Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पुराना सिलेबस आउट! XLRI जैसे टॉप कॉलेज अब अखबार की सुर्खियों से बना रहे हैं भारत के CEO

    Updated: Sat, 13 Sep 2025 09:06 AM (IST)

    भारत के शीर्ष बिज़नेस स्कूल छात्रों को सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं बल्कि लाइव केस स्टडी और वास्तविक दुनिया की घटनाओं के माध्यम से पढ़ा रहे हैं। XLRI जमशेदपुर जैसे संस्थान रूस-यूक्रेन युद्ध अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर जैसे वैश्विक भू-राजनीतिक मुद्दों को सीधे क्लासरूम में चर्चा का हिस्सा बना रहे हैं। इस कदम का उद्देश्य भविष्य के मैनेजरों को व्यापार पर पड़ने वाले जटिल प्रभावों को समझने के लिए तैयार करना है।

    Hero Image
    बिजनेस की दुनिया में जियो पालिटिक्स की धमक, एक्सएलआरआइ ने बदला सिलेबस।

    जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। रूस-यूक्रेन युद्ध से दुनिया भर में सप्लाई चेन पर पड़ा असर हो या अमेरिका-भारत और अमेरिका-चीन के बीच व्यापारिक तनाव (ट्रेड वार) से कंपनियों के फैसलों में आया बदलाव, तेजी से बदलते वैश्विक भू-राजनीतिक समीकरणों ने व्यापार करने के तौर-तरीकों को पूरी तरह बदल दिया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इन वैश्विक चुनौतियों को देखते हुए देश के शीर्ष बिजनेस स्कूलों में से एक, एक्सएलआरआइ जमशेदपुर ने भविष्य के मैनेजरों को तैयार करने के लिए अपनी शिक्षण पद्धति में क्रांतिकारी बदलाव किए हैं। अब यहां छात्रों को सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि दुनिया में घट रही वास्तविक घटनाओं और लाइव केस स्टडी के माध्यम से प्रबंधन की बारीकियां सिखाई जा रही हैं।

    क्लासरूम में गूंज रहे वैश्विक मुद्दे

    एक्सएलआरआइ के क्लासरूम अब केवल किताबी बहसों तक ही सीमित नहीं रह गए हैं, बल्कि यहां अब दुनिया के ज्वलंत मुद्दों पर सीधी और खुली चर्चा होती है। संस्थान ने पारंपरिक सिलेबस के पूर्ण बदलाव का इंतजार किए बिना ही अपने छात्रों को वैश्विक घटनाओं से सीधे जोड़ने की अनूठी पहल की है।

    यहां के प्रोफेसर क्लास में मौजूदा समाचारों, अंतरराष्ट्रीय विवादों और उनके व्यापार पर पड़ने वाले प्रभावों का विश्लेषण कर रहे हैं। इसका सीधा मकसद छात्रों को उस जटिल वैश्विक माहौल के लिए तैयार करना है, जो दुनियाभर के बाजारों और कॉर्पोरेट फैसलों को सीधे तौर पर प्रभावित करता है।

    एक्सएलआरआइ के डीन (एकेडमिक्स) संजय पात्रो ने बताया, इन बदलावों से छात्रों को क्लासरूम में सीखी गई अवधारणाओं को सीधे अखबारों की सुर्खियों और कंपनियों के बोर्डरूम में लिए जा रहे फैसलों से जोड़ने में मदद मिली है। वे अब समझ पा रहे हैं कि कैसे एक देश में हुआ राजनीतिक निर्णय दूसरे देश के बाजार को हिला सकता है।

    क्यों जरूरी है जियो-पालिटिक्स को समझना?

