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    Swatantrata Ke Sarthi: शोषण के विरुद्ध आवाज उठाकर तोड़ीं चुप्पी की दीवारें, लोगों को न्याय दिलाकर फैला रही हैं उजाला

    Updated: Wed, 13 Aug 2025 07:25 PM (IST)

    पोटका में समाज कल्याण महिला सशक्तीकरण संगठन महिलाओं को शोषण और अन्याय से मुक्ति दिला रहा है। यह संगठन डायन प्रथा घरेलू हिंसा और यौन शोषण के मामलों में पीड़ितों को न्याय दिलाने में सक्रिय है। बाल विवाह रोकने और पर्यावरण संरक्षण के लिए भी प्रयासरत है। शंकर गुप्ता के अनुसार यह संगठन सच्ची स्वतंत्रता की मशाल है जो शोषितों के जीवन में उजाला ला रहा है।

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    शोषण के विरुद्ध उठाकर लोगों को दिलाया न्याय। जागरण फोटो

    शंकर गुप्ता, पोटका। स्वतंत्रता का अर्थ केवल राजनीतिक आजादी नहीं, बल्कि हर अन्याय और शोषण से मुक्ति भी है। इसी सच्ची स्वतंत्रता की लौ को मशाल बना चुकी हैं पोटका क्षेत्र की कुछ साहसी महिलाएं।

    कल तक जो समाज के तानों और अत्याचारों के अंधकार में घुट रही थीं, आज वे ही 'समाज कल्याण महिला सशक्तीकरण' संगठन के रूप में दुर्गा का अवतार बन चुकी हैं।

    वर्ष 2024 में जलायी गई बदलाव की यह छोटी सी चिंगारी, आज कई शोषितों के जीवन में न्याय का उजाला फैला रही है और अत्याचारियों को उनके किए की सजा दिलवा रही है।

    शोषण से जन्मा एक संगठन

    पोटका के गंगाडीह, पोड़ाडीह, हेंसड़ा और हल्दीपोखर जैसे कई पंचायतों में महिलाओं का जीवन लंबे समय से शोषण, डायन प्रथा जैसी कुरीतियों और बाल विवाह के अंधकार में डूबा हुआ था। उनकी आवाज चुप्पी की दीवारों में कैद थी और अस्मिता हर दिन तार-तार हो रही थी।

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    इस घुटन भरे माहौल में बदलाव की एक चिंगारी फूटी। क्षेत्र की कुछ जागरूक महिलाओं ने मिलकर इस अन्याय के खिलाफ खड़े होने का दृढ़ संकल्प लिया। इसी संकल्प ने वर्ष 2024 में 'समाज कल्याण महिला सशक्तीकरण' नामक संगठन को जन्म दिया, जो आज उत्पीड़ित महिलाओं के लिए आशा की किरण बन चुका है।

    संगठन की बागडोर देवी कुमारी भूमिज को अध्यक्ष, माधुरी राणा को उपाध्यक्ष, मोप्सी सरदार को सचिव और शालिनी मुर्मू को कोषाध्यक्ष के रूप में सौंपी गई। उनके नेतृत्व में दर्जनों महिलाएं हाथ में हाथ डालकर शोषण के खिलाफ एक मजबूत ढाल बन गई हैं।

    जब पीड़ितों को मिला न्याय

    यह संगठन अपने कार्यों से समाज में एक मिसाल कायम कर रहा है। पिछले कुछ महीनों में इन्होंने कई जटिल मामलों को सुलझाकर पीड़ितों को न्याय दिलाया है।

    डायन प्रथा पर प्रहार: पोड़ाडीह की 65 वर्षीय शकुंतला देवी को उनके पड़ोसी डायन कहकर प्रताड़ित करते थे। जब मामला संगठन के पास पहुंचा, तो उन्होंने ग्राम प्रधान की उपस्थिति में बैठक कर ग्रामीणों को समझाया कि डायन जैसी कोई चीज नहीं होती और इस नाम पर किसी को प्रताड़ित करना एक गंभीर अपराध है, जिसके लिए जेल हो सकती है। संगठन के हस्तक्षेप के बाद शकुंतला देवी आज सम्मान से जी रही हैं।

    घरेलू हिंसा से मुक्ति: पोटका की प्रमिला कुमारी को उसका पति शराब पीकर रोज मारता-पीटता था। 20 जनवरी 2024 को प्रमिला ने समिति से मदद मांगी। समिति ने उसके पति मनोज कुमार को समझाया, जिसके बाद उसने अपनी गलती मानी और अब वह अपनी पत्नी के साथ सम्मान से रह रहा है।

    प्रेम जाल में फंसाने वाले को जेल: कोवाली की एक 19 वर्षीय छात्रा को नीमडीह-चांडिल के प्रदीप गोप ने चार साल तक प्रेम जाल में फंसाकर शारीरिक शोषण किया और शादी से मुकर गया। संगठन की मदद से परिवार ने यौन हिंसा का मामला दर्ज कराया और आरोपी को जेल भिजवाया गया।

    टूटा रिश्ता जुड़वाया: गीतिलता की 24 वर्षीय युवती जब गर्भवती हुई तो उसके प्रेमी ने शादी से इनकार कर दिया। महिला समिति ने कोवाली थाने की मदद से युवक को कानूनी परामर्श दिलवाया, जिसके बाद वह शादी के लिए राजी हो गया और आज दोनों खुशी-खुशी जीवन बिता रहे हैं।

    अवैध संबंध का अंत: डोमजुरी के मोहन कर्मकार का पड़ोस की एक महिला से अवैध संबंध था, जिससे घर में कलह होती थी। पत्नी सुनीता की शिकायत पर समिति ने दोनों पक्षों को बैठाकर समझाया, जिसके बाद मोहन और उसकी प्रेमिका ने गलती स्वीकार की और अवैध संबंध समाप्त कर दिया।

    न्याय से आगे, समाज सेवा का जुनून

    इस संगठन का मिशन सिर्फ न्याय दिलाना ही नहीं, बल्कि एक बेहतर समाज का निर्माण करना भी है। ये महिलाएं गांव-गांव में बैठकें कर लोगों को जागरूक कर रही हैं। झारखंड में डायन प्रथा एक गंभीर सामाजिक बुराई रही है, और यह संगठन इस अंधविश्वास के खिलाफ जमीनी स्तर पर काम कर रहा है।

    इसके अलावा, संगठन ने पर्यावरण संरक्षण के लिए सैकड़ों पौधे लगाए हैं, जल संरक्षण अभियान चलाए हैं और अपनी सूझबूझ से 10 से अधिक बाल विवाह रुकवाकर मासूमों का भविष्य बचाया है। उनकी निस्स्वार्थ सेवा से प्रेरित होकर अब बड़ी संख्या में अन्य महिलाएं भी इस मुहिम से जुड़ रही हैं।

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