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    AI कभी भी एचआर प्रोफेशनल को प्रतिस्थापित नहीं कर सकता, भविष्य की चुनौतियों तथा अवसरों पर चर्चा

    By Ch Rao Edited By: Kanchan Singh
    Updated: Tue, 26 Aug 2025 05:22 PM (IST)

    देश के प्रमुख प्रबंधन संस्थान एक्सएलआरआइ में वार्षिक फ्लैगशिप सीएचआरओ कान्क्लेव “क्रोनास 2025” का आयोजन किया गया। पीजीडीएम (जीएम) बैच 2025–26 द्वारा आयोजित इस वर्ष का विषय था – रीमेजिनिंग वर्क वर्कफोर्स व वर्कप्लेस द सीएचआरओ प्लेबुक फार 2030। इसमें भारत के अग्रणी एचआर लीडर ने हिस्सा लिया और भविष्य के कार्य कार्यबल और कार्यस्थल की चुनौतियों एवं अवसरों पर चर्चा की।

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    एक्सएलआरआइ में वार्षिक फ्लैगशिप सीएचआरओ कान्क्लेव का आयोजन किया गया।

    जासं, जमशेदपुर। देश के प्रमुख प्रबंधन संस्थान एक्सएलआरआइ में वार्षिक फ्लैगशिप सीएचआरओ कान्क्लेव “क्रोनास 2025” का आयोजन किया गया।

    पीजीडीएम (जीएम) बैच 2025–26 द्वारा आयोजित इस वर्ष का विषय था – रीमेजिनिंग वर्क, वर्कफोर्स व वर्कप्लेस : द सीएचआरओ प्लेबुक फार 2030।

    इसमें भारत के अग्रणी एचआर लीडर ने हिस्सा लिया और भविष्य के कार्य, कार्यबल और कार्यस्थल की चुनौतियों एवं अवसरों पर चर्चा की। उद्घाटन के अवसर पर एक्सएलआरआइ के निदेशक फादर (डा.) जार्ज सेबेस्टियन, एस.जे., डीन (अकादमिक) डा. संजय पात्रो और एसोसिएट डीन (एग्जीक्यूटिव प्रोग्राम्स) डा. पूर्ण चंद्र पाधन ने विचार रखे।

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    फादर सेबेस्टियन ने अपने संबोधन में कहा कि एचआर प्रोफेशनल्स को कभी भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रतिस्थापित नहीं कर सकता। एचआर मूलतः मानवीय ज्ञान पर आधारित है और किसी भी संगठन की धड़कन है।

    डा. पात्रो ने कार्यस्थल के विकासशील स्वरूप पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एचआर नेतृत्वकर्ताओं को उद्देश्यपूर्ण जाब डिजाइन और साझा प्रयोगों को बढ़ावा देना होगा।

    वहीं डा. पाधन ने कान्क्लेव को शिक्षा जगत और उद्योग के बीच एक सशक्त सेतु बताया। इस दौरान आयोजन समिति के छात्रों को विशेष रूप से सम्मानित किया गया। इस आयोजित सत्र को तीन भागों में विभक्त किया गया था, जिनके विषय भी अलग-अलग थे।

    पहला पैनल : वर्कफोर्स रेजिलिएंस

    विषय पर बोलते हुए ट्रांस्सियन इंडिया के सीएचआरओ शलीन मानिक ने कहा कि प्रदर्शन के साथ पिवट करना और टैलेंट मोबिलिटी अब जरूरी हो गया है। बीसीजी की सोनलिका यादव ने जोड़ा कि डिसरप्शन के दौर में धैर्य, भरोसा और एगिलिटी सबसे बड़े स्तंभ हैं।

    दूसरा पैनल : सीएचआरओ की बदलती भूमिका

    वेदांता पावर की सीएचआरओ अभिलाषा मलवीया ने कहा कि आधुनिक करियर का सार पुनराविष्कार और जुड़ाव में है। वहीं वेक्टर कंसल्टिंग ग्रुप के सीएचआरओ सायन चक्रवर्ती ने रेखांकित किया कि संस्कृति के केंद्र में हमेशा मानवीय जुड़ाव रहेगा।

    तीसरा पैनल : समावेशिता और समानता 

    किंड्रिल की कावेरी चौहान ने कहा कि सच्ची समावेशिता तब होगी जब सिस्टम हर किसी के लिए, यहां तक कि न्यूरोडाइवर्जेंट लोगों के लिए भी डिजाइन हों। नार्दर्न ट्रस्ट के रायडन गोंसाल्वेज ने जोर दिया कि डीईआइ केवल नीति नहीं, बल्कि जीने वाली संस्कृति होनी चाहिए।