बिजली विभाग का अरबों रुपये दबाकर बैठी केंद्र सरकार की कंपनियां, HCL पर लाखों का बकाया
झारखंड बिजली वितरण निगम (जेबीएनएल) ने केंद्र सरकार की बिजली कंपनियों पर 534 करोड़ रुपये दबाने का आरोप लगाया है। आयोग का कहना है कि इन कंपनियों द्वारा भुगतान में देरी से राज्य की बिजली वितरण व्यवस्था प्रभावित हो रही है। बार-बार रिमाइंडर भेजने के बावजूद भुगतान नहीं किया गया है।
-1763912135111.webp)
प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। झारखंड बिजली वितरण निगम (जेबीएनएल) की आर्थिक सेहत केंद्र सरकार के ही उपक्रमों ने बिगाड़ रखी है। विभाग का खजाना भरने के बजाय, केंद्र सरकार के अधीन आने वाले संस्थान करोड़ों नहीं, बल्कि अरबों रुपये दबाकर बैठे हैं।
आंकड़ों पर गौर करें तो यूसिल (यूरेनियम कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड), एचसीएल (हिंदुस्तान कॉरपोरेशन लिमिटेड), रेलवे और परमाणु विभाग जैसे संस्थानों पर बिजली विभाग का कुल 534 करोड़ 59 लाख 87 हजार रुपये से अधिक का बकाया है।
जमशेदपुर सर्किल के अधीक्षण विद्युत अभियंता सुधीर कुमार ने अब सख्ती दिखाते हुए इन बकायेदारों को नोटिस भेजना शुरू कर दिया है।
यूसिल पर सबसे भारी भरकम बकाया
बिजली विभाग की सबसे बड़ी उधारी यूसिल के नाम है। यह आंकड़ा इतना बड़ा है कि इसे चुकाने में विभाग की कई आर्थिक समस्याएं हल हो सकती हैं। सिर्फ यूसिल जादूगोड़ा के एक खाते में 362 करोड़ 71 लाख 12 हजार 155 रुपये बाकी हैं।
वहीं, इसी इकाई के दूसरे खाते में 86 करोड़ 42 लाख 33 हजार 78 रुपये का बिल लंबित है। बात यहीं खत्म नहीं होती, यूसिल के तुरामडीह स्थित प्रोजेक्ट (जीएम यूसील) पर भी 83 करोड़ 49 लाख 35 हजार 550 रुपये बकाया है। इसके अलावा यूसिल की बागजाता माइंस को भी 17 लाख 94 हजार 765 रुपये चुकाने हैं।
तांबा कंपनी और रेलवे भी पीछे नहीं
यूसिल के बाद हिंदुस्तान कारपोरेशन लिमिटेड (एचसीएल) की विभिन्न इकाइयों पर भी बिजली विभाग का लाखों रुपये फंसा हुआ है। एचसीएल मुसाबनी पर 57 लाख 13 हजार 647 रुपये, सुरदा माइंस पर 48 लाख 43 हजार 218 रुपये और मऊभंडार इकाई पर कुल मिलाकर 45 लाख रुपये से अधिक का बकाया है।
दक्षिण पूर्व रेलवे (चक्रधरपुर) भी बिजली बिल चुकाने में पीछे है। रेलवे पर 16 लाख 56 हजार 649 रुपये की देनदारी है।
छोटे बकायेदारों की भी लंबी लिस्ट
बकायेदारों की सूची में सुरक्षा और अनुसंधान से जुड़े संस्थान भी शामिल हैं। कमांडेंट जमशेदपुर के नाम छह लाख दो हजार 536 रुपये और कमांडेंट सुंदरनगर पर एक लाख 97 हजार छह सौ एक रुपये का बिल बाकी है। वहीं, एटामिक मिनरल और एटामिक मिनरल्स डायरेक्टर के कार्यालयों पर भी लाखों रुपये की उधारी है।
बिजली बकायेदारों का लेखा-जोखा (विस्तृत तालिका)
| संस्थान का नाम | बकाया राशि (रुपये में) |
|---|---|
| यूसिल जादूगोड़ा (खाता 1) | 362,71,12,155.00 |
| यूसिल जादूगोड़ा (खाता 2) | 86,42,33,078.30 |
| जीएम यूसील तुरामडीह | 83,49,35,550.10 |
| एचसीएल मुसाबनी | 57,13,647.62 |
| एचसीएल सुरदा माइंस | 48,43,218.86 |
| एचसीएल मउभंडार (इकाई 1) | 43,64,044.74 |
| यूसिल बगजाता माइंस | 17,94,765.96 |
| एसई रेलवे चक्रधरपुर | 16,56,649.34 |
| कमांडेंट जमशेदपुर | 6,02,536.04 |
| एटोमिक मिनरल | 2,54,006.71 |
| कमांडेंट सुंदरनगर | 1,87,601.02 |
| एचसीएल मउभंडार (इकाई 2) | 1,86,253.84 |
| एटोमिक मिनरल्स डायरेक्टर | 1,03,751.36 |
| कुल बकाया राशि | 5,34,59,87,258.89 |
नोट: कुल राशि लगभग 534 करोड़ 59 लाख 87 हजार 258 रुपये है।
बिजली विभाग की ओर से इन बकायेदारों को बार-बार नोटिस दिया गया है। इसके बावजूद विभाग की ओर से बकाया जमा करने की स्थिति बेहद खराब है। जमशेदपुर विद्युत सर्किल के तहत वैसे सरकारी कार्यालयों जिसके पास करोड़ों का बिजली बिल का बकाया है। वैसे सरकारी कार्यालयों को चिह्नित करते हुए नोटिस तैयार किए जा रहे हैं। एक माह के अंदर बकाया बिजली बिल जमा करने को कहा गया है।
- अजित कुमार, विद्युत महाप्रबंधक, जमशेदपुर एरिया बोर्ड

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।