संघर्ष की मिसाल: पिता की मौत के बाद भी पिच पर डटीं ममता, जेएससीए बना संबल
युवा क्रिकेटर ममता ने पिता के निधन के बाद भी क्रिकेट के मैदान पर डटे रहने का फैसला किया। झारखंड राज्य क्रिकेट संघ (जेएससीए) ने उन्हें इस मुश्किल घड़ी में सहारा दिया और हर संभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया। ममता का दृढ़ संकल्प और संघर्ष की भावना प्रेरणादायक है।

महिला क्रिकेटर ममता पासवान को एक लाख की आर्थिक सहायता प्रदान करते जेएससीए के मानद सचिव सौरभ तिवारी।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। नियति के क्रूर प्रहार के बीच भी अपने हौसले को कायम रखना हर किसी के बस की बात नहीं होती। सोनारी की बेटी और झारखंड की सीनियर महिला क्रिकेटर ममता पासवान ने यह कर दिखाया है।
हाल ही में एक दर्दनाक सड़क हादसे में उन्होंने अपने पिता जवाहर पासवान को खो दिया, लेकिन उन्होंने जीवन की इस सबसे बड़ी परीक्षा के आगे हार नहीं मानी।
इस कठिन घड़ी में झारखंड राज्य क्रिकेट संघ (जेएससीए) उनके लिए मजबूत सहारा बनकर सामने आया। जेएससीए के मानद सचिव सौरभ तिवारी की पहल पर संघ ने ममता को एक लाख की आर्थिक सहायता प्रदान की।
ममता के पिता ने 12 अक्तूबर को अंतिम सांस ली थी
8 अक्टूबर को कदमा में हुए एक सड़क हादसे में ममता के पिता गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उन्हें रांची के रिम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां 12 अक्टूबर को उन्होंने अंतिम सांस ली। उस समय भी जेएससीए ने उनके उपचार में हरसंभव मदद की थी।
सीनियर महिला टी-20 टूर्नामेंट में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया
पिता के निधन का गहरा सदमा झेलने के बावजूद ममता ने अपने खेल को जारी रखा। उन्होंने बीसीसीआई द्वारा आयोजित सीनियर महिला टी-20 टूर्नामेंट में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और अपने प्रदर्शन के दम पर ईस्ट जोन टीम में जगह बनाई। अब वे नागालैंड में होने वाली जोनल क्रिकेट प्रतियोगिता में झारखंड का प्रतिनिधित्व करेंगी।
जेएसएसीए की मदद मेरे लिए भावनात्कम सहारा है
ममता ने इस कठिन दौर में जेएससीए की सहायता को भावनात्मक शब्दों में स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि पिता की क्षति अपूरणीय है, लेकिन इस अंधकार में जेएससीए का मेरे परिवार के साथ खड़ा होना मेरे लिए प्रकाश-स्तंभ जैसा है। यह मदद मेरे लिए भावनात्मक सहारा भी है।
हरफौनमौला खिलाड़ी हैं ममता पासवान
सोनारी की गलियों से निकलकर राज्य और राष्ट्रीय स्तर तक पहचान बनाने वाली ममता पासवान एक प्रतिभाशाली हरफनमौला खिलाड़ी (आलराउंडर) हैं। उनकी धारदार गेंदबाजी और बल्लेबाजी कई मौकों पर टीम को संकट से उबार चुकी है।
पिता के निधन जैसे शोक के बावजूद उनका मैदान पर डटे रहना उनकी अदम्य जिजीविषा और खेल के प्रति समर्पण का ज्वलंत प्रमाण है।
मुश्किलों के बावजूद सपनों की राह नहीं छोड़ी
ममता की कहानी आज न सिर्फ एक खिलाड़ी की, बल्कि हर उस बेटी की प्रेरणा है जो मुश्किलों के बावजूद सपनों की राह नहीं छोड़ती। सौरभ तिवारी और जेएससीए की यह पहल खेल-जगत में मानवीय संवेदना और सामूहिक समर्थन की एक मिसाल बन गई है।

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