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    चाईबासा में उबला आदिवासी आक्रोश, पर कोल्हान के बाकी जिलों में बंद रहा बेअसर

    Updated: Wed, 29 Oct 2025 07:42 PM (IST)

    चाईबासा में नो-एंट्री की मांग कर रहे ग्रामीणों पर लाठीचार्ज के विरोध में कोल्हान बंद का आयोजन किया गया। पश्चिमी सिंहभूम में बंद का असर दिखा, पर अन्य जिलों में नहीं। भाजपा ने बंद का समर्थन किया, जबकि झामुमो ने इसे विफल बताया। बाबूलाल मरांडी और चम्पाई सोरेन ने सरकार की नीतियों की आलोचना की।

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    प्रदर्शनकारियों ने चाईबासा में सड़क पर टायर जलाकर वाहनों का परिचालन ठप किया।

    जागरण संवाददाता, जमशेदपुर । चाईबासा में एनएच पर नो-एंट्री की मांग कर रहे ग्रामीणों पर हुए पुलिस लाठीचार्ज के विरोध में बुधवार को बुलाया गया कोल्हान बंद पश्चिमी सिंहभूम में प्रभावी रहा, लेकिन पूर्वी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां जिलों में इसका असर नहीं दिखा। आदिवासी संगठनों द्वारा बुलाए गए इस बंद को भारतीय जनता पार्टी का समर्थन मिला था, लेकिन मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन के गृह क्षेत्र सरायकेला में बंद का कोई खास प्रभाव नहीं दिखा। पश्चिम सिंहभूम में बस सेवाएं ठप रहीं और बाजार बंद, जबकि जमशेदपुर, घाटशिला और बहरागोड़ा में जनजीवन पूरी तरह सामान्य रहा।

    हेमंत सरकार में लोकतंत्र नहीं, तानाशाही : मरांडी
    नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि चाईबासा में आदिवासी युवाओं पर हुआ बर्बर लाठीचार्ज सरकार की दमनकारी नीतियों का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि जो सरकार अपने ही राज्य के आदिवासी युवाओं पर रात के अंधेरे में लाठियां चलवाती हैं, वह जनता का विश्वास खो चुकी है।

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     संवेदनहीन सरकार, सुरक्षा मांगने पर मिली लाठियां : आदित्य साहू
    भाजपा के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष आदित्य साहू ने कहा कि बंद को जनता और व्यापारियों का स्वैच्छिक समर्थन मिला। उन्होंने कहा, चाईबासा बाईपास पर भारी वाहनों के कारण एक साल में 154 लोगों की मौत हो चुकी है। संवेदनहीन सरकार ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों पर लाठियां बरसाईं। यह सरकार हर विरोधी आवाज को कुचलना चाहती है।
     
    घाटशिला उपचुनाव में वोट से जवाब देगा आदिवासी समाज : चम्पाई
    पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन ने इस घटना को हेमंत सरकार की बर्बरता करार दिया। उन्होंने कहा, खुद को आदिवासी हितैषी बताने वाली सरकार आज उन्हीं पर गोलियां और लाठियां चलवा रही हैं। नो-एंट्री जैसी जनहित की मांग को इस तरह कुचलना शर्मनाक है। घाटशिला उपचुनाव में आदिवासी समाज इस तानाशाही का जवाब अपने वोट से देगा।
     
    प्रतिरोध हेमंत सरकार के लिए एक चेतावनी है : कोड़ा
    पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने कहा कि यह जनता की आवाज है। हेमंत सरकार के लिए एक चेतावनी है। अगर आदिवासियों पर दमन जारी रहा तो पूरा झारखंड सड़कों पर उतर आएगा। बंद को सफल बनाने में पश्चिम सिंहभूम में बड़कुंवर गगराई, गीता कोड़ा और गीता बलमुचू, मीरा मुंडा और उदय सिंह देव जैसे नेता सक्रिय रहे।
     
    झामुमो बोला- बंद पूरी तरह विफल :
    झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बंद को पूरी तरह विफल बताया है। जिला संयोजक बागराई मार्डी ने कहा कि घाटशिला चुनाव को प्रभावित करने के लिए बंद का हथकंडा अपनाया, जिसे लोगों ने पूरी तर नकार दिया।