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    हजारीबाग निगम चुनाव: OBC के लिए महापौर पद आरक्षित करने की तैयारी, नए चेहरे मचाएंगे हलचल!

    Updated: Fri, 07 Nov 2025 01:10 PM (IST)

    हजारीबाग नगर निगम चुनाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है। इस बार चुनाव में कई नए चेहरे नजर आ सकते हैं। महापौर का पद ओबीसी के लिए आरक्षित होने की संभावना है, जिससे ओबीसी उम्मीदवार उत्साहित हैं। पिछले चुनाव में भाजपा ने महापौर और उपमहापौर दोनों पद जीते थे। इस बार दलीय आधार पर चुनाव न होने से मुकाबला दिलचस्प होने की उम्मीद है।

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    हजारीबाग निगम चुनाव

    संवाद सहयोगी, हजारीबाग। नगर निगम चुनाव को अब तक कोई औपचारिक घोषणा चुनाव आयोग की ओर नहीं की गई है, लेकिन चुनाव की आहट देखते हुए प्रत्याशियों की गहमागहमी बढ़ गई है। इस बार के निगम चुनाव में लोगों को कई नए चेहरे जिसमें सामाजिक कार्यकर्ता और पूर्व वार्ड सदस्य भी मैदान में नजर आ सकते हैं। 

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    बता दें कि वर्तमान में नगर निगम में महापौर, उपमहापौर और 36 वार्ड सदस्यों के लिए चुनाव होगा। हालांकि हाईकोर्ट के निर्देश के मुताबिक ट्रिपल टेस्ट के आधार पर अब तक आरक्षण रोस्टर वगैरह तैयार नहीं किया गया है। 

    बड़े राजनीतिक दल की बैसाखी

    बताते चलें कि राज्य में नगर निकाय चुनाव दलीय आधार पर नहीं कराए जाने की बात सामने आने के बावजूद महापौर और उप महापौर जैसे बड़े पद के उम्मीदवारों किसी बड़े राजनीतिक दल की बैसाखी लेकर ही इस वैतरणी को पार करना चाहते हैं। 

    वहीं वर्तमान में शहरी क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी का दबदबा है, लेकिन कांग्रेस, झामुमो के अलावा अन्य पार्टियां जैसे सीपीआई, आजसू भी अपनी पार्टी के प्रभाव का इस्तेमाल महापौर और उप महापौर के चुनाव को प्रभावित करने के लिए करेंगे। यही कारण है कि अब महापौर और उप महापौर पद के संभावित उम्मीदवार भाजपा, कांग्रेस सहित अन्य दलों का चक्कर लगाकर अपने लिए समर्थन जुटाने की मुहिम में जुट गए हैं। 

    वहीं शहर में विभिन्न सामाजिक कार्यों के माध्यम से समाज में अपना स्थान बनाने वाले लोग भी मैदान में कूदने के लिए तैयार हैं। हालांकि विगत चुनाव में उतरने वाले उम्मीदवार इस बार भी अपनी दावेदारी बरकरार रखना चाहते हैं।

    ओबीसी के लिए आरक्षित किया जा सकता है महापौर का पद

    सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक इस बार के नगर निगम चुनाव में महापौर का पद ओबीसी के लिए आरक्षित किया जा सकता है। जबकि उप महापौर को लेकर अब तक कुछ भी स्पष्ट नहीं हो पाया है। इस जानकारी के बाद क्षेत्र के ओबीसी उम्मीद की बांछें खिल गई और वे उत्साहित होकर अपनी दावेदारी ठोकने के लिए आमदा दिख रहे हैं। 

    वहीं वार्ड पार्षद सदस्य की सीटों को लेकर कम मारामारी नहीं दिख रही है। नाम नहीं छापने की शर्त पर एक पर्वू वार्ड पार्षद ने बताया कि यदि चुनाव में जाति आरक्षण आड़े नहीं आएगा तो महिला या पुरुष कोई भी पद हो वे चुनाव में अवश्य उतरेंगे। आखिर इतने दिनों से समाजसेवा किस खातिर किया है। 

    बता दें कि अब से करीब सात वर्ष पूर्व वर्ष 2018 में हुए नगर निगम चुनाव दलीय आधार पर कराया गया था। उस चुनाव में नगर निगम महापौर का सीट अनुसूचित जनजाति महिला के लिए आरक्षित था। जिस पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर रौशनी तिर्की महापौर की उम्मीदवार थी। 

    उन्होंने 35417 मत लाकर अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के गुंजा देवी को 7711 मतों से पराजित किया था। जबकि उप महापौर के पद के लिए भाजपा के प्रत्याशी राजकुमार लाल थे और उन्होंने भी अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के आनंद देव को 6508 मतों से पराजित किया था। 

    इस प्रकार निगम सरकार की दोनों पदों पर भाजपा काबिज हो गई थी। हालांकि यदि इस बार इन पदों के लिए दलीय आधार पर चुनाव नहीं होगा, तो अधिक संख्या में प्रत्याशियों के उतरने से चुनाव घमासान हो सकता है।