पोटका में मां मनसा की झापान यात्रा की धूम, जहरीले नागों के साथ रथ पर सवार होकर नाचते-गाते हैं ग्रामीण
पोटका में मां मनसा की झापान यात्रा की धूम है। ग्रामीण जहरीले सांपों के साथ रथ पर सवार होकर नाचते-गाते हैं। यह यात्रा मां मनसा की पूजा का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें भक्त आशीर्वाद लेने आते हैं। इस दौरान, सांपों के साथ ग्रामीणों का नृत्य देखने वालों को आश्चर्यचकित कर देता है। हर साल इस अनोखे उत्सव में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।
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जमशेदपुर के इस गांव में रथ पर सवार होकर नाचते-गाते हैं ग्रामीण। फोटो जागरण
संवाद सूत्र, पोटका (पूर्वी सिंहभूम)। क्या आपने कभी खुलेआम रथ पर चढ़कर घूमते जहरीले नागों को देखा है? वो भी गांव के बीचों-बीच, हजारों लोगों की भीड़ के सामने? अगर नहीं, तो आपको एक बार जरूर आना चाहिए पश्चिमी सिंहभूम के शंकरदा गांव, जहां मां मनसा की पूजा पर हर साल निकलती है झापान यात्रा- एक ऐसा आयोजन, जहां सांपों से डर नहीं, बल्कि पूजा होती है।
परंपरा, जो सैकड़ों साल पुरानी है
झारखंड-बंगाल की सीमा से सटे इस गांव में मां मनसा की पूजा सैकड़ों वर्षों से होती आ रही है। ग्रामीणों का अटूट विश्वास है कि जब से ये पूजा शुरू हुई है, सर्पदंश से किसी की मौत नहीं हुई और यही श्रद्धा, इस आयोजन को अद्वितीय बनाती है।
जब रथ पर चढ़कर नाचे नाग
इस बार की झापान यात्रा में पुरुलिया से आए तीन ओझा-गुनियों ने अपने साथ लाए जहरीले सांपों के साथ ऐसा खेल दिखाया कि देखने वालों की भी सांसें थम गईं। ओझाओं ने रथ पर चढ़कर सांपों के साथ पूजा, नृत्य और झांकी प्रस्तुत की, जिसे स्थानीय भाषा में 'झापान' कहा जाता है। इसे देखने गांव ही नहीं, आसपास के जिलों से भी श्रद्धालु उमड़ पड़े।
कलश यात्रा से शुरू, श्रद्धा से सजी शोभा
पूरे आयोजन की शुरुआत हुई नदी से जल भरने वाली कलश यात्रा से, जहां महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में कलश सिर पर लेकर चलती हैं। इसके बाद शुरू होती है झापान यात्रा- आस्था, नाट्य और नागों का जीवंत संगम।
गांव बना मंदिर, हर गली में आस्था
गांव में 6 से अधिक जगहों पर मां मनसा की मूर्तियां स्थापित की गई हैं। हर पूजा पंडाल में दीप, धूप और मंत्रों की गूंज है। ढोल-नगाड़ों की थाप पर थिरकती श्रद्धा और हर चेहरे पर मां के प्रति भक्ति दिखाई देती है।
क्यों है ये खास?
सांपों के साथ धार्मिक आयोजन देश में कहीं-कहीं ही होते हैं। परंपरा और लोक संस्कृति का जीवंत प्रदर्शन होता है। ग्रामीण आस्था, सुरक्षा और प्रकृति के साथ सहअस्तित्व का प्रतीक है यह आयोजन। इस आयोजन में बड़ी संख्या में गांव के लोग शामिल होते हैं।
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