जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। झारखंड सरकार ने सामाजिक समानता और मानवाधिकारों को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कालेजों में अब ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए विशेष स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किए जाएंगे।
यह व्यवस्था सुनिश्चित करेगी कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को इलाज के दौरान सम्मान, समान अवसर और भेदभाव से मुक्त वातावरण प्राप्त हो। स्वास्थ्य विभाग के अवर सचिव धीरंजन प्रसाद शर्मा ने सभी मेडिकल कालेजों के प्राचार्यों और सिविल सर्जनों को इस संबंध में आधिकारिक पत्र जारी किया है।
पत्र में यह स्पष्ट किया गया है कि झारखंड सरकार ट्रांसजेंडर समुदाय को मुख्यधारा की स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है। इसी उद्देश्य से हर सरकारी अस्पताल में अलग ओपीडी, समग्र स्वास्थ्य सुविधाएं और प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।
जनवरी से चल रही मुहिम
इस निर्णय के पीछे सामाजिक संस्था पीपल फार चेंज की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। संस्था के ट्रस्टी सौविक साहा ने जनवरी 2025 में यह अभियान शुरू किया था, जिसका उद्देश्य था कि ट्रांसजेंडर समुदाय को भी सम्मानजनक स्वास्थ्य सेवा मिले।
संस्था ने सरकार, चिकित्सा विभाग, जनप्रतिनिधियों और नागरिक समूहों के साथ लगातार संवाद बनाए रखा। कई जनसुनवाई आयोजित की गईं, जहां समुदाय की समस्याओं और समाधान पर विस्तार से चर्चा की गई।
लंबे प्रयास के बाद सरकार ने समुदाय की जरूरतों को स्वीकार किया और आधिकारिक आदेश जारी कर दिया। संस्था के प्रतिनिधियों का कहना है कि यह फैसला केवल एक प्रशासनिक आदेश नहीं है।
यह ट्रांसजेंडर समुदाय की गरिमा और उनके अधिकार की औपचारिक स्वीकृति है। संस्था ने कहा कि यह वह बदलाव है जिसे देखने की उम्मीद लंबे समय से थी और अब वह सच बन रहा है।
14,732 ट्रांसजेंडरों को सीधा लाभ
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार इस निर्णय से झारखंड के लगभग 14,732 ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। इसके अलावा इस मॉडल की चर्चा बिहार, ओडिशा, बंगाल और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में भी शुरू हो गई है।
सरकार के आदेश में कहा गया है कि प्रत्येक जिला अस्पताल और मेडिकल कालेज में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए अलग पंजीकरण काउंटर, जांच सुविधा और परामर्श कक्ष स्थापित किए जाएंगे। डॉक्टरों और अस्पताल स्टाफ को व्यवहारगत प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि इलाज के दौरान किसी प्रकार का भेदभाव न हो।
सरकार का मानना है कि यह पहल स्वास्थ्य सेवाओं को मानवीय बनाने की दिशा में अच्छा कदम है। यदि इसे अपनाया गया, तो पूर्वी भारत के करीब एक लाख ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को परोक्ष रूप से लाभ मिलेगा।
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