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    Neeraj Singh murder case: सरकार व सीबीआइ को 15 दिन में जवाबी हलफनामा देने का आदेश

    By MritunjayEdited By:
    Updated: Sat, 26 Feb 2022 05:50 PM (IST)

    संजीव सिंह के अधिवक्ता मो. जावेद ने बताया कि छह सितंबर 2019 को सीबीआइ जांच करने की मांग को लेकर हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की थी। इसपर सुनवाई करते हुए 28 नवंबर 2019 को न्यायाधीश आनंदा सेन की खंडपीठ ने याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकृत किया था

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    संजीव सिंह और नीरज सिंह ( फाइल फोटो)।

    विसं, धनबाद। पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह समेत चार लोगों की हत्या की सीबीआइ जांच कराने को दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश संजय कुमार द्विवेदी की खंडपीठ ने सीबीआइ एवं सरकार को 15 दिनों में जवाबी हलफनामा (काउंटर एफीडेविट) दाखिल करने का आदेश दिया है। इस मामले में आरोपित झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह के अधिवक्ता मो. जावेद ने बताया कि छह सितंबर 2019 को सीबीआइ जांच करने की मांग को लेकर हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की थी।

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    इसपर सुनवाई करते हुए 28 नवंबर 2019 को न्यायाधीश आनंदा सेन की खंडपीठ ने याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकृत किया था तथा सीबीआइ व सरकार को छह हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया था। अब इसके ढाई साल हो चुके हैं, पर सरकार व सीबीआइ ने अब तक जवाब नहीं दाखिल किया गया। मो. जावेद ने बताया कि सुनवाई के दौरान वरीय अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा एवं अरुण कुमार ने अदालत का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया कि दोनों एजेंसियों ने अब तक इस मामले में जवाबी हलफनामा नहीं दाखिल किया है। अदालत ने सरकार व सीबीआइ को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए 15 दिन का समय दिया है।

    पुलिस के अनुसंधान पर सवाल : छह सितंबर को संजीव सिंह ने उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर कर सीबीआइ जांच की मांग की थी। संजीव की ओर से इसमें कहा गया है कि उन्हें और अन्य लोगों को फंसाने के लिए कांड के सूचक नीरज सिंह के भाई व उनके सहयोगियों द्वारा कहानी लिखी गयी। अपने पसंद के पुलिस अधिकारी को इस मामले में अनुसंधानकर्ता बनाया गया। अनुसंधानकर्ता ने वही किया, जो उन्हें करने को कहा गया। एसआइटी की जांच का डायरी में कहीं जिक्र ही नहीं है। ऐसी हालत में जबकि मामले का निष्पक्ष अनुसंधान न किया गया हो पुलिस की कार्यशैली पर विश्वास करना कठिन है। इसलिए इस मामले का पुन: अनुसंधान सीबीआइ से कराने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि अनुसंधान से पता चलता है 21 से लेकर 23 मार्च तक केवल पुलिस कागजात उठाकर लाई। सारे बनावटी गवाह लाए गए जिन्होंने खुद को प्रत्यक्षदर्शी बताया। मो. जावेद ने बताया कि घटना के दिन घटनास्थल पर काफी संख्या में पुलिसकर्मी थे, परंतु किसी ने एफआइआर नहीं किया।