Kartik Purnima 2021: कब है कार्तिक पूर्णिमा, जानें स्नान दान और पूजन का शुभ मुहूर्त
Kartik Purnima 2021 कार्तिक पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना चाहिए। अगर संभव हो सके तो पवित्र नदी में स्नान करके व्रत का संकल्प करें। उसके बाद लक्ष्मी नारायण की देसी घी का दीपक जलाकर विधि विधान से पूजा करें।

जागरण संवाददाता, धनबाद। Kartik Purnima 2021 हिंदू धर्म में हर पूर्णिमा का काफी महत्व होता है। लेकिन कार्तिक मास में आने वाली पूर्णिमा का खास महत्व होता है। इस बार कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima 2021) 19 नवंबर 2021 के दिन शुक्रवार को पड़ रही है। पूर्णिमा तिथि भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) और माता लक्ष्मी (Mata Laxami) को प्रिय होती है। इस दिन को त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही इस दिन काशी में देव दिवाली मनाने की भी परंपरा है। नदियों में स्नान-ध्यान के बाद दान-पुण्य की परंपरा है। बड़ी संख्या में गंगा में स्नान करते हैं। झारखंड में दामोदर, बराकर, स्वर्णरेखा जैसी नदियों में स्नान करने वालों की भीड़ लग जाती है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan 2021) भी लगने जा रहा है।
कार्तिक पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- 18 नवंबर (गुरुवार) दोपहर 11 बजकर 55 मिनट से
 - पूर्णिमा तिथि समाप्त- 19 नवंबर (शुक्रवार) दोपहर 02 बजकर 25 मिनट तक
 
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा का यह दिन धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है। कार्तिक पूर्णिमा का दिन देवी-देवताओं को खुश करने का दिन होता है। इसीलिए इस दिन लोग पवित्र गंगा में डुबकी लगाकर और दान-दक्षिणा करके पुण्य कमाते हैं। कार्तिक स्नान करने और भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों को अपार सौभाग्य की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर किसी पवित्र नदी या जलकुंड में स्नान करना चाहिए। साथ ही इस दिन दान-पुण्य के कार्य और दीपदान करना चाहिए। कार्तिक पूर्णिमा को धार्मिक समारोहों को करने के लिए सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है। इसीलिए इस दिन कई अनुष्ठानों और त्योहारों का समापन होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए शुभ समारोह से घर में खुशियां आती हैं। मान्यता है कि इस दिन घी का दान करने से संपत्ति बढ़ती है और ग्रहयोग के कष्ट दूर होते हैं। कार्तिक पूर्णिमा का व्रत करने वालों को शिव जी की असीम कृपा प्राप्त होती है।
कार्तिक पूर्णिमा पर पूजा विधि
कार्तिक पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना चाहिए। अगर संभव हो सके तो पवित्र नदी में स्नान करके व्रत का संकल्प करें। उसके बाद लक्ष्मी नारायण की देसी घी का दीपक जलाकर विधि विधान से पूजा करें। इस दिन सत्यनारायण की कथा करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। भगवान विष्णु को इस दिन खीर का भोग लगाना चाहिए। वहीं इस दिन शाम को लक्ष्मी-नारायण की आरती करके तुलसी जी के पास घी का दीपक जलाना चाहिए। कार्तिक पूर्णिमा के दिन घर में भी दीपक जलाना चाहिए। इस दिन हो सके तो गरीबों को दान दें और भूखों को भोजन कराएं। मान्यता है कि इस दिन ही मां तुलसी का पृथ्वी पर आगमन हुआ था। इसीलिए इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी अर्पित करने से अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक पुण्य प्राप्त होता है।
स्नान और दान की परंपरा
कार्तिक पूर्णिमा पर देवता पृथ्वी पर आकर गंगा में स्नान करते हैं। इसलिए इस दिन गंगा स्नान अवश्य करना चाहिए या फिर पानी में गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए। इसी के साथ पूर्णिमा पर क्षमतानुसार अन्न वस्त्र का दान करना चाहिए। पूर्णिमा तिथि पर चावलों का दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है।
तुलसी पूजन का विशेष लाभ
पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की बूजा का जाती है और भगवान विष्णु को तुलसी अतिप्रिय है। इसलिए पूर्णिमा के दिन तुलसी पूजन करना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मकता का आगमन होता है।
दीपदान जरूर करें
कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान करना बेहद शुभ माना जाता है, क्योंकि इस दिन देव दीपावली भी होती है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन किसी नदी या सरोवर के किनारे दीपदान अवश्य करना चाहिए। यदि नदी या सरोवर पर नहीं जा सकते तो देवस्थान पर जाकर दीपदान करना चाहिए।
लक्ष्मी नारायण की पूजा
पूर्णिमा तिथि पर व्रत रखकर भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी का पूजन करना चाहिए व चंद्रमा दर्शन करने के साथ ही अर्घ्य भी देना चाहिए। माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर व्रत करने से स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है।

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