गिरिडीह में चल रहा गजब खेल! पति जिंदा, पत्नियां उठा रहीं विधवा पेंशन, मृतक भी ले रहे सरकारी लाभ
गिरिडीह जिले के बेंगाबाद प्रखंड में एक अजीब मामला सामने आया है। मोतीलेदा पंचायत में कई महिलाएं अपने पति के जीवित रहते हुए भी विधवा पेंशन ले रही हैं। सामाजिक अंकेक्षण में पता चला कि कुछ लोग मर चुके हैं फिर भी उन्हें पेंशन मिल रही है। कुछ लोगों ने समय से पहले खुद को वृद्ध बताकर पेंशन लेना शुरू कर दिया।

ज्ञान ज्योति, गिरिडीह। शायद ही ऐसी कोई महिला होगी, जो आजीवन सुहागन रहने की चाहत न रखती हो। हर किसी की यही इच्छा रहती है कि उसकी अर्थी एक सुहागन के रूप में उठे। इसके लिए वे कई तरह के व्रत कर पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं, लेकिन इससे इतर कई महिलाएं पति के जीवित रहते भी विधवा बन गई हैं, वह भी सरकार से पेंशन के रूप में मिलने वाले महज एक हजार रुपये के लिए।
जी हां, पति के जीवित रहते हुए भी महिलाएं खुद को विधवा बताकर लंबे समय से पेंशन ले रही हैं। मामला गिरिडीह जिला के बेंगाबाद प्रखंड अंतर्गत मोतीलेदा पंचायत का है। इस पूरे मामले का खुलासा सामाजिक अंकेक्षण के दौरान हुआ है।
मांग में सिंदूर, कागज पर विधवा
मोतीलेदा की सकुना देवी, जीतनी देवी, सुमित्रा देवी अपनी मांग में सिंदूर लगाती हैं। सिंदूर लगाना भी लाजिमी है, क्योंकि उनके पति जीवित जो हैं, लेकिन सरकार के रिकॉर्ड में ये सभी कई वर्ष पहले ही विधवा हो चुकी हैं।
ऐसा इसलिए लिख रहे हैं, क्योंकि इन महिलाओं को नियमित रूप से विधवा पेंशन मिल रही है। पति के रहने के बावजूद ये विधवा पेंशन का लाभ लेने में कोई गुरेज नहीं कर रही हैं। सभी खुशी-खुशी विधवा पेंशन उठा रही हैं।
दिवंगतों के नाम से भी मिल रही पेंशन
इसी पंचायत में दिवंगत हो चुके लोगों के नाम से भी वृद्धा पेंशन का भुगतान हो रहा है। ऐसे लाभुकों में प्रसादी महतो, पुरन महतो, शनिचर महतो, बिंदली देवी, हेमलाल महतो, सुंदरी देवी, इदरा देवी, सोमरी, बालो भोगता, ईश्वर महतो, सोमरी देवी, बंधु राणा, गोपाल ठाकुर, पार्वती देवी, भगिया, सुंदरी देवी और ईशर महतो शामिल हैं। इन सभी की मौत हो चुकी है। इसके बावजूद उन्हें पेंशन मिल रही है।
समय से पहले हो गए वृद्ध
पंचायत में कई ऐसे लोग भी हैं, जिन्होंने पेंशन पाने के लिए समय से पहले ही खुद को वृद्ध घोषित कर दिया है। इनमें शनिचर महतो वर्ष 2015 से वृद्धा पेंशन ले रहा है, जबकि उस समय उनकी उम्र 57 साल थी। बद्री तुरी 56 वर्ष की उम्र में वर्ष 2018 से वृद्धा पेंशन का लाभ ले रहे हैं। लखिया देवी भी 56 वर्ष की उम्र से ही वृद्धा पेंशन ले रही हैं। वह वर्ष 2028 में वृद्धा पेंशन की लाभुक बनी है।
सामाजिक अंकेक्षण में हुआ खुलासा
बीते माह मोतीलेदा पंचायत भवन में पायलट प्रोजेक्ट के तहत पेंशन योजनाओं का सामाजिक अंकेक्षण किया गया। इस दौरान पंचायत के कुल 346 लाभुकों का सत्यापन किया जाना था, लेकिन 280 लाभुकों का ही सत्यापन किया जा सका। शेष लाभुक सामाजिक अंकेक्षण में नहीं पहुंचे। इसी सामाजिक अंकेक्षण के क्रम में उक्त मामले सामने आए हैं।
गलत एंट्री कर पैसे की हो रही निकासी
अब सवाल उठता है कि मृतकों के नाम से आ रही पेंशन की राशि की निकासी कौन और कैसे कर रहा है। इस संबंध में सूत्रों ने बताया कि क्षेत्र में एक गिरोह है, जो लाभुकों के संबंध में गलत एंट्री कर राशि की निकासी कर रहा है।
जानकारों का यह भी कहना है कि न केवल मोतीलेदा पंचायत बल्कि बेंगाबाद सहित जिले के अन्य प्रखंडों में भी पेंशन योजनाओं में इस तरह की गड़बड़ी हो रही है। यदि इसकी गहराई से जांच कराई जाए, तो इस तरह के कई और मामले सामने आ सकते हैं।
सवालों के घेरे में पंचायत के कर्मचारी
पेंशन योजनाओं के लाभान्वितों का सत्यापन पंचायत स्तरीय कर्मियों की ओर से समय-समय पर किया जाता है। वे लाभुकों का सत्यापन कर विभाग को रिपोर्ट सौंपते हैं कि लाभुक जीवित हैं या नहीं, विधवा पेंशन ले रहीं महिलाएं वास्तव में विधवा हैं या नहीं। उनकी रिपोर्ट के आधार पर दिवंतग हो चुके लाभुकों का नाम सूची से हटाया जाता है। ऐसे सत्यापन करने वाले कर्मी भी सवालों के घेरे में हैं।
सामाजिक अंकेक्षण के पहले लाभुकों का सत्यापन कर रिपोर्ट कंप्यूटर आपरेटर को सौंपी गई थी। रिपोर्ट में दिवंगत हो चुके और जीवित लाभुकों की सूची भी शामिल थी। मृत लाभुकों का नाम आपरेटर को ही सूची से हटाना था। उन्होंने नाम हटाया या नहीं, इसकी जानकारी नहीं है। -सीमा कुमारी, पंचायत सचिव, मोतीलेदा
मृतकों और सुहागन महिलाओं को पेंशन मिलने की जानकारी नहीं है। कुछ माह पूर्व पंचायत सचिव, आंगनबाड़ी सेविका आदि कर्मियों से लाभुकों का सत्यापन कराया गया था। सत्यापन के बाद जो रिपोर्ट आई थी, उसके आधार पर मृत लाभुकों का नाम सूची से विलोपित कर दिया गया था। इसके बाद भी यदि मृतकों के नाम से पेंशन का भुगतान हो रहा है तो इसकी जांच कराई जाएगी। -सुनील मुर्मू, BDO, बेंगाबाद

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