अपने फैसले में कहा गया कि यदि दोषियों से जुर्माना वसूला जाता है। तो वह राशि मृतक के कानूनी उत्तराधिकारियों को दी जाएगी। इसके साथ ही अदालत ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जम्मू-कश्मीर को निर्देश दिया कि पीड़ित मुआवजा योजना के तहत मृतक के परिवार को वैधानिक मुआवजा प्रदान किया जाए।
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