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    जब मौत से बचाया मां मनसा ने... झारखंड में एक मुस्लिम परिवार की अनूठी भक्ति कहानी

    Updated: Fri, 22 Aug 2025 11:27 AM (IST)

    झारखंड के गोमिया में मनसा पूजा सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश कर रही है जहां एक मुस्लिम परिवार 15 साल से देवी मां के प्रति गहरी आस्था दिखा रहा है। हैदर अली और उनके परिवार की अटूट श्रद्धा जो बुरे वक्त में मिली मदद के बाद बढ़ी। उनका पूजा समिति में सक्रिय योगदान गंगा-जमुनी तहजीब का जीवंत उदाहरण है जिसे पड़ोसी भी मानते हैं।

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    मुराद हुई पूरी तो मां मनसा का भक्त बन गए हैदर अली।

    विशाल अग्रवाल, जागरण बोकारो (गोमिया)। इन दिनों झारखंड के बोकारो, धनबाद, गिरिडीह, हजारीबाग और रामगढ़ जैसे जिलों में मनसा पूजा की धूम है। शहर से लेकर गांवों तक हर जगह मां मनसा के भव्य दरबार सजे हुए हैं। ढोल-ढाक, भजन और पारंपरिक गीतों की गूंज से पूरा माहौल भक्तिमय हो गया है। हजारों की संख्या में श्रद्धालु मां के दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए मंदिरों में पहुंच रहे हैं।

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    इसी बीच बोकारो के गोमिया से एक ऐसी कहानी सामने आई है, जो धार्मिक सद्भाव और भाईचारे का एक खूबसूरत उदाहरण पेश करती है। यहां का एक मुस्लिम परिवार पिछले 15 सालों से मां मनसा के प्रति अपनी अटूट आस्था और श्रद्धा का प्रदर्शन कर रहा है।

    मन्नत पूरी हुई तो मां मनसा के हुए कायल

    पेशे से ड्राइवर, हैदर अली एक मुस्लिम परिवार से हैं, लेकिन उनकी मां मनसा के चरणों में गहरी श्रद्धा है। हैदर बताते हैं कि उनकी जिंदगी में एक ऐसा मुश्किल दौर आया था जब वे लंबे समय तक बेरोजगार थे। घर चलाने के लिए उन्हें उधार लेना पड़ा और हालात इतने बिगड़ गए थे कि उन्होंने आत्महत्या करने का भी सोच लिया था।

    इसी दौरान, रास्ते से गुजरते हुए उन्होंने मां मनसा का सजा दरबार देखा और वहां सिर झुकाकर मन्नत मांगी। हैदर के मुताबिक, उनकी मन्नत पूरी हुई और अगले ही दिन उन्हें एक अच्छी कंपनी में नौकरी मिल गई। इस घटना के बाद, हैदर की आस्था मां मनसा के प्रति और भी मजबूत हो गई। वे कहते हैं कि जब भी कोई मुश्किल आई, मां मनसा ने उन्हें उससे निकलने की शक्ति दी।

    15 सालों से चढ़ा रहे हैं प्रसाद और चुनरी

    पिछले 15 सालों से हैदर अली का परिवार हर साल मनसा पूजा के दौरान मां के दरबार में चुनरी और प्रसाद चढ़ाता आ रहा है। वे मंदिर के मुख्य पुजारी महादेव ठाकुर से ये चढ़ावा अर्पित करवाते हैं। इतना ही नहीं, हैदर पूजा समिति के एक सक्रिय सदस्य भी हैं और आयोजन में डेकोरेशन, लाइट और अन्य व्यवस्थाओं में बढ़-चढ़कर योगदान देते हैं।

    उनके इस सहयोग से न तो पूजा समिति को कोई आपत्ति है और न ही उनके पड़ोसियों को। पूजा समिति के सदस्य मोहित कांदू, रिंकू कांदू और उमेश ठाकुर बताते हैं कि हैदर अली का आचरण हमेशा सकारात्मक रहा है और वे कई सालों से पूजा में सहयोग कर रहे हैं।

    पड़ोसी कहते हैं - यही तो गंगा-जमुनी तहजीब है

    हैदर के पड़ोसी राजू शाही कहते हैं, उनके पिता भी मनसा पूजा में चंदा देकर सहयोग करते हैं। हैदर की आस्था का विषय है और इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

    एक अन्य पड़ोसी सफिक अंसारी कहते हैं, "हमें क्यों आपत्ति होगी, अगर उनकी मां मनसा में आस्था है? यही तो हमारी गंगा-जमुनी तहजीब है, जहां सभी धर्मों के लोग एक-दूसरे के त्योहारों का सम्मान करते हैं और उनमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।"

    यह कहानी बताती है कि आस्था किसी धर्म या मजहब की मोहताज नहीं होती। यह दिलों को जोड़ती है और समाज में आपसी प्रेम और सद्भाव को बढ़ाती है। गोमिया में हैदर अली का यह समर्पण न केवल मां मनसा के प्रति उनकी अटूट श्रद्धा को दिखाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि आस्था और भाईचारा हमें एक दूसरे से जोड़कर रखते हैं।

    माता मनसा की पूजा इसलिए  

    मनसा देवी, हिंदू पौराणिक कथाओं में एक देवी हैं, जिन्हें मुख्य रूप से नागों (सांपों) की देवी के रूप में पूजा जाता है। उन्हें विष की देवी भी माना जाता है और मान्यता है कि वे सर्पदंश से रक्षा करती हैं।

    विभिन्न पौराणिक कथाओं के अनुसार, मनसा देवी के जन्म को लेकर अलग-अलग मत हैं:

    शिव की मानस पुत्री: कुछ कथाओं के अनुसार, उन्हें भगवान शिव की मानस पुत्री माना जाता है, जिनका जन्म उनके मस्तिष्क से हुआ था। इसी कारण उनका नाम 'मनसा' पड़ा, जिसका अर्थ 'मन से जन्मी' होता है।

    नागों की बहन: कुछ अन्य कथाओं के अनुसार, उन्हें नागराज वासुकी की बहन के रूप में भी पूजा जाता है।

    ऋषि कश्यप की पुत्री: कुछ ग्रंथों में उन्हें ऋषि कश्यप की पुत्री बताया गया है, जो उनकी तपस्या और मनोकामना के फलस्वरूप जन्मी थीं।

    मनसा देवी की पूजा विशेष रूप से बंगाल, झारखंड, ओडिशा और उत्तर-पूर्वी भारत के अन्य हिस्सों में व्यापक रूप से की जाती है। हरिद्वार में भी उनका एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त सच्ची श्रद्धा से उनकी पूजा करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।