    जियो-पालिटिक्स का मतलब है कि किसी देश की भूगोल, राजनीति और अर्थव्यवस्था का वैश्विक संबंधों और व्यापार पर क्या असर पड़ता है। उदाहरण के लिए, रूस-यूक्रेन युद्ध ने सिर्फ दोनों देशों को ही प्रभावित नहीं किया, बल्कि इससे गेहूं की वैश्विक सप्लाई बाधित हुई, तेल की कीमतें बढ़ीं और कई देशों में महंगाई चरम पर पहुंच गई।

    इसी तरह, अमेरिका-भारत और अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार ने कई कंपनियों को अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट चीन से हटाकर दूसरे देशों में ले जाने पर मजबूर कर दिया। भविष्य के मैनेजरों को ऐसे ही वैश्विक जोखिमों का अनुमान लगाने और अपनी कंपनी के लिए सही रणनीति बनाने में सक्षम होना चाहिए।

    ईएसजी और एआइ जैसे भविष्य के विषय बने प्राथमिकता

    एक्सएलआरआइ ने सिर्फ भू-राजनीति पर ही नहीं, बल्कि भविष्य की अन्य बड़ी चुनौतियों पर भी ध्यान केंद्रित किया है। पिछले साल ही पाठ्यक्रम में ईएसजी यानी पर्यावरण, सामाजिक और शासन (एनवायरनमेंट, सोशल व गर्वनेंस) , सस्टेनेबल फाइनेंस और क्लाइमेट रिस्क पर एक नया माड्यूल पेश किया गया था। इस माड्यूल के जरिए छात्रों को यह समझना सिखाया जा रहा है कि कोई कंपनी अपने काम से पर्यावरण को कितना प्रभावित कर रही है, वह अपने कर्मचारियों, ग्राहकों और समाज के प्रति कितनी जिम्मेदार है, और उसे चलाने के तौर-तरीके कितने पारदर्शी और नैतिक हैं।

    यह कदम सेबी के निर्देशों और वैश्विक मानकों को ध्यान में रखकर उठाया गया है। इसके अलावा, ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट (एचआरएम) के छात्रों के लिए फ्यूचर आफ वर्क जैसा विषय भी शुरू किया गया है, जहां चैट जीपीटी और जेनरेटिव एआइ से एचआर प्रक्रियाओं में आ रहे बदलावों पर बहस होती है। इस साल, संस्थान ने स्टार्टअप गवर्नेंस और फंडिंग पर भी नई केस स्टडीज को अपने बिजनेस मैनेजमेंट प्रोग्राम का हिस्सा बनाया है।

    पात्रो के अनुसार, इन बदलावों के शानदार परिणाम मिले हैं। ईएसजी पर हुई चर्चाओं ने छात्रों को क्लाइमेट रिस्क पर बेहतरीन रिसर्च प्रोजेक्ट करने के लिए प्रेरित किया, तो वहीं एआइ-केंद्रित सत्रों ने एचआर और मैनेजमेंट के छात्रों के बीच कई हैकाथान और सहयोगी परियोजनाओं को जन्म दिया है।

    अन्य टाप बी-स्कूल भी इसी राह पर

    सिर्फ एक्सएलआरआइ ही नहीं, बल्कि देश के अन्य बड़े प्रबंधन संस्थान जैसे आइआइएम कलकत्ता, आइआइएम इंदौर, एमडीआइ गुड़गांव और इंडियन स्कूल आफ बिजनेस (आइएसबी) भी इसी राह पर हैं। ये सभी संस्थान अब ट्रेड वार, टैरिफ और व्यापार के माहौल को प्रभावित करने वाले अन्य वैश्विक मुद्दों पर जोर दे रहे हैं।

    कुल मिलाकर, भारत के बिजनेस स्कूल अब यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि उनके छात्र जब कार्पोरेट जगत में कदम रखें, तो वे न केवल बिजनेस की बारीकियों को समझें, बल्कि उन वैश्विक राजनीतिक और सामाजिक ताकतों का भी गहराई से विश्लेषण कर सकें, जो हर दिन कारोबार की दुनिया को नया आकार दे रही हैं।