धनबाद में बिना PAN कार्ड के धड़ल्ले से हो रहे चल-अचल संपत्तियों के निबंधन, झारखंड विधानसभा में भाजपा विधायक ने खोला राज
PAN Card: झारखंड विधानसभा में भाजपा विधायक ने खुलासा किया कि धनबाद में बिना पैन कार्ड के चल और अचल संपत्तियों का धड़ल्ले से निबंधन हो रहा है। उन्होंने ...और पढ़ें

झारखंड विधानसभा में बोलते विधायक राज सिन्हा।
जागरण संवाददाता, धनबाद। BJP MLA Raj Sinha:भाजपा विधायक राज सिन्हा ने बुधवार को सदन में राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग से जुड़े एक अत्यंत गंभीर मामले को को उठाया। विधायक सिन्हा ने सदन को अवगत कराते हुए बताया कि धनबाद जिला अंतर्गत गोविंदपुर एवं धनबाद निबंधन कार्यालयों में पिछले दो वर्षों में 1600 से अधिक चल व अचल संपत्तियों का निबंधन बिना पैन कार्ड प्रस्तुत किए ही किया गया है। जिनमें 400 करोड़ रुपये से अधिक की खरीद-ब्रिक्री दर्ज की गई है।
दोनों निबंधन कार्यालयों से सैकड़ों ऐसे संदिग्ध डीड बरामद प्राप्त हुए है। जिनका मूल्यांकन करोड़ों में है, जबकि ऐसे मामलों में फार्म–60 का प्रस्तुत करना अनिवार्य होता है। यह स्पष्ट संकेत है कि उच्च मूल्य वाली संपत्तियों के निबंधन में भारी अनियमितता बरती गई हैं। जिससे राज्य सरकार को राजस्व की भारी क्षति हुई है। विधायक राज सिन्हा ने सदन में इस मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। इस पूरे प्रकरण में दोषी कर्मचारी एवं पदाधिकारी की पहचान कर कार्रवाई करने की मांग सरकार से की है।
पुनर्वासित भूमि पर विस्थापितों को मिल अधिकार
विधायक सिन्हा ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के तहत धनबाद जिला अंतर्गत वर्ष 1954 में निर्मित मैथन डैम परियोजना के लिए दामोदर घाटी निगम डीवीसी ने 50 से भी अधिक परिवारों को विस्थापन नीति के तहत अन्य जगह पुनर्वासन किया था। जिसमें से 30 विस्थापित अनुसूचित जनजाति परिवारों का कृषि भूमि को अधिग्रहण किया गया था।
इस प्रक्रिया में उनके पुश्तैनी गांव सीजुआ तत्कालीन( प्रखंड कार्यालय निरसा धनबाद) वर्तमान एंगारकुंड प्रखंड धनबाद से विस्थापित कर मौजा केसरकुराल (एगारकुंड प्रखंड) एवं अन्य जगहों में पुनर्वासित किया गया। परंतु उन्हें पुनर्वासित भूमि पर आज तक किसी भी प्रकार का कानूनी स्वामित्व अधिकार प्रदान नहीं किया गया।
पिछले 7 दशकों से पुनर्वासित भूमि पर विस्थापित परिवार घर बनाकर तथा खेती कर जीवन यापन कर रहा है। उनकी पुनर्वासित जमीन आज भी बिहार सरकार के नाम से दर्ज है।
वर्तमान में उनके समक्ष सबसे बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है कि उनके पुनर्वासित जमीन का आज तक मालिकाना हक नहीं मिल पाने के कारण पीड़ित परिवारों को किसी प्रकार की सरकारी और कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पता है। विधायक ने पुनर्वासित भूमि पर विस्थापित परिजनों को अविलंब स्वामित्व अधिकार दिए जाने की मांग सदन से की है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।