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    फर्जी डिग्रीधारी 102 पारा शिक्षकों की स्कूल में नो एंट्री, लगातार शिकायत मिलने के बाद डीएसई ने लिया एक्शन

    Updated: Fri, 21 Nov 2025 05:30 AM (IST)

    झारखंड में फर्जी डिग्री के सहारे नौकरी कर रहे 102 पारा शिक्षकों को स्कूल में प्रवेश करने से रोक दिया गया है। जिला शिक्षा अधीक्षक (डीएसई) ने लगातार शिकायतों के बाद यह कदम उठाया। जांच में इन शिक्षकों के दस्तावेज जाली पाए गए, जिसके बाद उन्हें तत्काल प्रभाव से कार्यमुक्त करने का आदेश दिया गया। डीएसई ने कहा कि किसी भी फर्जी शिक्षक को बख्शा नहीं जाएगा।

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    फर्जी डिग्रीधारी 102 पारा शिक्षकों की स्कूल में नो एंट्री

    जागरण संवाददाता, जामताड़ा। जून में माह में ही सेवा समाप्त करने के बाद सहायक अध्यापक (पारा शिक्षक) द्वारा नियमित कक्षा संचालन की शिकायत मिल रही थी। इसके बाद जिला शिक्षा अधीक्षक विकेश कुनाल प्रजापति ने सख्त कदम उठाया है।

    उन्होंने संबंधित विद्यालय के प्रधानाध्यापक व प्रभारी प्रधानाध्यापक को पत्र लिख है। इसमें ऐसे शिक्षकों को स्कूल में प्रवेश देने से मना किया है। इसके अलावा जिला एमआइएस प्रभारी को 102 सहायक अध्यापकों का ई-विद्यवाहिनी पोर्टल पर तत्काल प्रभाव से निष्क्रिय करने का आदेश दिया है। ऐसे शिक्षक जामताड़ा में 11, नारायणपुर में 33, नाला में 10, कुंडहित 11, करमाटांड़ में 21 व फतेहपुर में 16 हैं।

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    बता दें कि फर्जी, गैर मान्यता प्राप्त संस्थानों से शैक्षणिक- प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्र प्राप्त से 102 सहायक अध्यापक जिले के विभिन्न स्कूलों में पठन-पाठन कार्य में जुटे थे। राज्य मुख्यालय के आदेश के बाद उनके प्रमाण पत्र की जांच की गई।

    इसमें उनका प्रमाण पत्र फर्जी पाया और जून में इन शिक्षकों का मानदेय रोक दी गई है। पठन पाठन कार्य से अलग रहने को कहा गया था। बावजूद सभी स्कूल में नियमित कार्य कर रहे थे। इसकी लगातार शिकायत मिलने पर डीएसई ने सख्त कत उठाया है।

    इन संस्थान का शैक्षणिक प्रमाण पत्र वैध नहीं

    • प्रयाग महिला विद्यापीठ, इलाहाबाद
    • भारतीय शिक्षा परिषद, उत्तरप्रदेश
    • राजकीय मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थान, उत्तरप्रदेश
    • हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग, इलाहाबाद
    • हिन्दी साहित्य सम्मेलन, इलाहाबाद

    फर्जी प्रमाण पत्र के चलते 102 पारा शिक्षकों को मानदेय जून से बंद कर दिया है। बावजूद उनके स्कूलाें में नियमित कार्य करने की शिकायत आ रही थी। ऐसे शिक्षकों को संबंधित विद्यालय के प्रधानाध्यापक को स्कूल में घुसने नहीं देने का निर्देश दिया गया है। वहीं उनका ई-विद्यवाहिनी पोर्टल निष्क्रिय कर दिया गया है। -विकेश कुणाल प्रजापति, डीएसई, जामताड़ा