'शादी नहीं करूंगी...', दामिनी के हौसले का कमाल, बन गई ऐसा करने वाली गुलगुलिया जाति की पहली छात्रा
Jharkhand News चाकुलिया की गुलगुलिया समुदाय की छात्रा दामिनी सबर ने 2025 में प्रथम श्रेणी से इंटरमीडिएट परीक्षा पास कर सबको चौंका दिया। पहले 2023 में मैट्रिक भी प्रथम श्रेणी से पास की थी। तत्कालीन उपायुक्त की मदद से कस्तूरबा विद्यालय में दाखिला मिला। सुविधाओं के अभाव में जाति प्रमाण पत्र की समस्या से जूझ रही दामिनी आगे इतिहास में ऑनर्स करना चाहती है।

संसू, चाकुलिया। जिस खानाबदोश गुलगुलिया समुदाय के बच्चे स्कूल से दूर रहकर अक्सर ट्रेनों में भीख मांगते नजर आते हैं, उस समाज की छात्रा दामिनी सबर ने वर्ष 2025 की आइए की परीक्षा प्रथम श्रेणी से पास कर सबको चौंका दिया है।
दामिनी इससे पहले वर्ष 2023 में मैट्रिक की परीक्षा भी प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कर चुकी है। मैट्रिक पास करने के बाद जिला की तत्कालीन उपायुक्त विजया जाधव की पहल पर उसका नामांकन स्थानीय कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय में किया गया था।
यहां से प्लस टू की पढ़ाई पूरी करने के बाद उसने आइए की परीक्षा दी थी। दामिनी ने 67 प्रतिशत यानी 335 अंक प्राप्त कर प्रथम श्रेणी से परीक्षा पास की।
दामिनी को अंग्रेजी में 53, हिंदी में 66, इतिहास में 71, राजनीतिक विज्ञान में 69, भूगोल में 46 तथा अर्थशास्त्र में 58 अंक हासिल हुए हैं।
इनसे सीखें
- गुलगुलिया जाति से मैट्रिक व इंटर दोनों पास करने वाली पहली छात्रा बनी दामिनी
- अब अपनी आगे की पढ़ाई के लिए जाति प्रमाण पत्र को लेकर परेशान है छात्रा
- दामिनी सबर गुलगुलिया समुदाय की बेटी ने लहराया सफलता का परचम
वह इतिहास ऑनर्स विषय में आगे की पढ़ाई करना चाहती है। लेकिन उसके समक्ष इस समय कई कठिनाईयां एवं चुनौतियां हैं।
सुविधाओं के अभाव से जूझ रही दामिनी को अगर जाति प्रमाण पत्र मिल जाए तो उसकी आगे की पढ़ाई की राह आसान हो सकती है।
मगर उसके पास अपनी कोई जमीन या घर नहीं है। वह जिस जाति से आती है वह अंचल कार्यालय में सूचीबद्ध भी नहीं है।
सबर के नाम पर इन्हें अंत्योदय योजना के तहत अनाज तो मिलता है लेकिन कोई दूसरा फायदा नहीं मिलता। शुक्रवार को दामिनी ने जाति प्रमाण पत्र की समस्या को लेकर स्थानीय बीडीओ आरती मुंडा से मुलाकात की।
उसने जिला के उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी को भी अपनी समस्या व्हाट्सएप पर भेजी है। जिस पर संज्ञान लेते हुए उपायुक्त ने जाति प्रमाण पत्र से संबंधित आवेदन भेजने को कहा है। दामिनी ने आवेदन जमा कर इसकी तस्वीर डीसी को भेज दी है।
बीडीओ आरती मुंडा को अपनी समस्या बताती छात्रा। जागरण
बाल विवाह से कर चुकी है इनकार
मैट्रिक पास करने के बाद ही दामिनी के परिवार वालों ने उसकी शादी तय कर दी थी। आमतौर पर इस समुदाय की बच्चियों की शादी कम उम्र में ही हो जाती है। लेकिन दामिनी ने शादी करने से इनकार कर दिया था।
उसने यह बात तत्कालीन बाल विकास विभाग की सुपरवाइजर सविता सिन्हा को बताई तो उन्होंने त्वरित पहल करते हुए परिवार के लोगों से मिलकर उन्हें समझाया था। इससे बाल विवाह को रोकने में सफलता मिली थी। इसके बाद ही दामिनी आगे की पढ़ाई कर सकी।
पेड़ के नीचे बैठकर की थी मैट्रिक की पढ़ाई
दामिनी सबर ने मैट्रिक की पढ़ाई बेघर रहते हुए पेड़ के नीचे की थी। परीक्षा के पहले उसका मिट्टी का घर आंधी तूफान में गिर गया था।
इंटर की पढ़ाई भी वह इसलिए पूरी कर सकी क्योंकि उसका नामांकन तत्कालीन डीसी की पहल पर कस्तूरबा आवासीय विद्यालय में हो गया था।
मगर अब स्नातक की पढ़ाई के लिए ना तो उसके पास पैसे हैं और ना हीं कोई सुविधा। परिवार की हालत ऐसी है कि उनके पास न रहने को घर है और ना सोने को बिस्तर। पिता ज्योति सबर का देहांत काफी पहले ही हो चुका है।
छह भाई बहनों में सबसे बड़ी दामिनी ने अपनी मां जेसिन सबर के साथ परिवार को संभाला। पढ़ाई के साथ- साथ मजदूरी भी करती रही। अब आगे की पढ़ाई के लिए वह जिला के नए उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी से उम्मीद लगाए बैठी है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।