बोकारो में HSCL का आवास हुआ जमींदोज, बाल-बाल बचे लोग
बोकारो स्टील सिटी में एचएससीएल के पुराने आवास जमींदोज हो गए। दरारें आने पर लोग सतर्क होकर बाहर निकल गए, जिससे बड़ा हादसा टल गया। हालांकि, लाखों का सामान मलबे में दब गया। नेताओं ने प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया है, क्योंकि जर्जर घोषित होने के बावजूद मकान खाली नहीं कराए गए और उनसे किराया वसूला जा रहा था।
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मौके पर लगी लोगों की भीड़। (जागरण)
जागरण संवाददाता, बोकारो। बोकारो स्टील सिटी के सेक्टर 1बी में शनिवार को बड़ा हादसा टल गया। हिन्दुस्तान स्टील कंस्ट्रक्शन लिमिटेड (एचएससीएल) के पुराने आवास संख्या 352, 354, 356, 360 और 364 पूरी तरह क्षतिग्रस्त होकर जमींदोज हो गए।
घटना के समय मकानों में दरार आने की आवाज सुनते ही लोग सतर्क हो गए और घर से बाहर निकल आए। कुछ ही देर में इमारतें भरभराकर गिर गईं।
गनीमत रही कि किसी की जान नहीं गई, हालांकि इन मकानों में रहने वाले लोगों का लाखों का सामान मलबे में दब गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, शनिवार की सुबह मकान में अचानक दरारें दिखाई देने लगीं।
स्थानीय निवासी एसएन प्रसाद ने बताया कि दरारें बढ़ने लगीं तो उन्होंने और अन्य परिवारों ने तत्परता दिखाते हुए घर खाली कर दिया। शाम करीब छह बजे पूरा ब्लॉक धराशायी हो गया।
घटना की सूचना मिलने पर सांसद ढुलू महतो, कांग्रेस जिलाध्यक्ष जवाहर महथा, झामुमो नगर अध्यक्ष मंटू यादव, राजद जिलाध्यक्ष बुद्ध नारायण यादव, भाजपा के मुकेश राय, अमर स्वर्णकार अपने समर्थकों के साथ पहुंचे।
नेताओं का कहना था कि अब तक वैकल्पिक व्यवस्था नहीं दिए जाने के कारण यहां रहने वालों ने मकान खाली नहीं किया। इस क्षति के लिए पूरी तरह प्रबंधन जवाबदेह है।
सांसद ढुलू महतो ने कहा कि पूरे शहर में अनुरक्षण का काम नहीं हो रहा है। प्रबंधन के अधिकारी अपने ही कर्मचारियों की जान जोखिम में डाल दिया है। अधिकारी केवल अपना मकान चमकाने में लगे हुए हैं। मजदूरों पर किसी का कोई ध्यान नहीं है।
टल सकता था हादसा
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह हादसा टाला जा सकता था यदि प्रबंधन ने समय पर कार्रवाई की होती। वर्ष 2018 में ही एचएससीएल ने आवास संख्या 351 से 366 तक के ब्लॉकों को क्षतिग्रस्त घोषित किया था। इसके बावजूद इन आवासों को पूरी तरह खाली कराने की पहल नहीं की गई।
ब्लॉक-361 में रहने वाले एसएन प्रसाद ने बताया कि उस समय दो ब्लॉकों के कुल 16-16 आवासों को असुरक्षित बताया गया था, लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण कई परिवार यहां रहने को मजबूर रहे। पहले भी मकान में दरारें आई थीं, मगर प्रशासन या प्रबंधन की ओर से ठोस कदम नहीं उठाया गया।
लोगों का कहना है कि बार-बार चेतावनी देने के बावजूद किसी ने मरम्मत या पुनर्वास की दिशा में कदम नहीं बढ़ाया, जिसका नतीजा शनिवार की घटना के रूप में सामने आया। खुफिया विभाग ने राज्य सरकार को आवासों की खराब स्थित पर रिपोर्ट भेजा था।
बारह सौ से अधिक मकान है क्षतिग्रस्त खाली कराने के बजाय वसूल कर रहा प्रबंधन
बोकारो स्टील प्रबंधन ने सेक्टर 12 और सेक्टर 6 के कुल 161 ब्लॉकों को पहले ही जर्जर घोषित किया है। इनमें 142 ब्लॉक सेक्टर 12 में और 19 ब्लॉक सेक्टर 6 में शामिल हैं। इसी प्रकार एचएसीएल ने चार ब्लाक क्षतिग्रस्त घोषित कर दिया। इन इमारतों की दीवारें, छज्जे और सीढ़ियां लगातार झड़ रही हैं, जिससे कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है।
प्रबंधन ने इन ब्लॉकों में रहने वाले कर्मचारियों और उनके परिवारों को नोटिस जारी कर वैकल्पिक आवास में शिफ्ट होने को कहा था पर खाली नहीं कराया। इसके उलट, एचएससीएल और बोकारो इस्पात का नगर सेवा विभाग इन क्षतिग्रस्त आवासों को अपने रिकॉर्ड से बाहर नहीं कर रहा है।
जो मकान जर्जर और खतरनाक घोषित किए जा चुके हैं, उनके लिए भी विभाग की ओर से नियमित रूप से किराया, पानी और बिजली का बिल वसूला जा रहा है। जबकि सामान्य प्रक्रिया है कि क्षतिग्रस्त मकान का पानी, बिजली व फिटिंग हटा दिया जाता है, लेकिन यहां अधिकारी अपनी मर्जी का कर रहे हैं।
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